हाल ही में भा.कृ.अनु.सं. के मेला ग्राउंड में आयोजित 1 से 3 मार्च तक चलने वाले पूसा कृषि विज्ञान मेला 2020 का उदघाटन भारत सरकार के केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण,ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया. मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने कहा कि भारत में हर साल बड़े पैमाने पर विश्वविद्यालयों से कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ सामने आते हैं. उनका यह भी कहना है, “सरकार धन, सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है, लेकिन खेती में रुचि होनी चाहिए. इसके लिए कृषि को एक लाभदायक उपक्रम बनाया जाना चाहिए; जीडीपी और निर्यात में इसकी हिस्सेदारी बढ़नी चाहिए.”
उन्होंने कहा, “करियर में आपका उद्देश्य नौकरी हासिल करने के साथ ही खत्म नहीं होता है या सिर्फ शिक्षा और अनुसंधान में संलग्न रहता है, लेकिन आपको अपने क्षेत्र में एक सफल किसान भी बनना चाहिए. हर साल सेवानिवृत्त होने वाले किसानों को खेती में शामिल रहना चाहिए और दूसरों को प्रेरित करना चाहिए. आपके भीतर किसान जीवित रहना चाहिए. आप अपने खाली समय में अपने किचन गार्डन में खेती से जुड़ सकते हैं. यह आपको एक पेशे के रूप में कृषि से जोड़े रखेगा.”
तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि को प्राथमिकता दी है और 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. इस दिशा में, सरकार ने किसानों को इनपुट लागत का डेढ़ गुना एमएसपी (MSP), पीएम-किसान योजना (PM KISAN YOJANA) के तहत चयनित किसानों को 6,000 रुपये और किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 1,60,000 रुपये का ऋण सुनिश्चित किया है.
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने सहकारी खेती को बढ़ावा देने के लिए 10,000 नए किसान उत्पादक संगठनों (FPO) का पंजीकरण शुरू किया. 6,600 करोड़ रुपये का बजट (budget) इसके लिए रखा गया है. प्रत्येक एफपीओ को 15 लाख रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे. बुवाई, कटाई से लेकर वितरण और विपणन तक, सभी खेती से संबंधित गतिविधियों इसमें शामिल होंगी. इस उद्देश्य के लिए नाबार्ड (NABARD) और एनसीडीसी द्वारा संयुक्त रूप से 1500 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड बनाया गया है.
वहीं इस अवसर पर कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री, परषोत्तम रुपाला (Parshottam Rupala) ने कृषि संस्थानों और वैज्ञानिकों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि किसानों को उचित दरों पर बेहतर बीज उपलब्ध कराया जाए.
हैं, MoS (कृषि और किसान कल्याण) कैलाश चौधरी ने भी सरकार और कृषि संस्थानों को कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध बताया. साथ ही उम्मीद जताई कि एक दिन आएगा जब किसान कर्जदार नहीं, लेनदार बन जाएगा.
कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) और महानिदेशक, आईसीएआर के सचिव डॉ त्रिलोचन महापात्र (Dr. Trilochan Mohapatra) ने भी कहा कि किसान विज्ञान मेले में बड़ी संख्या में किसान भाग लेते हैं और आईसीएआर (ICAR) संस्थानों द्वारा विकसित श्रेष्ठ गुणवत्ता के बीज खरीदते हैं.
इस मेले में ICAR संस्थान और पूसा डिवीज़न के लोगों ने भी हिस्सा लिया. साथ ही वीएनआर, शबाना सीड्स, इंडियन पोटाश (Indian potash limited), कृभको (KRIBHCO), इफ़्को (IFCO) और नेशनल सीड कॉर्पोरेशन (National Seed Corporation) भी इस आयोजन का हिस्सा बने.
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