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Millets : भारत में मोटे अनाज की वास्तविक स्थिति और सच

Millets की खेती में आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक प्रगति तक पहुंच नहीं होती बल्कि सही तथ्य यह है कि Millets की खेती आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक प्रगति से लाभान्वित है. बीज किस्मों, सटीक कृषि, रिमोट सेंसिंग और कृषि मशीनरी में नवाचार विकसित किए जा रहे हैं और Millets की खेती में सफलतापूर्वक लागू भी किए जा रहे हैं.

Ashwini Wankhade
Many government schemes are going on for millets in India
Many government schemes are going on for millets in India

हर साल संयुक्त राष्ट्र विशेष रूप से समर्पित एक विशेष मुद्दे, समस्या और विषय पर काम करता है. इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को Millets का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है. ऐसा इसलिए किया गया ताकि Millets की फसल के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और इस तरह दुनिया में इसके पोषण संबंधी लाभों को भी बढ़ावा दिया जा सके. इसीलिए कृषि जागरण द्वारा शुरु किए गए Agriculture Media literacy Program के 3rd Episode का विषय भी ‘मिलेट्स है यानि की मोटा अनाज जिसके अंतर्गत बाजरा, ज्वार, रागी, सांवा, कोदो, कुटकी, छोटी और हरी कंगनी शामिल है’ तो वहीं Millets के तहत निर्धारित लक्ष्यों और उसकी वास्तविक रूपरेखा का अवलोकन करने का भी प्रयास किया गया.

Production of millets is necessary for food revolution
Production of millets is necessary for food revolution

भले ही संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को international millets year घोषित कर दिया हो लेकिन फिर भी कई किसानों के मन में millets को लेकर कुछ गलतफेहमियां हैं जैसे सरकार Millets पर किसानों का कोई नियंत्रण नहीं रखती, लेकिन हकीकत में, सरकार कई कानूनी और नीति दिशा निर्देशों के माध्यम से Millets फसलों के दामों पर नियंत्रण रखती है. सरकार इन फसलों के दामों को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य उपायों का भी समर्थन प्रदान करती है. तो वहीं कुछ किसानों के मन में यह भ्रम होता है कि Millets पर MSP केवल सरकारी मंडी में ही उपलब्ध होता है. हकीकत में, MSP सभी भागीदारी मंडियों, सरकारी और गैर-सरकारी मंडियों में लागू है. इसका मकसद किसानों को न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करना होता है और उन्हें न्यायपूर्वक मुनाफा प्राप्त करने में मदद करना होता है.

तो वहीं Millet को लेकर यह भ्रांतियां भी फैलाई जाती है कि Millet गरीब आदमी का भोजन है और आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है. बल्कि ऐसा नहीं होता है, कि Millet सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत लोगों के लिए है, Millet ने तो बाजरा-आधारित उत्पादों के लिए बढ़ते बाजार का निर्माण करते हुए स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रियता हासिल की है. तो वहीं कुछ लोगों को ये गलतफहमी होती है कि Millets उगाना काफी मुश्किल है और इसके लिए विशेष कृषि तकनीक की आवश्यकता होती है. बल्कि ऐसा नहीं है, वास्तव में Millets विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियों के लिए अपने लचीलेपन और अनुकूलन क्षमता के लिए जाना जाता है, जिसमें तो कम निवेश की आवश्यकता होती है और कुछ अन्य फसलों की तुलना में कीटों और बीमारियों के प्रति Millets कम संवेदनशील हैं.

Millets are useful for every living being
Millets are useful for every living being

इसी के साथ कुछ लोगों को यह भी भ्रम होता है कि Millets आधुनिक कृषि पद्धतियों और मशीनरी के लिए उपयुक्त नहीं है. लेकिन यह बिल्कुल गलत है.... Millets, पारंपरिक और आधुनिक कृषि तकनीकों दोनों का उपयोग करके उगाया जा सकता है. हालांकि, जैविक खेती और संरक्षण कृषि जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को एकीकृत करने से उनकी उत्पादकता और पर्यावरणीय स्थिरता में वृद्धि हो सकती है. तो वहीं कुछ का ये कहना है कि Millets उपभोक्ताओं के बीच उच्च मांग में नहीं आता है, जिससे उसकी क्षमता सीमित हो गई है. जबकि ये बिल्कुल गलत है, millet के पोषण लाभों और लस मुक्त आहार के लिए उपयुक्तता के कारण Millets की मांग काफी बढ़ रही है और उपभोक्ता तेजी से Millets आधारित उत्पादों की मांग कर रहे हैं, जिससे बाजार में अनेकों अवसर भी पैदा हो रहे हैं.

वहीं कुछ मानते हैं कि millet में अन्य अनाजों की तुलना में महत्वपूर्ण पोषण नहीं होता है. जो कि पूरी तरह से गलत है, Millets अत्यधिक पौष्टिक, फाइबर, खनिज (जैसे आयरन और कैल्शियम) साथ ही एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं. उन्हें कम ग्लाइ सेमिक इंडेक्स के लिए जाना जाता है, जो मधुमेह के प्रबंधन और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए फायदेमंद साबित हुआ है.

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साथ ही Millets पुराने जमाने का और कम चलन वाला भी माना जाता है, खासकर युवा पीढ़ियों के बीच. लेकिन Millets तो अब स्थायी और स्वस्थ खाद्य आंदोलन के एक भाग के रूप में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है और इसे अब "स्मार्ट खाद्य पदार्थ" माना जाता है, विशेष रूप से स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्तियों और युवा पीढ़ी के बीच ये ट्रेंडी होता जा रहा है. 

Food made of millets will be given in mid-day meal also
Food made of millets will be given in mid-day meal also

तो वहीं कुछ का कहना होता है कि Millets का उपयोग व्यावसायिक खाद्य उत्पादों के उत्पादन में नहीं किया जा सकता है. जो कि गलत है, Millets का उपयोग वाणिज्यिक खाद्य उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के उत्पादन में किया जा सकता है, जिसमें बेकरी आइटम, नाश्ता अनाज, स्नैक्स और पेय पदार्थ शामिल हैं. गौरतलब है कि खाद्य उद्योग विविध उपभोक्ता प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न नवीन बाजरा-आधारित उत्पादों की खोज भी कर रहा है.

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साथ ही कुछ लोगों का यह कहना होता है कि Millets कीटों और बीमारियों से ग्रस्त है, जिसकी उन्हें खेती करने में काफी मुश्किलें आती हैं. लेकिन ऐसा नहीं होता है Millets में कुछ फसलों की तुलना में प्राकृतिक कीट और रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग की आवश्यकता कम हो जाती है जो उचित फसल प्रबंधन अभ्यास और कीट नियंत्रण उपाय किसी भी संभावित जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं.

Government will bring many more schemes of millets
Government will bring many more schemes of millets

तो वहीं कुछ किसान यह भी मानते हैं कि Millets को सिंचाई के लिए अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है, जिससे वे पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए अनुपयुक्त हैं. लेकिन सच तो कुछ और ही है. Millets पानी की कमी के प्रति अपने लचीलेपन के लिए जाना जाता है साथ ही शुष्क भूमि और वर्षा-सिंचित कृषि प्रणालियों में पनप सकता है, जिससे वे जल-तनाव वाले क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त हो जाता है.  वहीं कुछ लोग मानते हैं कि बाजरा, ज्वार, रागी, सांवा, कोदो, कुटकी इन सबको पकाने में अधिक समय लग जाता है और इसे तैयार करना कम सुविधाजनक है. जबकि ऐसा नहीं है बाजरे में बाकि अनाज की तुलना में भले ही पकते समय थोड़ा अधिक समय लगता हो लेकिन ये बिल्कुल भी असुविधाजनक नहीं है

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वहीं Millets को लेकर एक ये भी misconception है कि Millets मोटी बनावट का होता है और अनाज की तुलना में कम स्वादिष्ट होता है. जबकि ऐसा नहीं है. Millets को विभिन्न रूपों में संसाधित किया जा सकता है, जैसे कि आटा, गुच्छे और सूजी, जिनका उपयोग व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला में किया जा सकता है. विभिन्न पाक वरीयताओं के अनुरूप उनकी बनावट को संशोधित किया जा सकता है. तो वहीं एक ये भी मिथक है कि Millets की शेल्फ लाइफ कम होती है और इसके खराब होने का खतरा बना रहता है. जबकि ऐसा नहीं है. उचित भंडारण तकनीक और पैकेजिंग Millets के शेल्फ जीवन को बढ़ा सकते हैं. वैक्यूम-सीलबंद पैकेजिंग, ठंडी और शुष्क परिस्थितियों में भंडारण खराब होने से बचाने और गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करता है. 

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तो वहीं एक और सबसे बड़ा मिथक है कि Millets सरकारी कृषि नीतियों और सब्सिडी में शामिल नहीं है. जो कि पूरी तरह से गलत है. Millets को अब उनकी खेती, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी कृषि नीतियों, सब्सिडी और योजनाओं में शामिल किया जा रहा है. भारत के विभिन्न राज्यों ने बाजरा प्रोत्साहन कार्यक्रम और नीतिगत हस्तक्षेप शुरू कर दिए हैं.

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वहीं दूसरी तरफ कुछ किसान कहते हैं कि Millets के पास सीमित सरकारी समर्थन और सब्सिडी है जबकि ऐसा नहीं है, Millets की खेती को अन्य फसलों की तुलना में पर्याप्त और सीमित सरकारी समर्थन या सब्सिडी नहीं मिलती. हालांकि, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सरकारों ने Millets के महत्व को पहचाना है और Millets की खेती, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं, सब्सिडी और प्रोत्साहनों की शुरुआत की है.

Government will promote all types of millets
Government will promote all types of millets

तो वहीं कुछ का मानना है कि Millets की खेती श्रम प्रधान है, यानि कि Millets की खेती के लिए अत्यधिक शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है, जिससे मशीनीकृत खेती की तुलना में यह कम आकर्षक हो जाती है. जबकि निराई और कटाई जैसे कुछ कार्यों में शारीरिक श्रम की आवश्यकता हो सकती है, उपयुक्त मशीनरी और उपकरणों का उपयोग श्रम आवश्यकताओं को काफी कम कर सकता है और Millets की खेती के संचालन में दक्षता बढ़ा सकता है.

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वहीं कुछ किसानों को यह भ्रम होता है कि Millets में अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए अत्यधिक उर्वरक प्रयोग की आवश्यकता होती है. बल्कि सही तथ्य तो यह है कि Millets आम तौर पर कम लागत वाली फसल हैं लेकिन इसमें अत्यधिक उर्वरक लगाने की आवश्यकता नहीं होती. वे कम पोषक तत्व वाली मिट्टी की स्थिति में पनप सकती है और साथ ही यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक करने की क्षमता रखती है, जिससे सिंथेटिक उर्वरकों पर निर्भरता कम हो जाती है.

Millets will reach every household, the government is running the scheme
Millets will reach every household, the government is running the scheme

वहीं कुछ कहते हैं कि Millets की खेती में आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक प्रगति तक पहुंच नहीं होती बल्कि सही तथ्य यह है कि Millets की खेती आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक प्रगति से लाभान्वित है. बीज किस्मों, सटीक कृषि, रिमोट सेंसिंग और कृषि मशीनरी में नवाचार विकसित किए जा रहे हैं और Millets की खेती में सफलतापूर्वक लागू भी किए जा रहे हैं. फिर यह कहना बिल्कुल गलत है कि Millets की खेती में आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक प्रगति तक पहुंच नहीं है.

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वहीं कुछ कहते हैं कि Millets की फसलों को काटना चुनौतीपूर्ण हो जाता है और इसके लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है. लेकिन हमने जब Analysis किया तो ये पाया कि Millets की फ़सलों की कटाई कंबाइन हार्वेस्टर, रीपर या मैन्युअल रूप से सहित मानक कृषि उपकरणों का उपयोग करके की जा सकती है और साथ ही कटाई की जो तकनीक है वह बाजरे की किस्म और स्थानीय परिस्थितियों पर भी निर्भर करती है.

Millets are also useful for animals
Millets are also useful for animals

ये हैं मिलिट से जुड़ी कुछ गलत धारणांए या कुछ misinformation जो किसानों के बीच बेहद प्रचलित है जिसे दूर करना आज के समय में बेहद जरुरी हो गया है और किसानों को यह भी जानना जरुरी है कि Millets अत्यधिक पौष्टिक और जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति लचीला है, साथ ही यह टिकाऊ कृषि और खाद्य सुरक्षा में योगदान देने की क्षमता रखता है. Millets को बढ़ावा देने, साथ ही जागरूकता अभियानों, अनुसंधान और नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से Millets पर फैल रही इन गलत धारणाओं को दूर करने के प्रयास आगे भी किए जाएंगे.

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अगर आपको Agriculture Media literacy Program के तहत Millets की ये जानकारी पसंद आई है तो हमारे farmer the journalist Youtube चैनल को subscribe करें साथ ही कृषि जागरण के ऑफिशियल फेसबुक पेज को follow करें, वीडियों को लाइक करें, ताकि आप हमारी नई अपडेट्स और आने वाले लाइव शो के बारे में जल्दी से जानकारी प्राप्त कर सकें, साथ ही अगर आपको हमसे कुछ पूछना है या आज के ही विषय के बारें में आपको कुछ जानना हो तो आप हमारी Official mail id- factcheck@krishijagran.com पर मेल कर सकते हैं या फिर आप हमारे WhatsApp number 9818896285 पर WhatsApp मैसेज कर सकते हैं और इसके अलावा आप हमारी Official Facebook Id  Krishi jagran पर भी संपर्क कर सकते हैं.

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साथ ही किसानों के बीच कृषि क्षेत्र के विषय से संबंधित भ्रांतियां और गलत व्याख्याएं प्रचलित होना काफी सामान्य होता जै रहा है. इन भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है ताकि किसानों को कृषि के लाभ का सही रूप से उपयोग करने का अवसर प्राप्त हो सके. इसीलिए हर शनिवार, फेसबुक और यूट्यूब के माध्यम से हमारे साथ शाम 6:30 बजे लाइव जुड़ें.

जहां कृषि से जुड़े हर एक मुद्दे पर निर्धारित लक्ष्यों और उसकी वास्तविक रूपरेखा का अवलोकन करने का प्रयास किया जाएगा. और हां अब से अपने देश में उत्पादित खाद्य पदार्थों का ही इस्तेमाल करें और देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करें. स्वदेशी खाएं और देश बनाएं. आप इन्ही सन्दर्भों की विस्तृत जानकारी दिए गए लिंक के माध्यम से भी ले सकते हैं. 

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English Summary: Millets The real status and truth of coarse grains in India Published on: 31 May 2023, 10:47 PM IST

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