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मिलेट्स को अपनी थाली में फिर देनी होगी जगह

- खेती के मामले में मिलेट्स यानि मोटे अनाज जैसी शुष्क भूमि वाली फ़सलों को सबसे ज़्यादा उगाए जाने वाले अनाज, गेहूं और चावल की तुलना में कम पानी की ज़रूरत होती है, जलवायु परिवर्तन के बीच संभवतः मिलेट्स ही वो फसलें हैं जो भविष्य की हमारे पोषणयुक्त खाने की ज़रूरतों को पूरा करेंगी.

मोहम्मद समीर
मोहम्मद समीर
थाली में फिर दें मोटे अनाज को जगह
थाली में फिर दें मोटे अनाज को जगह

प्रिय पाठकों... नमस्कार!

उम्मीद करता हूँ कि आप सब अपनी-अपनी जिंदगी में बेहतर कर रहे होंगे. जैसा कि हम सब जानते हैं कि साल 2023 को दुनिया मिलेट इयर के रूप में सेलिब्रेट कर रही है और ये सेलिब्रेशन भारत की कोशिशों का नतीजा है. लेकिन इसे सिर्फ़ उत्सव के रूप में मना लेने मात्र से हम अपने पोषण, खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्थान का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते हैं. इसके लिए ज़रूरी है कि दुनिया के प्राचीनतम अनाज मिलेट्स को दोबारा हमारी थाली का हिस्सा बनाया जाए. मिलेट्स ग्लूटेन फ़्री अनाज हैं और खेती के मामले में मिलेट्स जैसी शुष्क भूमि वाली फ़सलों को सबसे ज़्यादा उगाए जाने वाले अनाज, गेहूं और चावल की तुलना में कम पानी की ज़रूरत होती है, जलवायु परिवर्तन के बीच शायद मिलेट्स ही वो फसलें हैं जो भविष्य की हमारे पोषणयुक्त खाने की आवश्यकताओं को पूरा करेंगी.

इसलिए किसानों को वो तमाम सुविधाएँ मिलनी चाहिए जिससे वो फिर से मिलेट्स जैसे- ज्वार, बाजर, रागी या मंडुआ (फिंगर मिलेट), लघु मिलेट जैसे- कुटकी, सावा या झंगों (बार्नयार्ड मिलेट), कांगनी या काकुन (फॉक्सटेल मिलेट), चीना (प्रोसो मिलेट), कोदो और कोराले (ब्राउन टॉप मिलेट) की खेती की ओर मुड़ सकें. हालांकि भारत सरकार इसको लेकर गंभीर है और हर स्तर पर मिलेट्स को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है,

लेकिन हमारे खाने की आदतों में मिलेट्स की वापसी तभी संभव होगी जब आम लोग गेहूँ, चावल की अपेक्षा अपने खाने में इसे तरजीह देंगे. मिलेट्स को अपने खाने में शामिल करने से हमें न सिर्फ़ स्वास्थ्य लाभ होगा बल्कि हमारे किसान आर्थिक रूप से सशक्त होंगे.

ये भी पढ़ेंः कृषि जागरण के मिलेट्स विशेष संस्करण का केंद्रीय मंत्री ने किया अनावरण, कहीं ये अहम बातें

आइये हम सब मिलकर ये संकल्प लेते हैं कि मिलेट्स को फिर से अपनायेंगे, स्वस्थ खाना खायेंगे और सेहतमंद जीवन बितायेंगे.

मोहम्मद समीर

जर्नलिस्ट, कृषि जागरण

English Summary: we need to get back towards millets Published on: 17 January 2023, 05:48 IST

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