आज हम बात करेंगे चेतारों गांव की साहसी महिला अंजू देवी के बारे में, जो आज-कल गांव के लोगों के लिए चर्चा का पात्र बनी हुई है और यह लोगों को उत्साहित करती है कि कृषि की तरफ अपना रुझान पैदा करो. कृषि मंडल के साथ जुड़कर अंजू ने किसानों को सिखाया कि किस प्रकार से बेहतर खेती की जाए और किस तरह खेती से अपनी आमदनी बढ़ाई जाए. अंजू के आजीविका कृषक मित्र बनने से गांव के लोगों के साथ उसके काफी अच्छे सम्बन्ध बन गए हैं.
अंजू वर्ष 2015 में दुर्गा आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी थी. इस समूह से जुड़ने के बाद अंजू ने किस तरह से कृषि की जाए और कैसे बचत की जाए सीखा. अंजू ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की थी, वह सिर्फ दसवीं पास थी. अंजू के आजीविका कृषक मित्र बनने से ग्रामीणों से साथ बेहतर तालमेल स्थापित हो गए.
उसने कृषक मित्र बनकर खेती-बाड़ी और पशुपालन से न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी बल्कि अपने गाँव के 100 से ज्यादा किसानों को लगातार कम लागत में बेहतर खेती के हुनर भी सिखाए.
इस संस्था के साथ जुड़ने के बाद उसने गाय, बकरी और मुर्गी पालन के लिए 20 हजार रुपए का कर्ज़ लिया और गाय का दूध बेचना शुरू किया. इससे हर माह आमदनी होने लगी और उसने बचत करना भी शुरू कर दिया. उसके बाद उसने कृषक मित्र बनने का प्रशिक्षण लिया. उसके बाद उसने सब्जी की खेती की और उस सब्जी को बेचकर भी उसे काफी आमदनी होने लगी.
तो देखा आपने एक साधारण सी घरेलू महिला ने किस तरह किसानों को खेती के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए और खुद को सशक्तिकरण करने के लिए घर से बाहर निकल कर एक कदम उठाया है.
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