1. Home
  2. विविध

जानें वट सावित्री व्रत की पूजा का सही महत्त्व, तिथि एवं सही समय

मान्यताओं के आधार पर पति की लम्बी आयु के लिए सभी विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं. इस व्रत के लिए तिथि और समय भी पूर्व निर्धारित होता है. जिसके आधार पर ही पूजा संपन्न की जाती है.

प्रबोध अवस्थी

भारत में सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए कोई न कोई व्रत करती रहती हैं. इन सभी व्रतों के पीछे कोई न कोई पौराणिक कहानी या आस्था जुड़ी हुई होती है. सनातन धर्म में ऐसे बहुत से व्रत और त्यौहार हैं जिनकों हम कई शताब्दियों से मनाते चले आ रहे हैं. हमारी यही आस्था उस त्यौहार या व्रत को करने में हमें मानसिक और शारीरक शक्ति प्रदान करती है. यह व्रत और त्यौहार ही होते हैं जो हमें एक दूजे के लिए विश्वास की भावना को मज़बूत करते हैं. ऐसी ही पौराणिक कथाओं की आस्था का प्रमुख बिंदु है यह वट सावित्री व्रत का व्रत.

सुहागिनें क्यों करती हैं यह व्रत

मान्यताओं के आधार पर पति की लम्बी आयु के लिए सभी विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं. सभी विवाहिताओं के लिए प्रमुख माने जाने वाले इस व्रत में सभी पत्नियां वट वृक्ष की पूजा के लिए तैयार होने से पहले ही कई तरह के पकवान बना कर वृक्ष को भोग लगाती हैं. इस व्रत के लिए तिथि और समय भी पूर्व निर्धारित होता है. जिसके आधार पर ही पूजा संपन्न की जाती है.

2023 वट सावित्री व्रत पूजा की सही तिथि एवं समय

सनातन धर्म में सभी प्रमुख त्यौहार किसी विशेष तिथि और समय पर ही मनाये जाते हैं. इस वर्ष वट सावित्री व्रत की पूजा का सही समय और तिथि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या निर्धारित है. अपने दाम्पत्य जीवन के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ इस दिन यह निर्जला व्रत रखा जाता है. इस वर्ष यह तिथि 19 मई 2023, शुक्रवार को होगी. सभी महिलाएं इस दिन ही व्रत को पूर्ण करेगीं.

पूजा मुहूर्त - सुबह 07:19 से सुबह 10:42 तक

क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कथा

इससे जुड़ी हुई पौराणिक कथा में अपने पति धर्म के बल पर देवी सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांग लिए थे. देवी सावित्री की आस्था देख कर  यमराज ने उनके पति सत्यवान के प्राणों को पुनः वापस किया. जिसके चलते सावित्री के पति को पुनः लम्बी आयु का वरदान प्राप्त हुआ. इसी आस्था के चलते आज भी सभी विवाहिताएं अपने पति की लम्बी आयु की कामना के लिए इस व्रत को करती हैं. इस व्रत में सभी सुहागिनें पूरे शृंगार के साथ बरगद के वृक्ष की पूजा करने जाती हैं.

वर्तमान में इस पूजा के कुछ ट्रेंड में बदलाव आया है. अब महिलायें बरगद की डाली को घर के गमले में लगा कर पूजा कर लेती हैं. जिसे पहले केवल वट वृक्ष के पास जाकर ही करते थे. 

यह भी देखें- बरगद की छाल का काढ़ा है बेहद फायदेमंद, जानें इसके ढेरों फायदे

English Summary: Know the exact importance date and right time of worship of Vat Savitri Vrat Published on: 10 April 2023, 06:20 PM IST

Like this article?

Hey! I am प्रबोध अवस्थी. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News