Honey Export: शहद का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है. अब किसानों को शहद का बेहतर दाम मिलेगा. जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा होगा. दरअसल, सरकार ने प्राकृतिक शहद पर इस साल दिसंबर तक 2 हजार डॉलर प्रति टन का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) लगाया. यानी इस मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस से नीचे शहद निर्यात (Honey Export) की अनुमति नहीं दी जाएगी. सरकार के इस फैसले से साफ तौर पर किसानों को फायदा होगा और उन्हें शहद का बेहतर दाम मिल पाएगा.
इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, प्राकृतिक शहद (Natural Honey) का निर्यात पहले मुफ्त रहा है. ऐसे में अब इस पर 2 हजार डॉलर प्रति टन का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) लगाया गया है. जो 31 दिसंबर, 2024 तक या अगले आदेश तक लागू किया जाता है.
15 करोड़ 32.1 लाख डॉलर का निर्यात
बता दें कि वित्त वर्ष (2023-24) में अप्रैल-जनवरी के दौरान प्राकृतिक शहद (Natural Honey) का निर्यात 15 करोड़ 32.1 लाख डॉलर का हुआ. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह राशि 20.3 करोड़ डॉलर थी. अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख निर्यात गंतव्यों में भी शामिल हैं.
किसानों को मिलेगा बेहतर दाम
‘कनफेडरेशन ऑफ एपिकल्चर इंडस्ट्री' ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. संस्था के एक एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सरकार के इस फैसले से किसानों को अच्छा दाम मिलेगा. उन्होंने कहा कि शहद निर्यातकों (Honey Exporters) के बीच की प्रतिस्पर्धा के कारण शहद कम दाम पर निर्यात किया जा रहा था. शहद निर्यातक सस्ते दाम पर किसानों से शहद खरीद रहे थे. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. सरकार के इस फैसले के बाद किसानों को शहद का बेहतर दाम मिलेगा. उन्होंने बताया कि निर्यातकों को वर्ष 2022-23 में शहद निर्यात (Honey Export) के लिए लगभग 3 हजार डॉलर प्रति टन का दाम मिलता था, जो आपस की प्रतिस्पर्धा की वजह से मौजूदा समय में घटकर 1,400 डॉलर प्रति टन रह गया है.
लेकिन पिछले महीने वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, राजेश अग्रवाल (जिनके अंतर्गत डीजीएफटी आता है) के साथ हुई सीएआई के शहद उत्पादक किसानों और शहद निर्यातकों की बैठक में यह परस्पर सहमति बनी कि एमईपी लगाये जाने के बाद निर्यातकों को शहद ऊंचे दाम पर बेचना होगा और अधिक कीमत मिलने पर उन्हें किसानों को अधिक भुगतान करना होगा.
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) में अप्रैल-जनवरी के दौरान प्राकृतिक शहद के निर्यात से प्राप्ति 2022-23 के 20.3 करोड़ डॉलर के मुकाबले घटकर 15 करोड़ 32.1 लाख डॉलर रहने की वजह निर्यातकों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण कम दाम पर शहद निर्यात करने की होड़ थी.
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