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बकरियों की नस्लों में कृत्रिम गर्भाधान से होगा सुधार, जानिए कैसे?

खेती के बाद पशुपालन एक बड़े व्यवसाय के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है, ऐसे में बकरी पालन के लिए जरूरी हो जाता है कि बकरियों की नस्लों में कृत्रिम गर्भाधान से सुधार किया जाए, इस लेख में हम आपको यही जानकारी देने जा रहे हैं.

मनीशा शर्मा
मनीशा शर्मा
GOAT
बकरियों में भी होगा कृत्रिम गर्भाधान (एआई) तकनीक का इस्तेमाल

वर्तमान समय में ज्यादातर युवा पशुपालन की तरफ अपना रुझान बढ़ा रहे हैं, क्योंकि नौकरियां से ज्यादा उन्हें इसमें ज्यादा कमाई दिख रही है. मौजूदा समय के साथ पशुपालन भी एक अलग लेवल तक पहुँच गया है. विज्ञान आये दिन नई –नई तकनीक खोजती रहती है.

तो ऐसी ही तकनीक पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान(एआई) है. यह एक ऐसी तकनीक है, जिसके द्वारा पशुपालक अपनी गाय-भैंस की विकास दर, स्वास्थ्य और उत्पादकता बढ़ाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं.

क्या है कृत्रिम गर्भाधान (एआई) (What is artificial insemination (AI))

आपको बता दें कि कृत्रिम गर्भाधान (एआई) एक सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) है, जिसका उपयोग संग्रहित वीर्य को सीधे पशुओं के गर्भाशय में जमा करने के लिए किया जाता है. यह प्रजनन प्रदर्शन और पशुधन की आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए एक बेहतरीन उपकरण माना गया है.

बकरियों में भी होगा कृत्रिम गर्भाधान (एआई) तकनीक का इस्तेमाल (Artificial insemination (AI) technology will also be used in goats)

मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय गर्भाधान पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (दुवासु) में पिछले कई सालों से इस पर अध्यन चल रहा था. इस तकनीक से बकरियों के झुंड को एक समय पर भी गर्भाधरण करवा कर बच्चे प्राप्त किए जा सकते हैं. ऐसे में एक साथ सब का गर्भधान  होने से इनकी देखभाल भी अच्छे से हो पायेगी. बकरी के शिशु मृत्यु दर मे भी कमी होगी.

बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान से क्या होगा फायदा (What will be the benefit of artificial insemination of goats)

1 बकरी लगभग 14 माह  में 35 से 40 किलो की हो जाती है, लेकिन अब इनके ग्रोथ रेट (Growth Rate)में कमी आ गई है . जिस वजह से इनको अब 16 माह लग जाते हैं, जिससे पशु पलकों को काफी नुकसान का मुंह देखना पड़ता है.

अगर वे इस एआई तकनीक से अपनी बकरियों का गर्भाधान करवाते हैं तो उससे हुए पैदा बच्चों में शारीरिक विकास में बढ़ोतरी होगी और उत्पादन भी अच्छा प्राप्त होगा.

पशुचिकित्सकों को मिलेगा इसका प्रशिक्षण (Veterinarians will get its training)

जानकारी के अनुसार, पशुचिकित्सकों और पशुधन प्रसार अधिकारी को इसका प्रशिक्षण देने के लिए अभी प्रदेश के 20 जिलों का चयन किया गया है. इसके अलावा जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जायेगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा पशुपालकों इस तकनीक का लाभ उठा सके. 

खुलेंगे गोट सीमन प्रोडक्शन सेंटर (Got Semen Production Center will open)

पशुपालकों को बकरियों का उच्च गुणवत्ता का सीमन मिले इसके लिए मथुरा में गोट सीमन प्रोडक्शन सेंटर खोले जायेंगे और प्रदेश के कई जिलों के पशुचिकित्सालयों (Veterinary Clinics ) में इनकी सप्लाई होगी. सीमन प्रोडक्शन सेंटर में जो सीमन तैयार होगा वो पूरी तरह टेस्टेड हुए बकरों से किया जाएगा.

English Summary: Artificial insemination will improve goat breeds, know how Published on: 04 February 2022, 03:52 IST

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