जूट की खेती (Jute Cultivation ) करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. अब जूट से किसानों की आमदनी में इजाफा होगा. जी हाँ, सरकार की तरफ से कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price Of Raw Jute ) में बढ़ोत्तरी की गयी है.
जिससे किसानों की आमदनी में भारी तेज़ी नज़र आयेगी. वहीँ, सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा लाभ देश के पश्चिम बंगाल के किसानों को होगा.
दरअसल, सरकार ने 2022-23 सीजन के लिए कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 250 रुपये बढ़ाकर 4,750 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बीते दिन 2022-23 सीजन के लिए कच्चे जूट के एमएसपी को मंजूरी दे दी.
जूट उत्पादन की औसत लागत को लेकर एक अधिकारिक बयान द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है कि भारतीय पटसन निगम (Jute Corporation Of India) मूल्य समर्थन कार्यों को करने के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में जारी रहेगा.
बयान द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, अब "कच्चे जूट (TD5 ग्रेड के बराबर TDN3) का MSP 2022-23 सीजन के लिए 4,750 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 250 रुपये की वृद्धि के साथ है. किसानों की आमदनी में इजाफा एवं उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा यह अहम कदम उठाया गया है.
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पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि कच्चे जूट का पश्चिम बंगाल सबसे बड़ा उत्पादक केंद्र है. इस राज्य में जूट की सबसे ज्यादा खपत होती है. जहाँ जूट के बोरो से लेकर कई उत्पादन बनाकर बाज़ारों में बिक्री की जाती है.
भारत में जूट की खेती (Jute Cultivation In India)
भारत के कई राज्यों में जूट की खेती की जाती है, जिनमें मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय और उत्तर प्रदेश आदि शामिल है. जूट से कई उत्पादों का निर्माण किया जाता है. जैसे बोरा, दरी, रस्सी, कागज और आदि. इन उत्पादों का निर्यात भारत के कई राज्यों से लकर अन्य देशों में भी किया जाता है.
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