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Top 10 Mustard Varieties: सरसों की ये किस्में पैदावार 27 क्विंटल/हेक्टेयर देंगी, जानें विशेषताएं

Mustard Varieties: सरसों की ये टॉप दस किस्में एनआरसीडीआर-2, एनआरसीएचबी-506 हाइब्रिड, एनआरसीडीआर-601, एनआरसीएचबी-101, डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज), एनआरसीवाईएस-05-02 (पीली सरसों), डीआरएमआर 150-35, डीआरएमआर 1165-40, डीआरएमआर 2017-18 (राधिका) और डीआरएमआरआईसी 16-38 (बृजराज) 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देंगी.

लोकेश निरवाल
सरसों की ये टॉप 10 किस्में देंगी बढ़िया उपज (Image Source: Pixabay)
सरसों की ये टॉप 10 किस्में देंगी बढ़िया उपज (Image Source: Pixabay)

Ten varieties of mustard: सरसों की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान को इनकी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए. ताकि किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकें. इसी क्रम में आज हम देश के किसानों के लिए सरसों की दस उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं, जो 94 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इन सभी किस्मों की पैदावार क्षमता करीब 18-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह सभी किस्में भारत के विभिन्न राज्यों में सरलता के उगाई जा सकती हैं. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राजस्थान, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असोम, छत्तीसगढ़, मणिपुर और अन्य कई राज्यों के किसानों के सरसों की यह उन्नत किस्में बेहद लाभकारी हैं.

बता दें कि सरसों की जिन दस सरसों की उन्नत किस्मों की हम बात कर रहे हैं, वह एनआरसीडीआर-2, एनआरसीएचबी-506 हाइब्रिड, एनआरसीडीआर-601, एनआरसीएचबी-101, डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज), एनआरसीवाईएस-05-02 (पीली सरसों), डीआरएमआर 150-35, डीआरएमआर 1165-40 , डीआरएमआर 2017-18 (राधिका) और डीआरएमआरआईसी 16-38 (बृजराज) हैं. ऐसे में आइए इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

सरसों की दस उन्नत किस्में/ Ten varieties of mustard

सरसों की एनआरसीडीआर-2 किस्म- सरसों की इस उन्नत किस्म की खेती दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के किसान आसानी से कर सकते हैं. इसके पौधे 165-212 सेमी लंबे होते हैं और वहीं सरसों की यह किस्म 131-156 दिन मे पूरी तरह से पककर तैयार हो जाती है. NRCDR-2 किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर लगभग 26 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा सरसों की NRCDR-2 किस्म में तेल की मात्रा 36.5- 42.5 प्रतिशत पाई जाती है. साथ ही इस किस्म में सफेद रतुआ, अल्टरनेरिया ब्लाइट, स्क्लेरोटिनिया स्टेम रोट, पाउडरी मिल्ड्यू और एफिड्स का कम प्रकोप होता है.

एनआरसीएचबी-506 हाइब्रिड- सरसों की यह किस्म राजस्थान और उत्तर प्रदेश के क्षेत्र के लिए सबसे उत्तम हैं. इसके पौधे 180-205 सेमी लंबे होते हैं. सरसों की एनआरसीएचबी-506 हाइब्रिड किस्म 127-148 दिन में पक जाती है. किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा इस किस्म में तेल की मात्रा 38.6- 42.5 प्रतिशत होती है.

सरसों की एनआरसीडीआर-601 किस्म- सरसों की यह उन्नत किस्म दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के विभिन्न राज्यों में की जाती हैं. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 26 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम है. खेत में सरसों की NRCDR-601 किस्म 137-151 दिन में पक जाती है. इस किस्म के सरसों के पौधों की ऊंचाई 161-210 सेमी होती है. सरसों की इस किस्म में सफेद रतुआ, (स्टैग हेड), अल्टरनेरिया ब्लाइट और स्क्लेरोटिनिया रोग नहीं लगते हैं.

सरसों की एनआरसीएचबी-101 किस्म- सरसों की इस उन्नत किस्म की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राजस्थान, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असोम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के किसानों के द्वारा सबसे अधिक की जाती है. इसके पौधे 170-200 सेमी लंबे होते हैं और वहीं सरसों की यह किस्म 105-135 दिन में पककर तैयार हो जाती है. सरसों की NRCHB-101 किस्म प्रति हेक्टेयर लगभग 14 क्विंटल तक उपज देती है.

सरसों की डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज) किस्म- सरसों की यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के लिए सबसे उत्तम है. इस किस्म के पौधे 180-210 सेमी लंबे होते हैं. यह किस्म 137-153 दिन में पक जाती है. इसकी खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 27 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

सरसों की एनआरसीवाईएस-05-02 (पीली सरसों) किस्म- सरसों की NRCYS-05-02 किस्म के पौधे की लंबाई 110-120 सेमी होती है. यह किस्म 94-181 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म का औसत उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 17 क्विंटल तक है. वहीं, इस किस्म की सरसों में तेल की मात्रा 38.2-46.5 प्रतिशत तक पाई जाती है.

सरसों की डीआरएमआर 150-35 किस्म- सरसों की यह उन्नत किस्म बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के किसानों के लिए उत्तम मानी जाती है. इसके पौधे की लंबाई 164-186 सेमी है. वहीं, यह किस्म खेत में 114 दिन में ही पक जाती है. इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा करीब 39.8 प्रतिशत तक होती है.

सरसों की डीआरएमआर 1165-40 किस्म-  सरसों की यह उन्नत किस्म राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए काफी लाभदायक है. इसकी खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म के सरसों के पौधे की लंबाई 191-204 सेमी होती है. इसके अलावा सरसों की DRMR 1165-40 किस्म में तेल की मात्रा करीब 40.7 प्रतिशत तक पाई जाती है.

डीआरएमआरआईसी 16-38 (बृजराज)- सरसों की यह उन्नत किस्म दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के किसानों के लिए लाभदायक है. इस किस्म में तेल की मात्रा 37.6-40.9 प्रतिशत है. यह किस्म 120-149 दिन में पककर तैयार हो जाती है. सरसों की इस उन्नत किस्म के पौधे की लंबाई 188-197 सेमी है.

डीआरएमआर 2017-18 (राधिका)-  सरसों की इस किस्म के पौधे 191-204 सेमी होते हैं. इसकी औसत उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 17 क्विंटल तक है. सरसों की डीआरएमआर 2017-18 (राधिका) किस्म 120-150 दिन में पक जाती है. सरसों की यह किस्म  अल्टरनेरिया ब्लाइट, व्हाइट रस्ट, स्टेम रोट, डाउनी मिल्ड्यू और पाउडरी मिल्ड्यू और एफिड संक्रमण से लड़ने में सक्षम है.

English Summary: top 10 improved varieties of mustard NRCDR-2 NRCHB-506 Hybrid NRCDR-601 NRCHB-101 DRMRIJ-31yield 27 quintals per hectare Published on: 04 November 2023, 01:55 PM IST

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