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Flood Disaster: हिमाचल में भयानक बाढ़ से बर्बाद हुए मछली पालक, मत्स्य विभाग को 8.25 करोड़ की चपत

हिमाचल प्रदेश में 663 मछली पालकों के लिए मुसीबतें कड़ी हो गई है. बाढ़ के चलते एक तरफ मछली के लाखो रूपये के बीज बर्बाद हो गए तो दूसरी तरफ बैंकों से लिया हुआ लोन भी चुकाने का भय बना हुआ है. जबकि मछली पालकों के पास जीवन यापन करने के लिए भी आमदनी शेष नहीं बची है.

अंजुल त्यागी
Flood Disaster
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हिमाचल प्रदेश में भयानक बाढ़ ने मत्स्य विभाग को भारी नुकसान पहुंचाया है. नवीनतम रिपोर्ट के अनुसारइस बाढ़ से मत्स्य विभाग को लगभग 8.25 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. हिमाचल की इस बाढ़ ने न केवल मत्स्य उत्पादन व्यवसाय को प्रभावित किया हैबल्कि प्रति मछली पालक किसान को 5 से 15 लाख रूपये तक का नुकसान पंहुचाया है. जानकरी देते हुए सहायक निदेशक एवं कार्यकारी उपनिदेशक मत्स्य मुख्यालय बिलासपुर पंकज ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की इस बाढ़ से विभाग को करीब 8.25 करोड़ की क्षति पहुंची है. विभाग के लिए यह नुकसान काफी भयानक है, और मत्स्य विभाग को संभावित रूप से पूरी तरह से पुनर्स्थापित होने में वर्षों लग सकते हैं. उन्होंने बताया कि विभाग के कई फार्म बर्बाद हो चुके हैं.  इनमें से कुल्लू में स्थित हामनी फार्मपतलिकुहल फार्मबटाहड़ हैचरी को भारी नुकसान पहुंच है. जबकि मंडी में बरोट फार्मजोगिंदरनगर फार्मजंझेली फार्म और सांगला फार्म में मछलियाँ पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है. जहां लाइव स्टॉक की भारी मात्रा खत्म हो गई है. कुल्लू और मंडी में बरोट फार्मों में भी मछली नष्ट हो चुकी है.

लासपुर और सोलन के भवन ध्वस्त

इस बाढ़ से हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग की बिलासपुर और सोलन की बिल्डिंगें भी ध्वस्त हो गई हैं. इन आपदाओं ने बिलासपुर और सोलन के विभागीय आवासों को भी नुकसान पहुंचाया हैजहां पानी के भर जाने से कंप्यूटर समेत अन्य जरूरी सामग्री भी खराब हो गई है.

Flood Disaster
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प्रदेश के मत्स्य पालक हुए बर्बाद

इस त्रासदी से न केवल मत्स्य विभाग बल्कि निजी तौर पर मछली पालन कर रहें किसानों को भी नुकसान पहुंचा है. आपकों बता दें प्रदेश में लगभग 1000 से भी अधिक किसान मत्स्य पालन करते हैं. जिनमें से 40 से 50 फीसदी किसानों को आर्थिक रूप से क्षति हुई है. कई किसानों के ट्राउट मछली के बीज खराब हो चुकें हैं. मत्स्य विभाग और सरकारी संगठनों को इस महामारी के सामर्थ्य और पुनर्स्थापना की जरूरत को समझकर आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है. यह बाढ़ के नुकसान का आंकड़ा वास्तविक रूप से करोड़ों रुपये में हैऔर इसका प्रभाव किसानों और मत्स्य उत्पादन व्यवसाय के अलावा प्रदेश की आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण है. इसलिएसरकार और संबंधित विभागों को शीघ्रतापूर्वक कदम उठाने की जरूरत है ताकि नुकसान प्राप्त किसानों को संघर्ष करने में मदद मिल सके और मत्स्य उत्पादन क्षेत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें. विशेष रूप से ट्राउट मछली पालन करने वालों को इस आपदा के कारण 3 से 10 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. ये नुकसान उन किसानों के लिए अत्यंत दुखद हैजो अपने मेहनत और निवेश के बावजूद इस व्यापार में काफी प्रगति कर रहे थे.

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हिमाचल के 1323 ट्राउट फिश फार्म प्रभावित होने की सम्भावना  

ट्राउट (Trout Fish) मत्स्य उत्पादन व्यवसाय हिमाचल प्रदेश की प्रमुख आर्थिक गतिविधियों में से एक हैऔर यहां के किसानों के लिए मत्स्य पालन व्यवसाय आय का महत्वपूर्ण स्रोत है. यह नुकसान किसानों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैजबकि यह प्रदेश के आर्थिक विकास पर भी बुरा प्रभाव डालेगा. आपकों बता दें हिमाचल में 1323 ट्राउट (Trout fish) मछली के फार्म स्थापित हैं. जिनका संचालन हिमाचल के 694 मतस्य पालक कर रहे हैं, इस बाढ़ ने काफी अधिक संख्या में मत्स्य पालन कर रहें किसानों को प्रभावित किया है. जिसमें प्रदेश के किसानों के नुकसान का आकंडा 10 से 20 करोड़ रूपये तक पहुँचने की सम्भावना जताई जा रही है.

किसानों को सरकार से मुआवजे की उम्मीद

इस आपदा के कारण नुकसान प्राप्त करने वाले किसानों को सरकार से उम्मीद है कि सरकार उनकी मदद करें. किसानों की मांग है कि सरकार को उनके इस आर्थिक संकट को समझने और उन्हें आर्थिक रूप से संभलने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता उपलब्ध करानी चाहिए. साथ ही सरकार किसानों के लिए वित्तीय योजनाएं शुरू करें और उन्हें उचित बीमा नीतियों की सलाह देंजिससे वे भविष्य में आपदाओं के खिलाफ सुरक्षित रह सकें. मत्स्य पालन में सरकार द्वारा बीमा नीतियों का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि प्रभावित किसानों को सहायता मिल सके और मत्स्य उत्पादन क्षेत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए सामर्थ्य विकसित किया जा सके.

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ट्राउट मछली पालन सुरक्षा हेतु बनाएं नीतियाँ

प्रदेश सरकार को ट्राउट मछली पालन व्यवसाय को बारिश और बाढ़ जैसी आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए और अनुकूलताएं उपलब्ध कराने के लिए अधिक सुरक्षा उपायों की व्यवस्था की जानी चाहिए. सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूती देने और फार्मों की ढांचे में सुधार करने के लिए मत्स्य विभाग को सहायता प्रदान करनी चाहिए. इस संकट के बावजूदहिमाचल प्रदेश के मत्स्य पालन किसानों ने अपार साहस और मेहनत दिखाई है. उन्हें सरकारी सहायता और समर्थन की आवश्यकता है ताकि वे इस आपदा से उभरकर अपने व्यवसाय को पुनर्स्थापित कर सकें और आने वाले समय में मजबूत हो सकें. विभागों को सहयोग करके और एकत्र होकर इस विपणन के साथ निपटने के लिए विशेष मदद और ध्यान देना चाहिए.

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किसानों को मिले विभागीय सहायता और सलाह

ट्राउट मछली के बीजों के नुकसान को कम करने के लिएकिसानों को विभागीय सहायता और सलाह प्रदान की जानी चाहिए. विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करनी चाहिएताकि किसान बेहतर उत्पादन तकनीकों का उपयोग कर सकें और नुकसान को कम कर सकें.

इसके आलावा सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिएजिससे वे नए बीजों की खरीद पर आर्थिक बोझ कम कर सकें. इसके अलावाकिसानों को बीमा नीतियों की सलाह दी जानी चाहिएताकि वे अनुपातिक परिवर्तन और आपदा के मामलों में सुरक्षित रह सकें.

English Summary: Flood Disaster Fishermen ruined by the terrible floods in Himachal, the fisheries department lost 8.25 crores Published on: 19 July 2023, 11:51 AM IST

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