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नौकरी जाने के बाद बेरोजगारों के लिए नज़ीर बनीं मोना, आज अनेकों लोगों को दे रही हैं रोजगार

इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक वे जो विषम परिस्थितियों का दट कर सामना करते हुए अपने अधूरे ख्वाबों को मुकम्मल करते हैं और वे जो विषम परिस्थितियों के आगे घुटने टेकते हुए अपने ख्वाबों को अधूरा ही छोड़ देते हैं.

सचिन कुमार
Mona Singh
Mona Singh

इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक वे जो विषम परिस्थितियों का दट कर सामना करते हुए अपने अधूरे ख्वाबों को मुकम्मल करते हैं और वे जो विषम परिस्थितियों के आगे घुटने टेकते हुए अपने ख्वाबों को अधूरा ही छोड़ देते हैं.

 अब आप अपने आपको किस जमात में रखते हैं, यह तो आप पर निर्भर करता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हेंने अपनी जिंदगी में न महज मुश्किलों को बौना साबित कर न महज अपने अधूरे ख्वाबों को मुकम्मल कर दूसरों के लिए एक नजीर पेश की है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनकर भी उभरे हैं, जो मुश्किल घड़ी में हिम्मत हार जाते हैं.

अगर आप भी अपनी जिंदगी में हो रही मुश्किलों की वजह से हिम्मत हार चुके हें तो जरा मिलिए इनसे. इनका नाम मोन सिंह है. लॉकडाउन का समय चल रहा था. गलियां वीरान थी. जुबां खामोश हो चुकी थी. भविष्य अनिश्चित था. ऐसी विकराल परिस्थिति में मोना की नौकरी चली गई.

मोना उस वक्त गाजियाबाद के किसी भी निजी संस्थान में नौकरी किया करती थी. नौकरी जाने की वजह से मोना को बेशुमार समस्याओं को सामना करना पड़ा आप उनकी समस्याओं का अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं कि वे उस वक्त गर्भवती थी.

यह उनकी जिंदगी का एक ऐसा वक्त था, जब उन्हें पैसों की सख्त दरकार थी. गर्भवती होने की वजह उन्हें उचित पोष्टिक आहार की आवश्यकता थी. लॉकडाउन व पैसों की तंगी की वजह उन्हें पोष्टिक आहार प्राप्त होने में उन्हें बहुत तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था.

इन समस्याओं का सामना करने के बाद उन्होंने फैसला किया कि जिस तरह की समस्याएं उन्हें हुई है, वैसी समस्याएं किसी और को न हो, इसके लिए उन्होंने ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन प्राप्त कर हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हर्बल बिस्किट उद्योग स्थापित किया गया. उनके इस काम में रोशन भी हाथ बंटाते थे.

ऐसे तैयार होता है ये बिस्किट

मोना के मुताबिक, यह बिस्किट काफी लाभकारी है, क्योंकि इसमें आटा, गुड़ व तेल के अतरिक्त अश्वगंधा, शतावरी, हरड़, पिपली व सोंठ का समायोजन किया गया है. यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ओषधि के रूप में  भी उपयोग में लाई जाती है. यह बिस्किट किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए काफी उपयोगी मानी जाती है.

कोरोना काल में मोना के द्वारा की गई यह पहल अनेकों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है. अपने इस कारोबार के जरिए मोना आज की तारीख में न महज खुद धानार्जन कर रही हैं, बल्कि अनेकों लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रही हैं. यकीनन, इस काम के लिए मोना की जितनी भी तारीफ की जाए, उतनी कम है.       

English Summary: After leaving the job, Mona started the herbal biscuit industry Published on: 10 September 2021, 07:10 PM IST

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