केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकारें भी गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए कई खास योजनाएं चल रही हैं, जिससे किसानों और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाया जा सके. इसके अलावा सड़कों और शहरों में आवारा घूमते पशुओं पर भी रोक लगाई जा सके और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद मिल पाए.
इसी क्रम में छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने पहल कर गोधन न्याय योजना की शुरुआत की है. जिसमें किसानों और पशुपालकों से गोबर को निर्धारित दर पर खरीदा जाएगा. इस योजना द्वारा गांवों के लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे. इस पर राज्य सरकार का कहना है कि ये गोबर खरीदने वाली दुनिया की पहली योजना है.
इस योजना द्वारा सरकार पशुपालकों से 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीदेगी. इसके अलावा अगर गौ-पालक सेंटर में जाकर गोबर नहीं बेचता है तो वह घर से भी गोबर बेच सकता है. ऐसे में उसे किराये का खर्च काटकर भुगतान किया जाएगा.
सरकार पशुपालकों से खरीदे गए गोबर का वर्मीकम्पोस्ट खाद बना कर उनको सस्ते दामों पर बेचेगी जिससे उनकी खेती बेहतर होगी और यूरिया का भी उपयोग कम होगा.
गाय के गोबर को पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदेगी सरकार (Government will buy cow dung from cattle owners at the rate of Rs 2 per kg)
महासमुंद जिले के ग्राम कछारडीह गौठान में इस योजना का शुभारंभ करते हुए वाणिज्यकर (आबकारी) एवं उद्योग तथा जिला प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि ‘गोधन न्याय योजना’ के अंतर्गत राज्य सरकार गाय के गोबर को पशुपालक से 2 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदेगी और पशुपालकों से खरीदे गए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद (Vermicompost Manure) बनाकर इच्छुक किसानों को 8 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा, जिससे किसान आर्थिक रूप से मजबूत होंगे और साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा. इस योजना द्वारा सरकार को गोबर बेचकर किसानों और पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी तो होगी इसके साथ ही उन्हें खेती के लिए अच्छे और सस्ते दामों पर बेहतर खाद भी मिलेगा.
‘गोधन न्याय योजना’से फायदा (Benefit from 'Godhan Nyay Yojana')
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गोबर खरीदने से पशुधन के सरंक्षण एवं संवर्धन को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.
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इससे गौ-पालन को बढ़ावा मिलेगा.
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पशुओं की सुरक्षा होगी.
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किसानों व पशुपालकों को आर्थिक रूप से फायदा होगा.
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.
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बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण भी महिला स्व-सहायता समूहों के द्वारा शुरू किया गया है.
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राज्य के लगभग 2200 गांवों में गौठानों का निर्माण हो गया है.
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इसके अलावा 2800 गांवों में गौठानों का निर्माण किया जा रहा है.
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