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Genome Sequencing: पहली बार देसी गायों की हुई जीनोम सीक्वेंसिंग, जानें दुनिया की सबसे छोटी नस्ल की गाय का नाम व खासियत

Indigenous Cow Farming: पहली बार देश के वैज्ञानिकों ने देसी नस्ल (Indigenous Breed Cow) की 4 गायों का ड्राफ्ट जीनोम सिक्वेंस (draft genome sequence) तैयार किया है. जिसमें उन्हें कई तरह की खास बातों का पता चला है. यहां जानें पूरी जानकारी...

लोकेश निरवाल
लोकेश निरवाल
देसी गायों की हुई जीनोम सीक्वेंसिंग
देसी गायों की हुई जीनोम सीक्वेंसिंग

Pashupalan: हमारे देश में किसान भाई अतिरिक्त आय कमाने के लिए खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं. इसके चलते देश में आए दिन पशुपालन का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. इसके लिए किसान भाइयों को सरकार से भी आर्थिक सहायता प्राप्त होती है.

अगर आप भी अधिक पैसा कमाने के लिए पशुपालन करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो आपके लिए देसी नस्ल की गाय बेहद लाभकारी साबित होगी. इन गायों के कई फायदे होते हैं. दरअसल, प्राकृतिक खेती से लेकर यह दूध उत्पादन तक काफी लाभदायक होती हैं. इसी सिलसिले में IISER के वैज्ञानिकों ने देसी गायों पर रिसर्च की. जिसमें उन्हें कई खास बातों का पता चला.

पहली बार देसी नस्ल की गाय का हुआ जीनोम सीक्वेंसिंग

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय विज्ञान शिज्ञा और अनुसंधान संस्थान (IISER) के वैज्ञानिकों ने देसी गायों की ड्राफ्ट जीनोम सिक्वेंस तैयार कर दी है. बताया जा रहा है देश में पहली बार देसी गाय पर आजमाई गई जीनोम सीक्वेंसिंग की प्रोसेस की गई है, जिसमें 4 नस्ल की गाय कासरगोड ड्वार्फ, कोसरगोड कपिला, वेचूर और ओगोंल को शामिल किया गया.

जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि देसी नस्ल की गायों से पशुपालन के सेक्टर में अधिक वृद्धि होगी और साथ ही दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. इसके अलावा वैज्ञानिकों ने यह भी पाया की देसी गाय की प्रजनन क्षमता में सुधार, दूध उत्पादन और अन्य कई तरह की खतरनाक बीमारियों से लड़ने व पहचान करने में कैसे मदद मिलेगी.

जानें जिनोम सीक्वेंसिंग क्या है ?

अब आप सोच रहें होंगे कि जिनोम सीक्वेंसिंग क्या होता है और यहां किसी काम आता है, तो चलते इसके बारे में जानते हैं. किसी भी जीव-पौधे या फिर जानवरी की संरचना व संचालन के निर्देशों के ग्रुप का ब्लूप्रिंट को ही जीनोम कहा जाता है. बता दें कि इसमें जीव के बढ़ने, विकसित होने और सुचारू क्रियान्वयन आदि सभी जानकारी सरलता से पता चल जाती हैं. इसी के रिसर्च के चलते वैज्ञानिकों को यह पता चला पाया है कि भारतीय गाय कैसे अपना आप को किसी भी तरह के वातावरण में ढाल लेती है. देखा जाए तो यह दुनिया की सबसे पहली जिनोम सीक्वेंसिंग है, जिसके चलते इसे बायो आरएसआरपी में भी पब्लिश किया गया है.

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वेचुर नस्ल की गाय  (cow of vechur breed)
वेचुर नस्ल की गाय (cow of vechur breed)

सबसे छोटी नस्ल की गाय

इस रिसर्च से वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में भी मदद मिली है कि दुनिया की सबसे छोटी नस्ल की गाय वेचुर गाय है. बता दें कि इस गाय की हाइट बस 2.8 फीट तक होती है. ये ही नहीं इस गाय के दूध में बाकी गाय की तुलना में सबसे अधिक प्रोटीन पाया जाता है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया की सबसे छोटी नस्ल की यह गाय प्रतिदिन 2 से 3 लीटर तक ही दूध देती है. अगर आप इस गाय को पालते हैं, तो इसके लिए आपको अधिक मेहनत करने की भी जरूरत नहीं होती है. क्योंकि यह बेहद कम चारे में अपना जीवन यापन कर सकती है.

English Summary: Genome Sequencing For the first time genome sequencing of indigenous cows, know the name and specialty of the world's smallest breed of cow Published on: 05 February 2023, 02:49 IST

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