कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की जलवायु हल्दी और अदरक के लिए काफी उपयुक्त मिली है. यही वजह है कि बड़े पैमाने पर खेती करने जा रहे है. वैज्ञानिक चाहते है कि इसके बीज किसानों को बांटा जाए ताकि इसके सहारे आदिवासी क्षेत्र के किसान बेहतर मुनाफा कमा सकें. इसके लिए पूरी प्लानिंग भी हो चुकी है. जिला पंचायत के सहारे कुछ पैसों की भी मांग हुई है, ताकि खेती का फायदा किसानों को ट्रेनिंग देकर और उन्हें बीज बांटकर उठाया जा सके.
अदरक और हल्दी की बेहतर पैदावार
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह काम किसानों को फायदे से ऊपर ले जाने वाला है. उनके अनुसार बिलासपुर की मिट्टी रेतीली होती है. इसमें अदरक और हल्दी की काफी बेहतर पैदावार हो सकती है. कुछ पौधों के बीच में जो जगह बचती है वहां पर इसको लगवाया जा सकता है. दरअसल अदरक और हल्दी दोनों की खेती के लिए आधा धूप और छांव का होना जरूरी है. इसमें ही पौधे बेहतर तरीके से पनप पाते है. इसके अलावा पानीकी मांग भी ज्यादा नहीं होती है.अधिकारियों के अनुसार उन्होंने खेती की पहल शुरू कर दी है और जून का मौसम ही अदरक और हल्दी हेतु बेहतर माना गया है.
इसीलिए जरूरी हल्दी की खेती
हल्दी क भारतीय वनस्पति है. यह अदरक की प्रजाति का 5 फीट तक बढ़ने वाला पौधा है. जिसमें जड़ की गांठों में हल्दी मिलती है. हल्दी को प्राचीन काल से ही एक तरह का चमत्कारी द्र्व्य के रूप में मान्यता प्राप्त माना जाता है. औषधी ग्रंथों में इसको हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा, वरवर्णिनी, गौरी, हरदल,टर्मरिक नाम दिए गए है.भारतीय रसोई में इसका अहम स्थान है. इसको धार्मिक रूप से शुभ माना जाता है. इसके अलावा भारत में विवाह में भी हल्दी की रस्म का अहम स्थान है.
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