आज जितनी बीमारियां हमारे आसपास हैं, उतने ही इलाज भी उपलब्ध हैं. हर रोग के लिए कई उपचार मौजूद हैं. इन उपचारों में कुछ नैचरोपैथी, कुछ आयुर्वेदिक तो कुछ घरेलू नस्खे होते हैं जो हमें रोग से लड़ने के साथ-साथ रोगमुक्त भी कर देते हैं. लेकिन इन उपचारों से आराम मिलते ही कुछ लोग यह गलतफहमी पाल लेते हैं कि हर बीमारी का इलाज वह कर सकते हैं और इससे नुकसान यह होता है कि यदि किसी को कोई गंभीर बीमारी लग जाती है तो वह इन्हीं नुस्खों और उपचारों का उपयोग करता है और यह भूल जाता है कि वह डॉक्टर या चिकित्सक नहीं है और उसकी बीमारी बीमारी समय के साथ-साथ इतनी बड़ी हो जाती है कि बाद में डॉक्टर भी अपने हाथ खड़े कर देते हैं. इस लेख के माध्यम से हम आपको जागरुक कर रहे हैं कि आप किसी भी रोग से ग्रसित होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और अपने रोग का इलाज कराएं.
सबसे पहले क्या करें ?
रोग का पता लगने पर आप सबसे पहले नज़दीकी डॉक्टर के पास जाएं. उसे अपनी तकलीफ बताएं और फिर डॉक्टर आपकी तकलीफ और आपकी जांच के बाद आपको रोग हेतु दवा देगा. हां, आप यह कर सकते हैं कि जब रोग पता चल जाए, उसके बाद आप अपने स्तर पर घरेलु उपचार और नुस्खे आज़मा सकते हैं.
आयुर्वैद को आजमाएं सबसे पहले
यदि आपका रोग गंभीर स्तर पर नहीं है और वह ठीक हो सकता है तो आप कोशिश करें कि आयुर्वेद के ज़रिए इलाज कराएं. इससे आपको दो तरह के फायदे होंगे. पहला यह कि आपके शरीर को किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होगी और दूसरा यह कि दवाईयों का खर्चा बच जाएगा.
अंग्रेजी दवाइयों के साथ-साथ आयुर्वेदिक इलाज
यदि आप ऍलोपैथी के तरीके से इलाज करवा रहे हैं और आराम नहीं आ रहा तो आप इन दवाईयों के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी खा सकते हैं. परंतु यह जो आयुर्वेदिक दवा या उपचार आप कर रहे हैं उसकी सूचना अपने डॉक्टर को अवश्य दें क्योंकि कुछ दवाएं रिएक्शन कर सकती हैं जिससे आपको भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
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