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Side effects of pesticides: दवा नहीं जहर हैं कीटनाशक, इस रंग के पेस्टीसाइड सबसे ज्यादा घातक

फसलों को कीट-पतंग, खरपतवार, बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. ये रासायनिक कीटनाशक कुछ समय के लिए तो फसलों को कीटों से बचा देते हैं लेकिन खेत की जमीन को हमेशा के लिए खराब कर देते हैं.

राशि श्रीवास्तव
chemical
फसलों के लिए पेस्टीसाइड सबसे ज्यादा घातक

बदलते वक्त के साथ खेती के तरीकों में भी बदलाव आया है. कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने की चाह में किसान तरह तरह के रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं. फसलों को कीट-पतंग, खरपतवार, बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. ये रासायनिक कीटनाशक कुछ समय के लिए तो फसलों को कीटों से बचा देते हैं लेकिन खेत की जमीन को हमेशा के लिए खराब कर देते हैं. यही वजह है कि अब किसान जैविक कीटनाशकों व उर्वरकों की तरफ रुख करने लगे हैं. आज इस लेख में हम आपको कीटनाशकों के उपयोग से पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों की जानकारी देंगे.

  • रासायनिक कीटनाशक विभिन्न तरह के कैमिकल्स से बने होते हैं. जो फसलों की उत्पादक, भूमि की उर्वरा शक्ति, व मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं.

  • रासायनिक कीटनाशकों के ज्यादा प्रयोग से मिट्टी जहरीली हो जाती है.

  • जमीन के अंदर सूक्ष्म जीव मौजूद रहते हैं, जो मिट्टी को नरम व ऊपजाऊ बनाए रखते हैं, लेकिन कीटनाशकों के खतरनाक केमिकल मिट्टी के सूक्ष्म जीवों को भी मार देते हैं, इससे सूक्ष्म जीवों की संख्या बहुत कम रह जाती है, नतीजतन मिट्टी कठोर हो जाती है.

  • कीटनाशकों का प्रयोग करने के बाद फसलों में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती है. ऐसे में किसानों को सामान्य सिंचाई की तुलना मे 3-4 बार अधिक फसलों को पानी देना पड़ता है. 

  • कीटनाशकों के प्रयोग का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव है कि जमीन बंजर हो जाती है. अगर किसान सालों-साल खतरनाक केमिकल युक्त कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं तो जमीन की उत्पादक क्षमता बिल्कुल कम हो जाती है.

  • कीटनाशकों के प्रयोग से पौधों की रोगों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है. हर साल नए-नए कीट पतंगों का प्रकोप बढ़ रहा है, जिनके सामने कीटनाशक भी ज्यादा असर नहीं दिखा पाते.

  • कीटनाशकों में मौजूद कैडमियम, आर्सेनिक जैसे तत्व भूमिगत जल व बाहरी जल को प्रदूषित करते हैं.

  • कीटनाशकों के अधिक उपयोग से पर्यावरण में भारी असंतुलन पैदा हो रहा है. 

  • कीटनाशकों का बड़ा दुष्प्रभाव ये भी है कि इनके छिड़काव करते समय अगर सावधानी नहीं रखी गई तो कृषक की जान भी जा सकती है. कीटनाशक का जरा भी अंश शरीर पर लग जाए तो त्वचा पर चकते व फफोले बन जाते हैं. कीटनाशक सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर घातक प्रभाव डालता है.

  • कीटनाशकों का जहर मिट्टी से पौधों की ओर जाता है जिससे अनाज, फल सब्जियों व अन्य उत्पाद जहरीले हो जाते हैं. जिन्हें खाने से मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है. 

कौन सा कीटनाशक सबसे खतरनाक, ऐसे करें पहचान-

  • आज के समय में कीटनाशक के प्रयोग के बिना खेती करना संभव भी नहीं हैं और हर कीटनाशक इतने ज्यादा हानिकारक भी नहीं होते. कीटनाशक कितने खतरनाक है, इसकी पहचान के लिए कीटनाशकों की बोतल व पैकेट पर अलग-अलग रंग व त्रिकोणीय निशान छपे होते हैं. 

  • जैसे लाल रंग का कीटनाशक सबसे तेज जहर होता है. यदि कीटनाशक की बोतल पर लाल रंग का निशान छपा है तो इसका मतलब कि यह सबसे खतरनाक कीटनाशक है. फसलों पर इसकी बहुत कम मात्रा का प्रयोग किया जाता है.

  • पीले रंग के निशान वाले कीटनाशक दूसरे सबसे खतरनाक श्रेणी के कीटनाशक हैं, इनका इस्तेमाल पैकेट पर लिखि विधि व मात्रा व कृषि विशेषज्ञों की सलाह के हिसाब से ही करना चाहिए.

  • नीले रंग के निशान वाले कीटनाशक लाल, पीले रंग के कीटनाशकों के मुकाबले कम खतरनाक होता है. यह मध्यम कैमिकल वाले कीटनाशक होते हैं.

  • हरे रंग के निशान वाले कीटनाशक सबसे कम खतरनाक होते हैं. लेकिन फिर भी इनका उपयोग कृषि विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही करना चाहिए.

English Summary: Pesticides make the land barren and poisonous, pesticides of this color are the most dangerous Published on: 19 November 2022, 03:37 PM IST

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