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भैंस का आईवीएफ तकनीक से गर्भाधान कर पैदा हुआ बछड़ा, जानिए क्या है इसकी प्रक्रिया

पशुपालन क्षेत्र में विकास के लिए नई तकनीक विकसित की जा रही हैं, ताकि पशुपालक इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा सकें. इसके चलते ही भारत में पहली बार एक नई तकनीक का प्रयोग किया गया है, जो कि पशुपालकों के लिए काफी लाभकारी साबित होगी.

कंचन मौर्य
कंचन मौर्य
Buffalo Rearing
Buffalo Rearing

पशुपालन क्षेत्र में विकास के लिए नई तकनीक विकसित की जा रही हैं, ताकि पशुपालक इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा सकें. इसके चलते ही भारत में पहली बार एक नई तकनीक का प्रयोग किया गया है, जो कि पशुपालकों के लिए काफी लाभकारी साबित होगी.

जो भैंस पालन करते हैं, उनके लिए इस तकनीक के बारे में जरूर जानना चाहिए. दरअसल, यह आईवीएफ तकनीक है, जो कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रयोग की जाती है. तो चलिए आपको इस संबंध में अधिक जानकारी देते हैं.

क्या है आईवीएफ तकनीक? (What is IVF Technique?)

इस तकनीक के जरिए भारत में पहली बार भैंस का गर्भाधान किया गया था, जिससे कटिया ने जन्म लिया है. वहीं यह भैंस बन्नी नस्ल की है. भारत में ओपीयू-आईवीएफ तकनीक अगले स्तर पर पहुंच गई है.

बता दें कि पहली आईवीएफ कटिया बन्नी नस्ल की भैंस (Banni Buffalo) के 6 बार आईवीएफ (IVF) गर्भाधान के बाद पैदा हुआ. इस प्रक्रिया को सुशीला एग्रो फार्म्स के किसान विनय एल. वाला के घर पूरा किया गया. यह फार्म गुजरात के सोमनाथ जिले के धनेज गांव में स्थित है.    

जानकारी के लिए बता दें कि देश की पीएम मोदी ने 15 दिसंबर, 2020 को गुजरात के कच्छ इलाके का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने बन्नी भैंस की नस्ल की चर्चा की. उसके अगले ही दिन बन्नी भैंसों के अंडाणु निकालने (ओपीयू) और उन्हें विकसित करके भैंस के गर्भाशय में स्थापित करने (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन-आईवीएफ) की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई गई.

वैज्ञानिकों ने कैसे पूरी की प्रक्रिया (How did the scientists complete the process)

सबसे पहले सुशीला एग्रो फार्म्स की बन्नी नस्ल की तीन भैंसों को गर्भाधान के लिए तैयार किया गया. वैज्ञानिकों द्वारा भैंस के अंडाशय से डिम्ब निकालने के उपकरण (इंट्रावैजिनल कल्चर डिवाइस-आईवीसी) द्वारा 20 अंडाणु निकाले गए. एक भैंस के कुल 20 अंडाणुओं को आईवीसी प्रक्रिया से निकाला गया.

बता दें कि एक डोनर से निकाले जाने वाले 20 अंडाणुओं में से 11 भ्रूण बन गए, साथ ही 9 भ्रूणों को स्थापित किया गया. इनसे तीन आईवीएफ गर्भाधान वजूद में आए.

इसके साथ ही दूसरे डोनर से 5 अंडाणु निकाले गए,  जिनके द्वारा 5 भ्रूण तैयार हुए. इन 5 में से 4 भ्रूणों को स्थापित करने के लिए चुना गया. इस प्रक्रिया से 2 गर्भाधान हुए. इसके अलावा तीसरे डोनर से 4 अंडाणु निकाले गए, जिससे 2 भ्रूणों को विकसित किया गया. उन्हें स्थापित करके एक गर्भाधान हुआ.

आईवीएफ तकनीक से पशुधन में होगा सुधार (Livestock will improve with IVF technology)

इस तरह 29  अंडाणुओं से 18 भ्रूण विकसित किए गए. इसकी बीएल दर 62 प्रतिशत है. इसके साथ ही 15 भ्रूणों को स्थापित किया गया. उनसे 6 गर्भाधान हुए. गर्भाधन दर 40 प्रतिशत रही.

इन 6 गर्भाधानों में से पहली आईवीएफ कटिया पैदा हुई है. ऐसे यमें ह देश का पहला बन्नी कटिया है, जिससे कृत्रिम गर्भाधान की आईवीएफ तकनीक से पैदा किया गया है.

बता दें कि सरकार और वैज्ञानिकों को भैंसों की आईवीएफ प्रक्रिया में अपार संभावना नजर आ रही हैं. इसी क्रम में वह पशुधन (Cattle Wealth) में सुधार लाने के लिए प्रयासरत हैं.

English Summary: Buffalo insemination with IVF technique and calf was born Published on: 25 October 2021, 01:48 IST

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