गन्ने के उत्पादन में भारत विश्व स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाए बनाए है. देखा जाए तो भारतीय किसान के द्वारा उगाए गए गन्ने की मांग (Sugarcane Demand) देश-विदेश के बाजार में सबसे होती है. ऐसे में किसान भाइयों के पास अपनी आय दोगुनी करने के लिए गन्ने की खेती सबसे अच्छा विकल्प है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसानों की मदद के लिए सरकार व संस्थान भी आए-दिन कुछ न कुछ नई किस्मों को विकसित करती रहती है. इसी कड़ी में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Sugarcane Research) ने गन्ने की कुछ नई प्रजातियों को विकसित किया है, जो किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित होंगी. मिली जानकारी के मुताबिक, संस्थान ने गन्ना किसानों के लिए 3 नई प्रजातियों को तैयार किया है, जो कि कई तरह के प्राकृतिक आपदाओं सहित खतरनाक बीमारियों से भी लड़ने में सक्षम होंगी. यह भी बताया जा रहा है कि इन किस्मों से किसानों की फसल उपज में कई गुना बढ़ोत्तरी होगी. तो आइए इन 3 नई गन्ना प्रजातियों के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.
गन्ने की 3 नई प्रजातियां (3 New Varieties of Sugarcane)
कालेखा 11206 : गन्ने की इस किस्म में कई तरह के गुण मौजूद हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि कालेखा 11206 में रस 17.65 प्रतिशत शर्करा और पोल 13.42 प्रतिशत तक पाया जाता है. अगर किसान इसे अपने खेत में लगाता हैं, तो इसके गन्नों की लंबाई (Length of Canes) कम होती है, लेकिन मोटाई सबसे अधिक होती है. इसकी बुवाई के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड की मिट्टी सबसे अच्छी मानी जा रही है. इस किस्म का रंग हल्का पीला है. साथ ही किसान इसकी पैदावार से प्रति हेक्टेयर 91.5 टन तक उपज प्राप्त कर सकते हैं. गन्ने की यह किस्म लाल सड़न रोग से सरलता से लड़ सकती है.
कोलख 09204 : गन्ने की इस किस्म से अच्छी पैदावार उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान सरलता से ले सकते हैं. इस किस्म की फसल का रंग हरा होता है और मोटाई थोड़ी कम है. अनुमान है कि इस किस्म से किसान को प्रति हेक्टेयर 82.8 टन उपज प्राप्त हो सकती है. साथ ही इस किस्म में शर्करा 17 प्रतिशत, पोल 13.22 प्रतिशत तक है.
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कोलख 14201 : उत्तर प्रदेश के किसान भाइयों के लिए यह किस्म किसी वरदान से कम नहीं होगी. दरअसल, यह की मिट्टी के लिए कोलख 14201 सबसे उत्तम है. बता दें कि इस किस्म की फसल का रंग पीले होगा. किसान इससे प्रति हेक्टेयर 95 टन तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. वहीं इसमें शर्करा की मात्रा 18.60 प्रतिशत, पोल 14.55 प्रतिशत तक बताई जा रही है.
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