खरीफ सीजन में धान और मक्के की खेती में मनचाहा मुनाफा ना मिलने पर अब निराश ना हों, बल्कि ऐसी फसलें उगाएं जो खरीफ, रबी और जायद तीनों ही सीजन में कारगर हैं. ऐसे में हम बात कर रहे हैं सूरजमुखी के फूलों की खेती की. बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी फसल के नाम से भी जाना जाता है. पिछले कुछ सालों में उत्पादन क्षमता और अधिक मूल्य के कारण सूरजमुखी की खेती की ओर किसान ज्यादा बढ़ रहे हैं. आइये जानते हैं सूरजमुखी की किस्मों और खेती के बारे में...
सूरजमुखी की उन्नत किस्मे-
बता दें कि सूरजमुखी की एकमात्र किस्म मार्डन बहुत ज्यादा पसंद की जाती है. लेकिन अब इसके अलावा भी कई किस्में उपलब्ध हैं जैसे बीएसएस-1, केबीएसएस-1, ज्वालामुखी, एमएसएफएच-19, सूर्या आदि.
खेत की तैयारी- वैसे तो सूरजमुखी की फसल किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है जहां पानी निकास का अच्छा प्रबंध हो. लेकिन अम्लीय और क्षारीय जमीनों में खेती करने से बचें. ज्यादा पानी सोखने वाली भारी जमीन ज्यादा अच्छी होती है. खेत में भरपूर नमी न होने पर पलेवा लगाकर जुताई करनी चाहिए. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद साधारण हल से 2-3 बार जुताई कर के खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिए या फिर रोटावेटर का इस्तेमाल करना चाहिए.
बुवाई का समय- सूरजमूखी की बुवाई जनवरी के आखिर तक कर देनी चाहिए, इसकी बुवाई साल में 3 बार की जाती है. प्रत्यारोपण तकनीक का उपयोग करें. पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी. रखें. वहीं पंक्ति की दूरी 60 सेमी रखना सबसे उपयुक्त है.
खाद और उर्वरक- बुवाई से पहले 7 से 8 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद भूमि में खेत की तैयारी के समय मिलाएं और अच्छी उपज के लिए सिंचित अवस्था में यूरिया 130 से 160 किग्रा, एसएसपी 375 किग्रा और पोटाश 66 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें. नाइट्रोजन की 2/3 मात्रा, स्फुर और पोटाश की समस्त मात्रा बोते समय प्रयोग करें साथ ही नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा को बुवाई के 30-35 दिन बाद पहली सिंचाई के समय खड़ी फसल में देना लाभदायक होता है.
बीज उपचार- सूरजमुखी के बीज लगाने से पहले उसका उपचार करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो कई बीज जनित बीमारियों से फसल खराब हो सकती है सबसे पहले सूरजमुखी के बीजों को सादे पानी में 24 घंटे के लिए भिगो कर रखें और फिर बुवाई से पहले छाया में सुखा लें. बीजों पर थीरम 2 ग्राम प्रति किग्रा और डाउनी फफूंदी से बचाव के लिए मेटालैक्सिल 6 ग्राम प्रति किलो का छिड़काव करें.
कितनी करें सिंचाई ?
वैसे तो सूरजमुखी की फसल के लिए 9-10 सिंचाई काफी होती है. लेकिन बार-बार सिंचाई करने से बचें, क्योंकि इससे जड़ सड़ने और मुरझाने का खतरा बढ़ सकता है, भारी मिट्टी को 20-25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत होती हैं, वहीं मिट्टी हल्की हो तो 8-10 दिनों के अंतराल पर जरूरत होती है.
पौधे का विकास बढ़ाने का तरीका- मधुमक्खियां सूरजमुखी की फसल की परागणक होती हैं, यदि मधुमक्खियां नहीं हैं, तो वैकल्पिक दिन सुबह के समय हाथ से परागण करना उपयुक्त होता है इसके अलावा फसल की खेती के पहले 45 दिनों में खेत को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए, ऐसा करने से फसल के विकास में तेजी आती है.
ये भी पढ़ेंः सूरजमुखी फसल के प्रमुख रोग एवं उनकी रोकथाम के उपाय
फसल काटने का समय- सूरजमुखी की फसल तब काटी जाती है जब सभी पत्ते सूख जाते हैं और सूरजमुखी के सिर का पिछला भाग नींबू जैसा पीला हो जाता है. देर करने पर दीमक का हमला हो सकता है और फसल बर्बाद हो सकती है. इसलिए समय पर फसल की कटाई करनी होती है.
सूरजमुखी के पौधे से तेल निकालने के अलावा दवाओं में भी इसका उपयोग होता है. ऐसे में सही तरीके से सूरजमुखी की खेती करने से किसान दोगुना लाभ कमा सकते हैं.
Share your comments