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गेहूं के निर्यात पर खड़े हो रहे हैं सवाल, भविष्य में भारत को करना पड़ सकता है ऊँची क़ीमतों पर आयात !

अंतराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है और यही वजह है कि वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है.

कंचन मौर्य
Questions are being raised on wheat exports
Questions are being raised on wheat exports

मौजूदा समय में गेहूं की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिली है. आलम यह है कि कारोबारियों के द्वारा किसानों को उनके गेहूं के लिए खेतों में ही पैसे दिए जा रहे हैं. बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है और यही वजह है कि वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है. ओरिगो कमोडिटीज (Origo Commodities) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बृजराज सिंह का कहना है कि भविष्य की विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को गेहूं निर्यात को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि अभी गेहूं का निर्यात चल रहा है लेकिन 5-6 महीने के बाद हो सकता है कि भारत को गेहूं का आयात दोगुने भाव पर करना पड़ जाए. उनका कहना है कि इस समय देश में गेहूं की सप्लाई काफी कम है और कारोबारियों को भी गेहूं नहीं मिल पा रहा है. उत्पादन में कमी और सरकार के द्वारा पीएमजीकेएवाई योजना (PMGKAY Scheme) की समयावधि को अगले 6 महीने के लिए बढ़ाने की वजह से देश में गेहूं की किल्लत हो सकती है. इसके साथ ही अगर कहीं कोविड की लहर फिर से आ गई तो सरकार के पास गरीबों को बांटने के लिए गेहूं का स्टॉक भी नहीं बचेगा.

भारत से गेहूं का निर्यात लगातार जारी है और ऐसे में अब सवाल खड़ा होने लग गया है कि कहीं आने वाले दिनों में देश में गेहूं की किल्लत होने के साथ ही कीमतों में आग नहीं लग जाए. इसके अलावा सरकार की ओर से गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य कैसे पूरा होगा इसको पर भी एक बड़ा सवाल है. दरअसल, खुले बाजार में गेहूं की मांग ज्यादा है और किसानों को भाव भी ज्यादा मिल रहा है ऐसे में किसान सरकारी एजेंसियों के बजाए निजी कारोबारियों को गेहूं की बिक्री करने को तरजीह दे रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निजी कंपनियों के द्वारा निर्यात के लिए आक्रामक तरीके से गेहूं की खरीदारी की जा रही है और यही वजह है कि सरकारी खरीद में गिरावट देखने को मिली है. ज़्यादातर सरकारी गोदामो में गेहूं का स्टॉक बहुत कम बचा हुआ है और वर्तमान परिस्थितियों में इस वर्ष गेहूं की सरकारी ख़रीद 444 लाख मीट्रिक टन के टार्गेट के सामने मात्रा 300 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है.

गेहूं की पकने की अवधि के समय सामान्य से अधिक तापमान से यील्ड पर असर

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में सामान्य से अधिक तापमान और लंबे समय तक शुष्क रहने की वजह से गेहूं की फसल की यील्ड पर नकारात्मक असर पड़ा है. बृजराज सिंह के मुताबिक फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन पूर्व अनुमान 111.3 मिलियन मीट्रिक टन की तुलना में घटकर 95- 100 मिलियन मीट्रिक टन रहेगा. जो वर्ष 2021-22 के 109.5 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले काफ़ी कम रहेगा.

सरकारी खरीद 39 फीसदी घटी

17 अप्रैल तक गेहूं की खरीद 69.24 लाख मीट्रिक टन तक हो चुकी है जो कि सालाना आधार पर 39 फीसदी कम है,  जबकि एक साल पहले समान अवधि में 102 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी. राज्यवार आंकड़ों को देखें तो मध्यप्रदेश में 8.99 लाख मीट्रिक टन, पंजाब में 32.17 लाख मीट्रिक टन, हरियाणा में 27.76 लाख मीट्रिक टन और उत्तर प्रदेश में 0.30 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है. 1 अप्रैल 2022 तक भारत सरकार के पास गेहूं का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक सालाना आधार पर 30.4 फीसदी और मासिक आधार पर 19 फीसदी कम रहकर 18.99 मिलियन मीट्रिक टन दर्ज किया गया था. यह हमारे 20.5 मिलियन मीट्रिक टन के अनुमान से भी काफी कम है.

रिकॉर्ड 444 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य

जानकारी के मुताबिक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने विपणन वर्ष 2022-23 के लिए रिकॉर्ड 444 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है. गौरतलब है कि पिछले विपणन वर्ष में सरकार ने 433.44 लाख टन गेहूं की खरीदारी का लक्ष्य रखा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निजी कंपनियों की खरीद एवं कम पैदावार की वजह से खासतौर पर हरियाणा और मध्य प्रदेश में सरकारी खरीद में गिरावट देखने को मिल रही है.

वितरण योजनाओं में गया ज्यादा गेहूं

फरवरी 2022 में सभी वितरण योजनाओं के तहत सरकार ने 4.62 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का वितरण किया था. पूरे 2020-21 के दौरान वितरित किए गए 36.39 मिलियन मीट्रिक टन की तुलना में अप्रैल-21 से फरवरी-22 तक कुल वितरण 46.46 मिलियन मीट्रिक टन था यानी कि 2020-21 की तुलना में सरकारी गेहूं का वितरण लगभग 10 मिलियन मीट्रिक टन अधिक था.

2022-23 में भारत का गेहूं निर्यात बढ़ेगा

2022-23 में भारत से गेहूं का निर्यात 10-15 मिलियन मीट्रिक टन के दायरे में हो सकता है. भारतीय व्यापारियों ने अप्रैल से जुलाई की अवधि के दौरान पहले ही 3-3.5 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं निर्यात का अनुबंध कर लिया है. बंदरगाहों से निकटता और आसान आवाजाही की वजह से गेहूं की अधिकतम मात्रा गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भेजी जाएगी.

मिस्र ने भारत को गेहूं आपूर्तिकर्ता के तौर पर मंजूरी दी है. मिस्र 10 लाख टन गेहूं का आयात भारत से करेगा. गौरतलब है कि अप्रैल के महीने में मिस्र को 2,40,000 टन गेहूं की जरूरत है.अभी तक मिस्र गेहूं का सबसे ज्यादा आयात यूक्रेन और रूस से करता आया है, लेकिन मौजूदा हालात में उसने भारत को प्रमुख आपूर्तिकर्ता के तौर पर चुन लिया है.2022-23 के लिए भारत का गेहूं निर्यात 10-15 मिलियन मीट्रिक टन के दायरे में रहेगा.

English Summary: Questions are being raised on wheat exports, in future India may have to import at higher prices! Published on: 22 April 2022, 11:12 AM IST

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