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Paddy Crop Management: धान की खेती में कीट और रोग का प्रकोप? प्रबंधन के लिए जानिए रामबाण तरीका

अगस्त के महीने से ही धान की खेती में अत्यधिक कीट और रोगों का प्रकोप होना शुरू हो जाता है, इसलिए खरीफ सीजन में किसान भाइयों को यह जानने की बेहद जरूरत है कि फसलों में रोग कौन-सा है और उससे कैसे निपटारा किया जाए.

रुक्मणी चौरसिया
धान की खेती में कीट और रोग प्रबंधन
धान की खेती में कीट और रोग प्रबंधन

धान की खेती (Paddy Cultivation) में रोपाई के बाद कीट और रोग लगने के आसार बढ़ जाते हैं, जिस पर किसानों को ध्यान देने की बेहद आवयशकता है. भारत में इसकी रोपाई का समय जुलाई होता है, जिसके बाद किसानों को अगस्त महीने में ख़ासा ध्यान देने की जरूरत है.

धान में रोपाई (Rice Transplanting) के बाद लगने वाले कीटों और रोगों में लीफ ब्लास्ट, नैक ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट, ब्राउन स्पॉट, फॉल्स स्मट, शीथ रॉट, स्टेम रॉट, फुट रॉट और राइस टंगरों रोग शामिल हैं.

लीफ ब्लास्ट (Leaf Blast)

  • लीफ ब्लास्ट रात के कम तापमान, उच्च सापेक्ष आर्द्रता और पत्ती के अधिक गीलेपन और ज्यादा नाइट्रोजन की वजह से होता है.

  • यह रोग सिंचित और पहाड़ी पारिस्थितिक तंत्र में एक गंभीर समस्या है.

  • उत्तर और उत्तर-पूर्वी भारत के उच्च वर्षा क्षेत्रों में यह रोग जून से सितंबर के दौरान पनपता है.

  • पश्चिमी और मध्य भारत में यह रोग अगस्त से अक्टूबर के दौरान होता है.

  • दक्षिणी भारत में यह नवंबर-फरवरी के दौरान होता है.

  • खरीफ मौसम के दौरान, यह रोग भारत में चावल उगाने वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में अपना आतंक मचाता है.

  • इसका इलाज ट्राईसाइक्लाज़ोल, कार्बेन्डाजिम, कारप्रोपामाइड, आइसोप्रोथियोलेन, इप्रोबेनफॉस, प्रोपिकोनाज़ोल और कसुगामाइसिन-बी 3 एसएल के छिड़काव से करें.

फॉल्स स्मट (False Smat)

  • खरीफ सीजन में धान की खेती के पोस्ट फ्लॉवरिंग बाद यह एक बड़ी रोग के रूप में उभरा है.

  • इस रोग का प्रकोप विशेष रूप से संकर किस्मों पर अधिक होता है. यह रोग अक्सर धान के खेतों में तब लगता है जब वर्षा अधिक होती है या गीलापन ज्यादा होता है.

  • यह हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इस रोग के मामले अधिक हैं.

  • फूल आने पर प्रोपिकोनाज़ोल, क्लोरोथालोनिल या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव जरूर करें.

ब्राउन स्पॉट (Brown Spot)

  • ब्राउन स्पॉट मुख्य रूप से खरीफ मौसम के दौरान विशेष रूप से ऊपरी और पहाड़ी क्षेत्रों में होता है.

  • यह रोग झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के तराई क्षेत्र, उड़ीसा, असम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और पंजाब में प्रमुख हैं.

  • इसका निपटारा कार्बेन्डाजिम, मैनकोज़ेब, कार्बेन्डाजिम या मैंकोजेब के छिड़काव से किया जा सकता है.

शीथ ब्लाइट (Sheath Blight)

  • खरीफ सीजन में तटीय और उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में शीथ ब्लाइट एक गंभीर समस्या है.

  • यह रोग ज्यादातर उन क्षेत्रों में होता है जहां सापेक्षिक आर्द्रता बहुत अधिक, तापमान मध्यम और नाइट्रोजन का उपयोग अधिक होता है.

  • यह रोग आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में मध्यम से गंभीर रूप में प्रचलित है.

  • इससे निपटने के लिए वैलिडामाइसिन 3 एल, थिफ्लुज़ामाइड 24 एससी, हेक्साकोनाज़ोल 5 ईसी या प्रोपिकोनाज़ोल के छिड़काव से करें.

नेक ब्लास्ट (Neck Blast)

  • धान की फसलों में नेक ब्लास्ट अधिकतर आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, हिमाचल, कर्नाटक, उड़ीसा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में होता है.

  • इसके लिए आप ट्राईसाइक्लाज़ोल, कारप्रोपामाइड और आइसोप्रोथियोलेन के स्प्रे से करें.

English Summary: Insect and disease outbreak in paddy cultivation, Know the panacea for management Published on: 28 July 2022, 05:21 PM IST

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