जहां नजर गई वहीं प्राकृतिक विपदाओं के कहर का शिकार हुई मानवीय बदहाली ही दिखी. कल तक मुस्कुराते चेहरे खामोश हो चुके थे. इस बदहाली को अपनी जुबां से बयां करते हुए एक शख्स ने कहा कि 'लगता है कि अब सब कुछ बर्बाद हो गया है. प्रकृति के इस कहर का शिकार हुए लोगों के लिए इससे उबर पाना अब इतना आसान नहीं होगा. यह हमें गहरे जख्म दे गया है.
ऐसी रही पूरी दर्दनाक तस्वीर
यहां हम आपको बताते चलें कि रविवार रात को राजस्थान में शुरू हुई भारी बारिश और आंधी का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा. इस आंधी तूफान के कहर का शिकार हुए लोगों को भारी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा. स्थानीय लोग इस प्राकृतिक विपदा की विभीषिका के कहर को शब्दों में बयां करते हुए कहते हैं कि इस प्राकृतिक विपदा के कहर का शिकार होने की वजह से एक हजार करोड़ रूपए की फसलें बर्बाद हो गई.
इस प्राकृतिक विपदा ने सब कुछ बर्बाद करके रख दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा पिछले 20 सालों में कभी-भी नहीं देखा गया, जब इस तरह से हमारी फसलों को नुकसान हुआ हो. खैर, अब किसानों को हुए आर्थिक नुकसान को लेकर सरकार क्या कुछ ऐलान करती है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. बहरहाल, अभी तो किसी भी प्रकार का ऐलान सरकार की तरफ से नहीं किया गया है.
इस विभीषिका से दहल जाएगा आपका दिल
वहीं इस प्राकृतिक विभीषिका का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि तेज हवाओं से हजारों पेड़ गिर गए. इनमें से कुछ पेड़ तो 100 साल पुराने थे. कल तक अपनी विशालता के लिए विख्यात ये पेड़ आज प्राकृतिक आपदा के कहर का शिकार होकर जमींदोज हो गए. 300 बिजली के खंभे और 12 ट्रांसफॉर्मर इस आपदा के कहर का शिकार होकर यूं समझिए की हमेशा के लिए जमींदोज हो गए.
कल तक अपने आशियाने में अपनी सुकून की तलाश में लगे लोगों का आशियाना भी हमेशा के लिए इस आपदा ने इनसे छीन लिया. बता दें कि इस प्राकृतिक आपदा के कहर का शिकार होकर कई कच्ची झोपड़ियां टूट गई.
डिस्कॉम के करीब दो करोड़ पेड़ों को नुकसान हुआ है. 200 से अधिक टेंट बिखर गए. इस पूरी प्राकृतिक आपदा को संज्ञान में लेते हुए कृषि मंत्री ने कृषि विभाग, राजस्व विभाग व प्रदेश विभाग से इस संदर्भ मे रिपोर्ट तलब की है. वहीं, सरकार की तरफ से अभी कोई खास ऐलान नहीं किया गया है.
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