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अब विदेशी भी चखेंगे लंगड़ा आम, बनारसी पान के साथ मिला जीआई टैग

अब तक काशी क्षेत्र के कुल 22 उत्पादों को जीआई टैग (GI Tag)  मिल चुका है...

मोहम्मद समीर
वाराणसी के 4 उत्पादों को मिला जीआई टैग
वाराणसी के 4 उत्पादों को मिला जीआई टैग

खइके पान बनारस वाला’ गाने से भी पहले से भी मशहूर बनारसी पान को अब नई पहचान मिल गई है. इसे भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग (GI Tag) मिला है. बनारस या वाराणसी के पान के साथ ही वहां के तीन और उत्पादों बनारसी लंगड़ा आमरामनगर भांटा (बैंगन) व आदमचीनी चावल को भी जीआई टैग (Geographical Indication) मिला है. जीआई टैग मिलने से अब इनकी इंटरनेशनल पहचान बनेगी. पूरी दुनिया अब बनारसी पान और लंगड़ा आम का स्वाद चखेगी. अमेरिका, जापान, UAE  जैसे देशों में अब लंगड़ा आम एक्सपोर्ट किया जाएगा. ज़ाहिर है कि इससे इन उत्पादों के कारोबार से जुड़े लोगों को फ़ायदा होगा.

नाबार्ड और उत्तर प्रदेश की सरकार की मदद से वाराणसी के इन चारों उत्पादों को जीआई टैग मिल सका है. इससे पहले भी बनारस ब्रोकेड और साड़ीमेटल रेपोसी क्राफ़्टगुलाबी मीनाकारीबनारस ज़रदोज़ीबनारस हैंड ब्लॉक प्रिंटबनारस वुड कार्विंग समेत पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी के कुल 22 उत्पादों को अब तक जीआई टैग मिल चुका है. पूरे प्रदेश की बात करें तो उत्तर प्रदेश के जीआई टैग वाले उत्पादों की तादाद बढ़कर अब 45 हो गई है.

क्या होता है जीआई टैग?

जीआई टैग (GI Tag) ऐसे उत्पादों को पहचान देने की प्रक्रिया है जिस उत्पाद की वजह से संबंधित रीजन/क्षेत्र की ख़ास पहचान होती है. यह टैग प्राकृतिक, कृषि और निर्मित उत्पादों की विशिष्टता और गुणवत्ता का आश्वासन देता है. साथ ही उक्त उत्पाद को क़ानूनी संरक्षण भी मिलता है. जीआई टैग मिलने से विदेशों में उस उत्पाद का महत्व और क़ीमत बढ़ जाती है. 

ये भी पढ़ेंः GI Tag: देश में 8 कृषि क्षेत्र को मिला जीआई टैग, देखें पूरी लिस्ट

ये टैग अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में एक ट्रेडमार्क की तरह काम करता है. साल 2003 से उत्पादों को जीआई टैग देने का सिलसिला शुरू हुआ. पहली बार साल 2004 में दार्जिलिंग की चाय को जीआई टैग मिला था. देश में अब तक 300 से ज़्यादा प्रोडक्ट्स को ये टैग मिल चुका है.

English Summary: 4 products of varanasi got gi tag including banarasi pan and langada aam Published on: 04 April 2023, 04:22 PM IST

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