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बड़े काम की है चारा उत्पादित करने वाली कंबाला मशीन

भारत में जनसंख्या ज्यादा है, इसलिए जमीन कम होने की समस्या भी अधिक है. किसानों के पास जो जमीन होती है, उस पर वह फल, सब्जी या अनाज की खेती करते हैं. मगर ऐसे में पशुओं के लिए पर्याप्त पौष्टिक चारा उगाना एक चुनौती बन जाता है.

कंचन मौर्य
Agricultural Machinery
Agricultural Machinery

भारत में जनसंख्या ज्यादा है, इसलिए जमीन कम होने की समस्या भी अधिक है. किसानों के पास जो जमीन होती है, उस पर वह फल, सब्जी या अनाज की खेती करते हैं. मगर ऐसे में पशुओं के लिए पर्याप्त पौष्टिक चारा उगाना एक चुनौती बन जाता है.

इस बात को ध्यान में रखते हुए किसानों और पशुपालकों के लिए नई तकनीक की तलाश की जा रही है. इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं की समस्या से भी चारा की कमी का सामना करना पड़ता है. इस दिशा में एक उम्मीद की किरण दिखाई दी है. दरअसल, किसानों और पशुपालकों के लिए फ्रिज जैसी दिखने वाली एक छोटी मशीन तैयार की गई है. इस मशीन को छोटे स्थान पर लगाकर भी अधिक उपज उगा सकते हैं. इस मशीन का नाम कंबाला रखा गया है. आइए आपको कंबाला मशीन की जानकारी देते हैं...

भैंसा प्रतियोगिता पर रखा गया है मशीन का नाम

यह मशीन छोटी है तो इसके लिए जगह की समस्या पैदा नहीं होगी. इस मशीन को रखने के लिए महज 4 फीट लंबी और तीन फीट चौड़ी जगह चाहिए. मशीन की ऊंचाई भी सिर्फ 7 फीट है. मशीन की साइज फ्रिज जैसी होने से किसानों के लिए इसके रख-रखाव में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

क्या है कंबाला मशीन

इस मशीन को बेंगलुरु के एक एग्रीटेक स्टार्टअप ने तैयार किया है. इसका नाम कंबाला रखा गया है. बता दें कि हर साल कर्नाटक में भैंसा दौड़ प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. उसी के  मशीन का नाम रखा गया है. इस मशीन को तैयार करने से पहले बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय पशु पोषण एवं शरीर क्रिया विज्ञान संस्थान में पशुओं और चारे के विकास पर प्रशिक्षण लिया था.

कंबाला मशीन की संरचना

इस मशीन में 7 अलग-अलग रेक बनाए गए हैं, जिसमें चारा उगाया जाता है. हर रेक में 4 ट्रे लगी हैं. हर ट्रे में उच्च प्रोटीन वाले मक्का के 700 ग्राम बीज हर सप्ताह बोए जा सकते हैं. अगर किसान चाहें, तो मक्का का चारा काटने के बाद गेहूं या जौ के बीज भी बो सकते हैं. बता दें कि मशीन में चारा हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाया जाता है. इस तकनीक में मिट्टी की जगह पानी में फसल उगाई जाती है.

मात्र 50 लीटर पानी की खपत

यह मशीन छोटी सी है, इसलिए एक हफ्ते तक रोजाना 25 से 30 किलो चारा उत्पादित कर सकते हैं. इस मात्रा में 4 से 5 पशुओं का पेट भर सकता है. कंबाला के अंदर 14 माइक्रो स्प्रिंकलर लगे हैं, जो पौधों को पानी उपलब्ध करा देते हैं. खास बात यह है कि कंबाला में मात्र में 50 लीटर पानी खर्च होता है, लेकिन खुले खेत में 1 किलो चारा उगाने के लिए 70 से 100 लीटर तक पानी चाहिए होता है.

तापमान नियंत्रित करने की क्षमता

इस मशीन में तापमान को नियंत्रित करने की व्यवस्था दी गई है. इस मशीन को बाहर से काले रंग के एक जाल से कवर किया गया है. यह जाल वेंटीलेशन के लिए है, जो कि दिन के समय अंदर का तापमान बढ़ने नहीं देता है.

कंबाला मशीन की कीमत

अगर आप इस मशीन को चलाते हैं, तो सालभर में 70 रुपए से कम बिजली का बिल आता है. आप बिजली से चलने वाली मशीन को 30 हजार रुपए में खरीद सकते हैं. जो मशीन बिजली से चलती है, उनका खर्च काफी कम आता है. इसके अलावा सोलर एनर्जी पर चलने वाली मशीन भी उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी कीमत लगभग 45 हजार रुपए होती है. बता दें कि आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में सौर ऊर्जा से चलने वाली 41 मशीने लगाई गई  हैं.

देश के कई राज्यों में इस मशीन का उपयोग किया जा रहा है. इस मशीन की 130 यूनिट राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में लग चुकी हैं.

English Summary: Bengaluru Agritech startup has built Kambala machine to produce fodder Published on: 01 May 2021, 11:41 AM IST

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