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किसान विज्ञान मेला में नवीनत्तम मशीनों द्वारा फसल अवशेषों का प्रबंधन कैसे करें इस पर की गयी चर्चा

दिनांक 25 मार्च, 2022 को कृषि विज्ञान केंद्र (राष्ट्रीय बागवानी अनुसन्धान विकास प्रतिष्ठान), उजवा ने कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर में एक दिवसीय किसान मेला का आयोजन भारत सरकार की परियोजना फसल अवशेष का स्व-स्थान प्रबंधन के अंतर्गत किया गया.

मनीशा शर्मा
Kisan Mela
Kisan Mela

दिनांक 25 मार्च, 2022 को कृषि विज्ञान केंद्र (राष्ट्रीय बागवानी अनुसन्धान विकास प्रतिष्ठान), उजवा ने कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर में एक दिवसीय किसान मेला का आयोजन भारत सरकार की परियोजना फसल अवशेष का स्व-स्थान प्रबंधन के अंतर्गत किया गया.

जिसमे लगभग 500 कृषक, प्रसार कार्यकर्ता, उद्यमी, सरकारी संस्थान, बीज एवं खाद बनाने वाली कंपनियों ने भागेदारी दर्ज की. इस मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि “माननीय अश्विनी कुमार, संयुक्त सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. बिजेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, राष्ट्रीय   बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, दिल्ली ने की. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में डॉ. अशोक कुमार सिंह, निदेशक, भारतीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, पूसा, नई दिल्ली, भारत सरकार, पवन कुमार एवं राहुल राज विशेषज्ञ उपस्थित हुए.

कार्यक्रम के  उद्घाटन  के अवसर  पर  डॉ.  पी.  के.  गुप्ता,  अध्यक्ष,  कृषि  विज्ञानं  केंद्र  व् निदेशक, एन.एच  आर.  डी.  एफ., नई  दिल्ली,  मुख्य  अतिथि  सहित  माननीय  अतिथिगण कृषक  बंधु,  मीडिया  कर्मी  व  प्रदर्शनी  लगाने  वाली  संस्थानों  व  कंपनियों का स्वागत करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा किसान मेला के आयोजित करने के उद्देश्य के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

मेले  का  उद्घाटन  करते  हुए  मुख्य  अतिथि  अश्विनी  कुमार  सिंह  ने  बताया  कि भारत  सरकार  यह  योजना  चार  राज्य  पंजाब,  उत्तरप्रदेश,  हरियाणा  एवं  दिल्ली  में  संचालित कर रही  है जिसमें  किसानों  को  व्यक्तिगत  रूप  से  मशीन  खरीदने  पर  50  प्रतिशत  का  अनुदान एवं  कस्टम  हाइरिंग  सेन्टर  स्थापित  करने  के  लिए  80  प्रतिशत  तक  का  अनुदान  दे  रही  है.इससे  किसानों  ने  काफी  मात्रा  में  पराली  प्रबंधन  करने  वाले  यंत्रों  का  इस्तेमाल  किया, जिससे पराली  की  समस्या  कम  हुई  है.  

उन्होंने  कहा  कि  कृषि  विज्ञान  केंद्रों  के  द्वारा  विभिन्न सूचना  एवं  संचार गतिविधियॉ  जैसे  जागरुकता  कार्यक्रम, किसान  मेला, किसानों के प्रक्षेत्र पर प्रदर्शन  एवं  विधार्थियों  के  द्वारा  भी  जन-जन  तक  पराली  के  जलाने  से  होने  वाले नुकसान  के  संदेश  दे  रहे  हैं.  कुमार  नें  भारत  सरकार  की  विभिन्न  योजनाएं  जैसे  जैविक खेती,  मृदा  स्वास्थ्य  कार्ड,  मिनी  सीड  कीट, किसान  सम्मान  निधि  योजना,  सिचाई  योजना आदि  कि  विस्तृत  जानकारी  उपलब्ध  करवाई.  एवं उन्होनें कहा कि  किसान  भाईयों  को  खेती की  आधुनिक  तकनिकी  से  जोड़कर  अपनी  लागत  में  कमी  लाकर  आमदनी  को  कई  गुना बढ़ा  सकते  है. 

अश्विनी  कुमार   ने  केंद्र  की  सभी  गतिविधियों  का  भ्रमण  करके विस्तृत  जानकारी  प्राप्त  करते  हुए  कहा  कि  केन्द्र  राष्ट्रीय  राजधानी  क्षेत्र  में  काफी  अच्छा कार्य  कर  रहा  है,  व  यहां  पर  स्थापित  सोलर  फार्म  प्रदर्शन  इकाई  सोलर  के  साथ  खेती  को नई  दिशा  प्रदान  करेगी.

डॉ.  अशोक  कुमार  सिंह  ने  कृषि  विज्ञान  केन्द्र  के  द्वारा  राष्ट्रीय  राजधानी  क्षेत्र  दिल्ली को  पर्यावरण  के  प्रदूषण  से  मुक्त  करने  की  पहल  की  प्रसंशा  की  एवं  किसानों  को  धान  की पराली  जलाने  से  मृदा,  पर्यावरण  एवं  प्रदूषण  से  स्वास्थ्य  पर  होने  वाले  नुकसान  के  बारे  में जानकारी  दी  एवं  भारतीय  पादप  आनुवंशिक  संसाधन  ब्यूरो  का  कृषि  के  आनुवंशिक  सुधारों एवं फसलों  की  विभिन्न  प्रजातियों  के  संरक्षण  के  बारे  में  विस्तृत  जानकारी  दी.  इसी क्रम  में भारतीय  मानक  ब्यूरों,  नई  दिल्ली  के  पदाधिकारी  द्वारा  कृषि  यंत्रों  के  मानकीकरण, अंकन एवं  गुणवत्ता  प्रमाणन  के  बारे  में  विस्तृत  जानकारी  दी  एवं  बताया  कि  किसानों  को  किस प्रकार  से  नकली  कृषि  आदानों  एवं  उपकरण  से  बचना  चाहिए  एवं  किस  प्रकार  मानकीकरण व  गुणवत्ता  युक्त  उत्पादों  की  पहचान  करें.  इसके  साथ  ही  उन्होंने  ब्यूरो  द्वारा  बनाए  गए  बी. आई.एस.  केयर  एप  के  बारे  में  तकनिकी  जानकारी  दी.

डि-हुमिफाइड  बीज  भंडारण  इकाई  एवं  जैविक  खेती  प्रशिक्षण  का  उद्धाटन

माननीय अश्विनी कुमार केन्द्र   में   एकीकृत   बागवानी   विकास   मिशन,   कृषि   एवं किसान  कल्याण  मंत्रालय,  भारत  सरकार  की  वित्तीय  सहायता  से  स्थापित  डि-हुमिफाइड बीज  भंडारण  इकाई  का  उद्धाटन  किया. इस  इकाई  का  मुख्य  उद्देश्य  है  कि  किसानों  को उच्च गुणवत्ता  युक्त  बीज  उपलब्ध  करवाना  है.  एवं कुमार  जी  ने  केन्द्र  के  द्वारा  21  दिवसीय जैविक  खेती  विषय  पर  व्यवसायिक  प्रशिक्षण  का  शुभारंभ  किया  एवं  सफलता  की  कामना करते  हुए युवाओं  को  जैविक  खेती  से  जुड़ने का  आहवान  किया. तकनीकी  सत्र  के  दौरान  केन्द्र  के  विशेषज्ञं  कैलाश,  विशेषज्ञ  (कृषि  प्रसार)  ने कहा  कि  विगत  04  वर्षो  कृषि  विज्ञान  केंद्र,  दिल्ली  के  विभिन्न  प्रयासों  से  दिल्ली  में  पराली जलाने  का  शून्य  मात्र  के  परिणाम  सामने  आये  है  एवं  किसानों  ने  पराली  प्रबंधन  वाली मशीनों  जैसे  हैप्पी  सीडर,  सुपर  सीडर  एवं  जीरो-सीड-कम-फर्टिलाइजर  ड्रिल  आदि  से  गेहूं की  सीधी  बुवाई  का अभिग्रहण  किया,  जिससे  किसानों  को  अनेक  लाभ  प्राप्त  हुए.  डॉ.  समर पाल सिंह विशेषज्ञ (सस्य  विज्ञान)  ने  धान  की  सीधी  बुवाई  एवं  जैविक  खेती  करने  के  बारें में  विस्तृत  जानकारी  साझा  की  एवं  डॉ.  जय  प्रकाश  विशेषज्ञ  (पशुपालन)  ने  किसानों  आहार प्रबंधन  एवं  टीकाकरण  एवं  ग्रीष्म  कालीन  में  पशुओं  के  रख-रखाव  की  विस्तृत  जानकारी  दी. राकेश  कुमार  विशेषज्ञ  (बागवानी)  ने  छत  एवं  गृह  वाटिका  के  बारे  विस्तृत  जानकारी साझा  की.  कार्यक्रम के शुरुआत में माननीय अतिथिगणों  ने  केन्द्र  की  विभिन्न  इकाई  का भ्रमण  एवं  अवलोकन  किया  एवं  केन्द्र  की  विभिन्न  प्रसार  पत्रिकाओं  जैसे  सोलर  फार्म  प्रदर्शन इकाई,  पशुओं  का  आहार  प्रबंधन  एवं  कृषि  वाहिनी  का  विमोचन  करवाया.  कार्यक्रम  के दौरान  माली  एवं  सहायक  माली  वर्कर  कौशल  विकास  प्रशिक्षण,  मधुमक्खी  पालन, फल एवं  सब्जियों  का   प्रसंस्करण  एवं  परिरक्षण  के  प्रशिक्षुकों  का   प्रमाण  पत्र  दिया  गया   एवं किसान  मेला  के  सभी  प्रतिभागियों  को  छत  एवं  गृह  वाटिका  के  लिए  किचन  गार्डन  कीट  का वितरण किया गया.

इस  कार्यक्रम  को  सफल  करने  में  डॉ  ऋतू  सिंह,,  डॉ.  डी.के.  राणा,  डॉ.  समर  पाल सिंह,  डॉ.  जय  प्रकाश, बृजेश  कुमार, सुबेदार  पाण्डे, मंजू,आत्माराम, विशाल, सुधीर  सिंह, संजय सिंह, डॉ. शरद  तिवारी  एवं  सुभाष  तिवारी  का सहयोग  सहरानीय  रहा.  इस  कार्यक्रम  को सफल रूप से देश के सभी किसानों तक पहुँचाने की जिम्मेदारी कृषि जागरण ने उठाई.

English Summary: kvk update:Discussion on how to manage crop residue by latest machines in Kisan Vigyan Mela Published on: 26 March 2022, 12:58 PM IST

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