हरियाणा के पलवल जिले के छोटे से गाँव स्यारौली के निवासी मेदी राम ने अपने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से खेती में एक नया मुकाम हासिल किया है। पारंपरिक खेती से शुरुआत करने वाले मेदी राम ने अपनी खेती के तरीके में कई बदलाव किए और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर अपनी आय में कई गुना वृद्धि की।
Double attack of inflation with heat wave : बढ़ती गर्मी के बीच हीटवेव के साथ महंगाई का डबल अटैक देखने को मिल रहा है. आम आदमी के किचन का बजट फेल हो चुका है और सब्जियों(Vegetable) के दाम आसमान छू रहे हैं. प्याज समेत बाकी सब्जियों के दामों(vegetable Price) में पिछले एक हफ्ते में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है. ऐसे में आम आदमी राहत के लिए मानसून(Monsoon) के इंतज़ार में है.
17th Installment PM Kisan Samman Nidhi: पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा लेने के लिए लाभार्थी लिस्ट में आपका नाम होना जरूरी है. आपका नाम लिस्ट में है या नहीं, यहां जानिए इसे चेक करने का तरीका. साथ ही अगर अब तक आपने ई-केवाईसी (E-KYC) नहीं कराया है, तो उसे कराने का तरीका भी जान लें.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज (13 जून) कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कृषि अनुसंधान योजना के संबंध में विस्तार से चर्चा की. जिसमें 113 अनुसंधान संस्थानों पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “हमें यह आकलन करना चाहिए कि यह कार्य महत्वपूर्ण है और हमारे पास एक नेटवर्क होना चाहिए और क्या हमारा नेटवर्क अपेक्षित परिणाम देने में सक्षम है, क्या यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं, जिस उद्देश्य के लिए इसे बनाया गया था और यदि कोई कमी है तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.
PM Kisan 17th Installment: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 18 जून को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से देश के 9.3 करोड़ किसानों को पीएम किसान की 17वीं किस्त की सौगात देने वाले हैं. प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी के किसानों को सम्मानित करेंगे और सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी करेंगे, जिससे काशी के लगभग 267,665 किसान लाभान्वित होंगे.
देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री (Chief Minister) के तौर पर काम करने वालों की लिस्ट में शामिल शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chauhan) को अब मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) की सियासत से अलग हटाकर राष्ट्रीय स्तर पर गांव वालों और किसानों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय मिलने के बाद उनकी काफी चर्चा हो रही है. वो जमीन से जुड़े नेता हैं, जनता की नब्ज को अच्छी तरीके से समझते हैं और उन्हें लोग प्यार से 'मामा' के नाम से पुकारते हैं. कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि शिवराज के 'राज' में कृषि मंत्रालय के कामकाज को पटरी पर आने की उम्मीद है.
सफल किसान की सीरीज में आज हम आपके लिए इस आर्टिकल में ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने जैविक तरीकों से बागवानी करके खेती में सफलता हासिल की है. यह किसान सेब, आम और अमरूद समेत कई फलों की अलग-अलग वैरायटी की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहा है.
Shivraj Singh Chouhan: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर में पौधा रोपण किया है. उन्होंने “प्रतिदिन पौधरोपण” के संकल्प को निरंतर रखते हुए पौधा लगया है. इसके अलावा, उन्होंने उच्च अधिकारियों के साथ चर्चा करके कार्यों की जानकारी भी प्राप्त की है.
जर्मन दूतावास में आयोजित क्लाइमेट टॉक के दौरान भारत और भूटान में जर्मनी के राजदूत, डॉ. फिलिप एकरमैन ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने आर्द्रभूमियों की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया और जर्मनी व भारत के ग्रीन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और जर्मनी मिलकर एक सतत और हरित भविष्य के लिए काम करेंगे और सफल होंगे!
पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर सोमवार (10 जून) को नई कैबिनेट की पहली बैठक हुई. बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत 3 करोड़ अतिरिक्त आवास बनाने का फैसला लिया गया. पीएमएवाई (PMAY) के तहत पिछले 10 सालों में पात्र गरीब परिवारों के लिए कुल 4.21 करोड़ घर बनाए गए हैं. अगर अभी तक आपका भी पक्का मकान नहीं बना है तो आप पीएमएवाई का लाभ उठा सकते हैं. आइए जानते हैं इस योजना के लिए पात्रता क्या है और आवेदन कैसे कर सकते हैं.
कृषि मंत्रालय के अपने 100 दिन के एजेंडे में बताया कि देश खाद्य तेल और दालों में आत्मनिर्भर बनेगा. 2027 तक दलहन के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए नई पॉलिसी आएगी. खाद्य तेल का इंपोर्ट घटाने और इथेनॉल सप्लाई बढ़ाने पर फोकस होगा. उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकारी प्रोत्साहन और SoPs जारी होंगे. दाल के लिए नए देशों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए सरकार अन्य मंत्रालयों के साथ आगे बढ़ रही है.
केंद्र सरकार ने साल 2019 में किसानों को सीधे आर्थिक लाभ देने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत हर साल किसानों को 6000 रुपयों का आर्थिक लाभ दिया जाता है. चार-चार महीना के अंतराल पर 2000 की किस्तों में यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से किसानों के खाते में सीधे पहुंचाई जाती है. राजस्थान के किसानों को 6000 की बजाय सालाना अब 8000 रुपये मिलेंगे.क्या राज्य के किसानों को इसके लिए अलग से करना होगा कोई काम चलिए जानते हैं.
Government Scheme: लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा सरकार ने किसानों और खेतीहर मजदूरों को बड़ी खुशखबरी दी है. हरियाणा सरकार ने किसानों और खेतीहर मजदूरों के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना में आयु सीमा हटा दी है. अब 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों को भी योजना के तहत फायदा मिल सकेगा.
देश में नई सरकार का गठन होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक्शन में दिखें। उन्होंने नई सरकार में मुखिया के तौर पर आते ही किसानों से शुरुआत की उन्होंने अपना पहला फैसला लेते हुए किसान कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाने की कोशिश की है। उन्होंने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली ऑफिशियल फाइल को साइन किया।
आपकी बात सही है। रासायनिक मुक्त भोजन स्वस्थ जीवन की कुंजी है। रासायनिक मुक्त भोजन का मतलब होता है ऐसे भोजन का सेवन करना जो कृषि रसायनों, कीटनाशकों, और अन्य सिंथेटिक पदार्थों से मुक्त हो। इसके कई फायदे हैं देखें वीडियों.
Agriculture journalist association of India (AJAI) एक ऐसा संगठन जो कि किसानों को पत्रकारिता के माध्यम से जागरूक करता आ रहा है. आज 'AJAI' के सौजन्य से किसानों के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही हैं. कार्यक्रम का नाम है एग्री चेक, इस एग्री चेक में हम किसानों को जागरूक करेंगे फेक न्यूज़ के खिलाफ, जागरूक करेंगे मीडिया लिट्रेसी के बारें में, फाइनेंस लिट्रेसी को लेकर भी जहां लम्बी चर्चा हुई। हमारे इस कार्यक्रम में कई गणमान्य वक्ताओं ने भी अग्री चेक के विषय पर अपनी राय रखी।
आज 5 जून को पूरी दुनिया, विश्व पर्यावरण दिवस मना रही है. इसी कड़ी में हरित सेवा मिशन द्वारा दिल्ली के बिरला मंदिर में नि:शुल्क पौध वितरण समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कृषि जागरण और एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक व प्रधान संपादक, Mr. एमसी डोमिनिक, मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. जहां उन्होंने लोगों को पर्यावरण के प्रति संबोधित किया, अपना मार्गदर्शन किया.
Seeds Subsidy: फसल की अच्छी पैदावार पाने के लिए किसानों को अच्छे किस्म के बीज की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन देखा जाए तो बाजार में कई तरह के नकली बीज आ गए है और साथ ही बाजार में अच्छे किस्म के बीज की कीमत भी अधिक होती है, जिसके चलते देश कमजोर व छोटे किसान अच्छे व उच्च क्वालिटी के बीज नहीं खरीद पाते हैं. इसी क्रम में सरकार ने किसानों के लिए एक खुशखबरी दी है. दरअसल, सरकार अच्छे उच्च क्वालिटी के बीज खरीदने के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवा रही है.
बता दे की जिनके फॉर्म रिजेक्ट हुए थे वे 5 जून से 20 जून तक राज किसान साथी पोर्टल पर रि-ओपन कराए जाएंगे. ऐसे किसान राज किसान साथी पोर्टल पर रिजेक्ट हुए आवेदनों को निर्धारित अवधि में रि-ओपन कर जरूरी दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड कर सकेंगे. यह काम आवेदन द्वारा ई-मित्र पर जहां से आवेदन ऑनलाइन किया था या खुद के मोबाइल से राज किसान साथी पोर्टल पर पहले में किए गए ऑनलाइन आवेदन में जरुरी दस्तावेज के साथ अपलोड कर सकेंगे.
भारत में पिछले कुछ सालों में पशुपालन का व्यवसाय काफी तेजी से फला और फूला है. इसमें बकरी पालन के क्षेत्र में अच्छा-खासा ग्रोथ देखने को मिला है. विशेषज्ञों का कहना है कि गाय-भैंस के पालन के मुकाबले में बकरी पालन के क्षेत्र में लागत कम है, लेकिन मुनाफा दोगुना है. भारत में तकरीबन 50 से अधिक बकरी की नस्लें मौजूद हैं. हालांकि, इन 50 नस्लों में कुछ ही बकरियों का उपयोग व्यवसायिक स्तर पर किया जाता है. ऐसे में किसानों को इस बात की जानकारी होनी बेहद जरूरी कि किस नस्ल की बकरी पालन करने से मुनाफा बढ़ जाएगा.
जिन किसानों के पास कम जमीन है वो किसान मिश्रित खेती की तकनीक को अपनाकर फसल में अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। किसान मिश्रित खेती के मॉडल में खरीफ की फसल में एक साथ तीन से चार फसलें उगा सकते हैं जिनकी पैदावार भी कम पानी में हो जाती हो। जैसे- तिलहन, अनाज, दलहन और एक मसाले वाली फसल लगाकर एक साथ चार फसलें किसान आसानी से ले सकते हैं और ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पलवल जिले के प्रगतीशील किसान बलराम जी ने....
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार 5 जून से 15 जून तक ई-केवाईसी के लिए प्रक्रिया शुरू करेगी. 5 जून से 15 जून तक किसान ई-केवाईसी को पूरा कर सकते हैं. पात्र किसान ई-केवाईसी के लिए अपने नजदीकी सीएससी केंद्र पर जाएं या अपने नोडल अधिकारी से संपर्क करें. पीएम किसान योजना की वेबसाइट के अनुसार, पंजीकृत योग्य किसानों को eKYC करना अनिवार्य है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा ने बुधवार को बासमती धान की दो नई किस्में बाजार में उतारी हैं, जिसका लांच पूसा संस्थान के डॉ बीपी पाल ओडोटोरियम से किया गया. इस का विमोचन IARI निदेशक डॉ ऐके सिंह व् कृषि आयुक्त डॉ पी के सिंह द्वारा किया गया. आपको बता दें धान की ये किस्म किसानों की आय को बढ़ाने के साथ-साथ पानी की 35% तक बचत करेंगी। इसके आलावा इस किस्म में खरपतवार नाशी गुण भी शामिल किया गया है. यह देश की पहली गैर-जीएम हर्बिसाइड टॉलरेंट बासमती किस्में हैं।
जीआई टैग (GI Tag) यह एक ऐसा शब्द है जो हाल के दिनों में काफी प्रसिद्ध हुआ है. लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं कि यह क्या है. यह क्यों दिया जाता है, किसे दिया जाता और इसे हासिल करने की प्रक्रिया क्या होती है. तो सबसे पहले जानते हैं कि इसका फुल फॉर्म क्या होता है? जीआई टैग का अर्थ जियोग्राफिलक इंडिकेशन टैग होता है. किसी खास क्षेत्र में उगने वाले उत्पाद को उनकी पहचान दी जाती है, इसे ही जीआई टैग कहते हैं. एक शहर, क्षेत्र या देश से संबंधित कुछ उत्पादों को विशेष पहचान देने और उसे बढ़ावा दिया जाता है. इससे उत्पाद की खेती या उसे बनाने को लेकर प्रोत्साहन मिलता है. यह किसी खास उत्पाद की क्वालिटी और विशेषता को देखकर दिया जाता है.
पढ़ाई करने के बाद अधिकांश युवाओं का सपना बड़े शहरों में जाकर अच्छे पैकेज की जॉब हासिल करना होता है। लेकिन दिल्ली में मयूर विहार के रहने वाले युवा किसान सौदान ने पढ़ाई छोड़ने के बाद जॉब करने की जगह खेती करने का निर्णय लिया। जिससे वे अब खेती से जॉब की तुलना में कही ज्यादा कमाई कर रहे हैं और सबसे खास बात ये है कि दिल्ली जैसे शहर में खेती करना किसी चुनोती से कम नहीं....
सतारा के ऋशिकेष दाहिनी ने हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई की हैं। क्रॉप साइंस की डिग्री हासिल करने के बाद हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई ओपन यूनिवर्सिटी से किया। उसी वक़्त वो कुछ कंपनियों में काम करना भी शुरू कर दिए थे। कंपनियों को मार्केटिंग कर और उनके फर्टिलाइजर्स को बेचकर उन्होंने कई तरह की ज्ञान हासिल की, जिससे पैसा और ज्ञान दोनों आने लगा। ऋषिकेश के इसी सफलता की कहानी को आज हम उन्ही की जुबानी आपको सुनाने जा रह हैं। साथ ही हम आपको उनके अलग-अलग फार्म में भी लेकर चलेंगे। जिसमें उन्होंने अलग-अलग वैरायटी की खेती की हैं। तो वीडियो को अंत तक जरूर देखियेगा।
जनता की भलाई के लिए मोदी सरकार/Modi Government ने अपने कार्यकाल में कई तरह की बेहतरीन योजनाएं चलाई हैं, जो गरीब परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसी क्रम में आज हम मोदी सरकार के द्वारा शुरू की गई टॉप 5 सरकारी योजनाएं/Top 5 Government Schemes की जानकारी लेकर आई है. जिन स्कीमों की हम बात करने जा रहे हैं. वह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं हैं.
जैसा की आप सभी जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. हमारे देश में खाद्य पदार्थ और डेयरी प्रोडक्ट्स की काफी मांग है. लेकिन क्या आपको पता है कि देश की सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल कौन सी है. अगर नहीं तो आपके इस सवाल का जवाब यहां है. वहीं, आप इस भैंस का पालन कर और इसका दूध बेचकर अमीर बन सकते हैं.
PM Kisan Yojana: देश में किसानों के आर्थिक विकास के लिए कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. उन्हीं में से एक है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना/PM Kisan Yojana. इस योजना के तहत किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है. इसी योजना को लेकर अब एक बड़ा अपडेट सामने आया है. दरअसल, केंद्र सरकार पीएम किसान योजना को लेकर एक्शन मोड में आ गई है.
PM Kisan Samman Nidhi Yojana: देश के करोड़ों किसान पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 17वीं किस्त का इंतजार कर रहे हैं. वही, हमारे देश में ऐसे भी किसान हैं, जो पीएम किसान योजना की किस्त का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा की गई कुछ गलतियों के कारण उन्हें इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा. इसी क्रम में आज हम PM Kisan Yojana का लाभ देश के किन किसानों को नहीं मिलेगा इसकी पूरी जानकारी लेकर आए है.
सरकार के द्वारा किसानों की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए समय समय पर कई तरह की बेहतरीन योजनाएं चलाई जाती है. इसी क्रम में हाल ही में बिहार सरकार राज्य के बागवानी किसानों को लगभग 70 प्रतिशत अनुदान दे रही है. बता दें कि किसानों की यह सुविधा गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों को दी जा रही है. ताकि उत्तर बिहार के किसान गेंदा फूल की खेती कर अपने आप को आत्मनिर्भर बना सके. मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार में गेंदा फूल की खेती के लिए वर्ष 2023-24 तक 6 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है.
आधुनिक मशीनों के आने से पहले किसान अपने खेतों में उपजे धान की पिसाई खुद कर लेते थे। इसी प्रकार धान को पीसकर उसका चावल निकालने के लिए भी प्रकृति का ही सहारा लिया गया, और लकड़ी से ही एक बहुउपयोगी तकनीक विकसित की गई जिसे 'ढेंकी' कहा जाता है।
Agri Infra Fund Scheme: कृषि अवसंरचना कोष योजना के तहत लोन लेने पर ब्याज में तीन फीसदी छूट मिलती है. वही ब्याज पर यह छूट अधिकतम 7 सालों तक मिलती रहती है यानी दो करोड़ लोन लेने पर 7 सालों तक सालाना 6 लाख रुपये तक की बचत होती रहती है. इस लोन पर सिक्योरिटी भी सरकार ही देती है. वही AIF योजना के तहत अधिकतम दो करोड़ तक लोन मिल सकता है. हालांकि, जरूरत के अनुसार और ज्यादा और कम लोन लिया जा सकता है. इसके अलावा किसानों को उचित समय पर उचित कीमत मिलती है. भंडारण की बेहतर सुविधा होने की वजह से फसलों की बर्बादी भी कम होती है. नतीजतन, सालाना होने वाले नुकसान से किसानों को राहत मिलती है और आमदनी में बढ़ोतरी होती है.
हैप्पी सीडर से गेहूं की बुवाई करना पराली की समस्या का समाधान करने का सबसे बेहतर तरीका माना जा रहा है. इसकी मदद से बुवाई करने पर पराली मिट्टी के अंदर दब जाती है और एक परत खेत की ऊपरी सतह पर रह जाती है जो खेत में नमी बनाए रखती है. इससे अंकुरण और पौधों की पैदावार में मदद मिलती है. इसी के चलते पंजाब के गुरदासपुर जिले के किसान गुरदयाल सिंह और जगदीप सिंह लंबे समय तक गेहूं की कटाई के बाद भूसा बनाकर बचे हुए गेहूं के दानों को ट्रैक्टर से चलने वाले उल्टे हल से खेत में दबाने की कोशिश कर रहे हैं
महिंद्रा ट्रैक्टर्स ने किसानों के लिए ट्रैक्टर के खिलाड़ी प्रतियोगिता का आयोजन किया. इस प्रतियोगिता का आयोजन गांव बलना, राधा स्वामी सत्संग भवन के सामने, अंबाला, हरियाणा में किया गया जिसमें लगभग 300 से 400 किसान शामिल हुए. महिंद्रा ट्रैक्टर्स द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले किसानों ने पीछे के गेयर से 8 बना कर दिखाया, जो किसान विजेता बना उसे 11 हजार से लेकर 51 हजार तक का इनाम दिया गया.
मल्टी लेयर फार्मिंग या मल्टी टियर फार्मिंग (Multi Layer Farming) एकीकृत इंटरक्रॉपिंग की एक बेहतरीन तकनीक है, जो एक समय में एक ही ज़मीन पर कई फसलों को उगाने में सक्षम है. बहुस्तरीय खेती मुख्य रूप से नकदी फसल पर आधारित है और इसमें सब्जियों, फलों व फूलों की खेती शामिल है.
आम को पसंद करने वाले लोगों को एक समस्या का सामना करना पड़ता हैं। वो हैं असली और नकली आम के पहचान की। दरअसल इस वक़्त बाजारों में आमों की खूब कालाबाजारी देखने को मिलती हैं। ऐसे में कई लोगों को आम का सबसे पसंदीदा वैरायटी अल्फांसो आम की काफी ज्यादा डिमांड रहती हैं.लेकिन लोगों को कठिनाई वहां होती हैं जब उन्हें असली और नकली अल्फांसो की पहचान करने में ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे में आज हम अपने इस स्पेशल वीडियो में असली और नकली अल्फांसो के बीच का अन्तर बताने जा रहे हैं। और ये अंतर सिर्फ हम ही नहीं बल्कि हमारे एक्सपर्ट्स भी आपको असली और नकली के बीच का पहचान बताएंगे।
भारतीय बीज उद्योग संघ (FSII) द्वारा दिल्ली में 'इनोवेट, संरक्षित, समृद्ध: बीज सेक्टर को अगले स्तर पर ले जाने में बौद्धिक संपदा संरक्षण की भूमिका' पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें डॉ. राज एस परोडा, एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस (टीएएस) के संस्थापक अध्यक्ष ने कहा, "प्रभावी आईपीआर संरक्षण नए बीज प्रकार और कृषि प्रौद्योगिकियों का विकास करने में निवेश को प्रोत्साहित करता है। जब नवाचारक अपने सृजनों को संरक्षित होने की दृढ़ता से विश्वास करते हैं, तो वे नए और अभूतपूर्व समाधानों के लिए संसाधनों का समर्पित करने के लिए अधिक संभावित हैं, अंततः किसानों और उपभोक्ताओं को भी लाभ पहुंचता है। नई बीज प्रकारों और कृषि प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास में निवेश। एक मजबूत आईपीआर ढांचा शोधकर्ताओं, बीज उद्योग और किसानों के हित की रक्षा करेगा।"
अजय स्वामी पिछले 20 सालों से हनुमानगढ़ जिले में एलोवेरा समेत कई फसलों की सफल खेती और प्रोसेसिंग करते हैं जिससे वह एक से डेढ़ लाख रुपये प्रति महीने मुनाफा कमाते हैं. अगर शिक्षा की बात करें तो उनकी पढ़ाई आठवीं तक हुई है. उनके पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था जिस वजह से काफी छोटी उम्र में ही उन पर जिम्मेदारियां आ गईं थी. उनके पास कोई आर्थिक संसाधन नहीं थे इस वजह से उन्हें बचपन से ही काम करना पड़ा.
जैविक खेती मृदा, खनिज, जल, पौधों, कीटों, पशुओं व मानव जाति के समन्वित संबंधों पर आधारित है। यह मृदा को संरक्षण प्रदान करता है वहीं पर्यावरण को भी सरंक्षण प्रदान करता है। इन्हीं सभी बातों से प्रेरित होकर उत्तराखंड़, जिला हरिद्वार से एक यूवा किसान, आशीष सैनी, ने पारंपरिक खेती को छोड़ जैविक पद्दती से गन्ने की खेती करने का फैसला लिया.
किसान अब करवा सकते है कृषि संयंत्रों का बीमा
AIC दे रही कृषि संयंत्रों पर बीमा की सुविधा
ड्रिप इर्रिगेशन के महंगे सिस्टम का भी हो सकता है बीमा
कृषि सिचाई संयंत्रों के चोरी होने पर मिलेगा मुआवजा
चोरी, टूटने और आपदा से हुए नुकसान पर होगी भरपाई
ट्रॉली, टीलर, वीडर, पावर वीडर आदि कृषि संयत्रों पर उठाये बीमा का लाभ
सरल कृषि बीमा में मिलेगा मशरूम, रेशम, उद्योग पर बीमा
मत्स्य पालकों के लिए श्रिम्प मछली का बीमा करवा सकते है किसान
प्राचीन समय से ही भारत को मसालों का देश कहा जाता है. भारत में अलग-अलग हिस्से में कई तरह के मसाले खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं. आज हम बात धनिया की कर रहे हैं. अगर आप धनिया की खेती में समय कम लगाकर अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आप हरी धनिया बेचकर हर महीने 25 से ₹30,000 कमा सकते हैं. हर साल डेढ़-2 बीघे खेत में हरी धनिया की खेती कर ₹3-4 लाख तक की कमाई की जा सकती है.
Farmer Success Story: सफल किसान डॉ. राजाराम त्रिपाठी Chhattisgarh के बस्तर जिले के रहने वाले हैं. इन्हें हरित-योद्धा, कृषि-ऋषि, हर्बल-किंग, फादर ऑफ सफेद मूसली आदि की उपाधियों से नवाजा गया है. Dr. Rajaram Tripathi ने किसानी के जरिए न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली, बल्कि कई अन्य Farmers को भी आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है. यही वजह है कि कृषि जागरण/Krishi Jagran द्वारा आयोजित और महिंद्रा ट्रैक्टर्स/Mahindra Tractors द्वारा प्रायोजित ‘मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया-2023 अवार्ड्स/ Millionaire Farmer of India-2023 Awards शो में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला/ Purshottam Rupala द्वारा डॉ. राजाराम त्रिपाठी को ‘रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’/Richest Farmer of India/RFOI का अवार्ड दिया गया था. वही, औषधीय फसलों की खेती/cultivation of medicinal crops से डॉ. राजाराम त्रिपाठी सालाना 25 करोड़ रुपये का टर्नओवर जनरेट करते हैं. अगर उनके साथ जुड़े किसानों की बात की जाए, किसानों का पूरा समूह औषधीय फसलों की खेती से करीब 2.5 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर/medicinal plants farming profit हर साल जनरेट कर रहा है. ऐसे में आइए इस वीडियो में सफल किसान डॉ. राजाराम त्रिपाठी की सफलता की कहानी/Success story of successful farmer Dr. Rajaram Tripathi उन्हीं की जुबानी जानते हैं-
जानियें क्या है POSP ? कैसे करें अवेदन?
POSP बनने के लिए क्या है न्यूनतम साक्षरता और आयु सीमा ?
AIC में POSP के तौर पर कैसे होगी नियुक्ति ?
AIC में एक POSP महीने में कितना कमा लेता है ?
POSP का कार्यक्षेत्र निर्धारण प्रक्रिया क्या है?
क्या एक POSP एक से अधिक राज्यों/जिलों में कार्य कर सकता है?
क्या POSP एक से अधिक कंपनी के लिए कार्य कर सकते है?
POSP, AIC के उत्पाद का बीमा किस प्रकार से कर सकता है?
क्या POSP एक समय मे एक से अधिक उत्पाद को बेच सकता है?
क्या POSP को बीमा के लिए दावा की सूचना दी जा सकती है? जानियें पूरी जानकारी इस विडियो में......
देश में किसानों की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए आए दिन सरकार किसी न किसी योजना का संचालन करती ही रहती है. ताकि देश के किसानों को आर्थिक सहायता मिल सके. इसी कड़ी में सरकार ने किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की है. इस योजना के माध्यम से किसानों को हर साल 6000 रुपये दी जाती है. इतना ही नहीं किसानों के लिए सरकार ने मानधन योजना की भी शुरुआत की है. अब ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या PM Kisan और किसान मानधन योजना का लाभ एक साथ लिया जा सकता है या नहीं
PM Kisan Yojana: देश के करोड़ों किसानों को पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त का बेसब्री से इंतजार है. अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो इसके लिए आवेदन कर सकते हैं.
लम्पी स्किन वायरस एक वायरल त्वचा रोग है जो मुख्य रूप से जानवरों को प्रभावित करता है. यह खून चूसने वाले कीड़ों, जैसे मक्खियों, मच्छरों की कुछ प्रजातियों और किलनी से फैलता है. लंपी के शुरुआती लक्षण में पशुओं को बुखार हो जाना या त्वचा पर गांठ भी पड़ जाती है और इतना ही नहीं इससे पशुओं की मौत भी हो सकती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो अभी इस बीमारी का इलाज कह लें या रोकथाम सिर्फ वैक्सीन ही है. लेकिन परेशान करने वाली बात ये है कि मई में लंपी बीमारी के फैलने का अलर्ट जारी किया गया है.
जब भी गधे की बात होती है तो एक बेबस और बेचारे जानवर की छवि दिमाग में आती है. वहीं, जानवरों में भी गधे को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं भारत में जिस गधे का इस्तेमाल सिर्फ सामान ढोने के लिए किया जाता है, उस प्रजाति की मादा का दूध काफी फायदेमंद होता है और काफी महंगा आता है. जी हां, गधी का दूध काफी कीमती होता है और इसकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है. भारत में भले ही इसका पालन नहीं किया जा रहा, लेकिन कई देशों में गधी का पालन किया जाता है और इसका दूध हजारों रुपये में बेचा जाता है.
राजस्थान के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. खेतों में तारबंदी, फॉर्म पॉन्ड, सिंचाई पाइपलाइन, डिग्गी, पानी का हौज व कृषि यंत्र के लिए कृषि विभाग ने राज किसान साथी पोर्टल पर आवेदन शुरू कर दिए हैं. राज किसान साथी पोर्टल पर या ई-मित्र केंद्र से किसान अपने जनाधार नंबर से योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आवेदन के समय किसान के पास खेत की जमाबंदी की नकल व राजस्व विभाग की ओर से जारी खेत का नक्शा होना जरूरी है.