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जापानी इंसेफ्लाइटिस के खात्मे में मदद करेंगी एजोला घास

हर साल उत्तर प्रदेश और बिहार में कहर बरपाने वाली जापानी इंसेफेलाइटिस का खात्मा अब घास के सहारे होगा. जी हां यह बिल्कुल सही है इस घास का नाम है एजोला घास. दरअसल रिजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञ एजोला घास के सहारे इंसेफेलाइटिस के कारक मच्छरों का खात्मा करने में काफी सहायक होंगे.

किशन
किशन
Anzola grass
हर साल उत्तर प्रदेश और बिहार में कहर बरपाने वाली जापानी इंसेफेलाइटिस का खात्मा अब घास के सहारे होगा. जी हां यह बिल्कुल सही है इस घास का नाम है एजोला घास. दरअसल रिजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञ एजोला घास के सहारे इंसेफेलाइटिस के कारक मच्छरों का खात्मा करने में काफी सहायक होंगे. इसके लिए गोरखपुर और देवरिया में इंसेफेलाइटिस के संवेदनशील गांवों का चयन किया गया है. बता दें कि जापानी इंसेफेलाइटिस बच्चों में फ्लेवी वायरस से हो रहा है. इस वायरस का वाहक सूअर या बगुला होता है. इंसानों को यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है. जब भी मच्छर और सूअर या बगुला खून को चूसता है तो यह वायरस उसके शरीर में आ जाते है.

धान के खेत से आता है मच्छर

मादा क्यूलेक्स मच्छर सिर्फ धान के खेतों में रूके हुए पानी में ही अंडे देती है. इसी वजह से ऐसे गांवों में बीमारी का प्रकोप सबसे ज्यादा है जहां गांव की सीमा से सटे धान के बड़े खेत होते है. यह मच्छर धान करे खेतों में ही रूके पानी में पनपते जाते है.

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एजोला है कई फायदें

एजोला घास के काफी ज्यादा फायदे होते है. इसके कारण खेत में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे धान का उत्पादन 15 फीसदी तक बढ़ सकता है, दुधारू पशुओं को यह घास खिलाने से दूध का उत्पादन बढ़ जाता है. किसान इसका प्रयोग मुर्गीपालन और मछलीपालन में भी कर सकते है. यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद घास होती है. एजोला एक जलीय पौधा है. यह शैवाल से मिलती जुलती फर्न होती है. इसकी पखुड़ियों में एनाबिना पाई जाती है. यह क्लोरोफिल की तरह से सूर्य के प्रकाश का संश्लेषण करके नाइट्रोजन का उत्पादन करती है.

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जानलेवा है इंसेफेलाइटिस

यह एक जानलेवा बीमारी होती है. इसमें बच्चों में बुखार काफी तेज होता है. यह बुखार सात से 14 दिन तक रहता है. यह सिर और मांसपेशियों में दर्द होने के साथ ही शरीर पर दाने निकल आते है. कई बार तो मरीजों को झटका भी आता है. बीमारी के बढ़ने पर मरीज के शरीर में महत्वपूर्ण अंग के कामों पर भी असर पड़ता है. इससे मरीज की भी मौत हो सकती है. पूर्वाचंल के 32 जिलों के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश और नेपाल में 47 साल से इंसेफेलाइटिस कहर बरपा रही है. यह बीमारी ज्यादातर 16 वर्ष से कम उम्र के किशोरों और बच्चों को अपनी चपेट में ले लेती है.

English Summary: This serious disease will be overcome with the help of azola grass Published on: 27 August 2019, 01:54 IST

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