आजकल किसान भाई खेतीबाड़ी को लेकर इतने सक्रिय हो गए हैं कि खेती की नई-नई तकनीक सीखकर मुनाफ़ा कमा रहे हैं. वैसे तो उन्नत खेती करने की कई तकनीक हैं, लेकिन आज कृषि जागरण अपने किसान भाईयों के लिए खेती की एक ऐसी तकनीक की जानकारी लेकर आय़ा है, जिससे किसान भाई मालामाल हो जाएंगे, क्योंकि उन्हें इस तकनीक से खेती करने पर अधिक-अधिक लाभ मिल सकेगा.
दरअसल, आज हम बहुस्तरीय खेती यानी एक साथ 4 से 5 फसलों की खेती करने की जानकारी लेकर आए हैं, इसलिए किसान भाई अंत तक इस लेख को पढ़ते रहें, ताकि आप भी खेती से बेहतर मुनाफा कमा सकें.
क्या है मल्टीलेयर फॉर्मिंग?
मल्टीलेयर फॉर्मिंग तकनीक में एक से अधिक फसलों की खेती की जा सकती है. इनकी फसलों में न तो कीट पतंगों का प्रकोप रहता है और न ही खरपतवार. आज के समय में इस मॉडल को हजारों किसान अपनाने के साथ ही अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
मल्टीलेयर फॉर्मिंग से लाभ
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आज तक किसान भाईयों ने खेती की कई नई तकनीक से लाभ कमाया होगा, लेकिन मल्टीलेयर फॉर्मिंग अपनाकर किसान भाईयों को बंपर मुनाफ़ा मिल सकता है. आइए सबसे पहले आपको इस फॉर्मिंग से होने वाले लाभ के बारे में बताते है.
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किसानों की लागत चार गुना कम होती है, जबकि मुनाफा 8 गुना ज्यादा मिलता है.
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फसलों को एक-दूसरे से पोषक तत्व मिल जाते हैं.
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जमीन में जब खाली जगह नहीं रहती है, तो खरपतवार भी नहीं निकलते हैं.
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एक फसल में जितनी खाद डालते हैं, उतनी ही खाद से एक से अधिक फसलों की उपज मिल जती है.
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इस तरीके से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है.
मल्टीलेयर फॉर्मिंग में लागत
इस तकनीक से खेती करने के लिए बांस, तार और घास से मंडप तैयार करना पड़ता हैं. इसमें एक एकड़ में एक साल की 25 हजार लागत आती है. इसका मतलब यह है कि एक बार इसे तैयार करने में एक एकड़ में सवा लाख का खर्च आता है. ये 5 साल तक चलता है.
कब शुरू करें मल्टीलेयर फॉर्मिंग
किसी भी क्षेत्र के किसान फरवरी में इस खेती की शुरुआत कर सकते हैं. किसान क्षेत्र और मिट्टी के हिसाब से 4 से 5 फसलों की खेती कर सकते हैं.
कैसे बनता है खेत में मंडप
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एक एकड़ खेत में लगभग 2200 बांस के डंडे लगाते हैं, जिसकी लम्बाई 9-10 फ़ीट की होती है.
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इन्हें 1-2 इंच नीचे गाड़ देते हैं और 1 फीट ऊपर लगा देते हैं. बता दें कि सिर्फ 7 फीट का बांस खेत में दिखता है, जिसमें हमारी फसल चलती है.
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इसके बाद 5 से 6 फ़ीट की दूरी पर बांस लगाते हैं.
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सवा सौ से डेढ़ सौ किलो तक बीस गेज पतला तार लगाते हैं.
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100 किलो तार 16 गेज का लगाते हैं.
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इसके बाद आधा-आधा फीट के गैप से तार को बुनते हैं.
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फिर गुनैइया नाम की घास या फिर कोई भी घास डालते हैं.
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इसके बाद उसके ऊपर लकड़ी डाल देते हैं, जिससे घास उड़े नहीं. ये 60 से 70 प्रतिशत धूप सोख लेती है.
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अब इसे बाउंड्री बॉल ग्रीन नेट या साड़ी से चारों तरफ से ढक देते हैं.
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इस तरह देशी तरीके से फॉर्म हॉउस बन जाता है.
ध्यान दें कि अगर कोई किसान भाई सारा कुछ बाजार से खरीदना चाहते हैं तो इसमें सवा लाख रुपए खर्च हो सकता है. अगर आपके पास सामान है, जैसे बांस, घास, साड़ी आदि, तो बहुत ही कम लागत लगती है.
मल्टीलेयर फॉर्मिंग में नहीं लगते कीट
इस तकनीक से खेती करने में जमीन पर खाली जगह नहीं रहती है, तो इसलिए खरपतवार नहीं निकलते हैं. इसके साथ ही बाहरी कीट पतंग फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं, क्योंकि बाउंड्री बॉल होने से बाहर के कीट पतंग अंदर नहीं जा पाते हैं.
एक साथ ले सकतें हैं ये फसलें
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किसान भाई फरवरी में जमीन के नीचे अदरक की खेती कर सकते हैं.
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फिर उसके ऊपर कोई भी साग भाजी जैसे-मेंथी, पालक, चौलाई आदि लगा सकते हैं.
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इसके बाद तीसरी कोई भी बेल वाली फसल जिसमें कुंदरू, करेला, परवल, पड़ौरा लगा सकते हैं. बता दें कि इनकी पत्तियां छोटी होती हैं, जिससे नीचे की फसल को कोई नुकसान नहीं होता है.
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इसके साथ ही पपीता भी लगा सकते हैं.
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