मेरठ के फफूंडा गाँव की महिलाएं आज सभी के लिए प्रेरणा की श्रोत बनी हुई हैं. उनकी कामयाबी की कहानी से लोग जान सकते हैं कि कैसे घर बैठे भी मुनाफा कमाया जा सकता है. दरअसल यहां की ग्रामीण महिलाओं ने गाय के गोबर से ऐसा उत्पाद बनाया है, जो पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया है. चलिए आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं.
इन राज्यों में बिक रहा है माल
यहां की महिलाओं ने गाय के गोबर से करशी बनाने का शुरू किया है. वो न सिर्फ करशी बनाती है, बल्कि उसे पैकेट में पैक कर बेहतर मार्केटिंग भी करती है. इन पैकेट्स की सप्लाई अब दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश, जैसे राज्यों में हो रही है. उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों की मांग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महीने में यहां तकरीबन दो लाख से अधिक पैकेट तैयार हो जाते हैं.
मंगल कार्यों पर उपयोग होता है करशी
करशी बनाने वाली महिलाओं का एक समूह भी है, जिसकी अध्यक्ष रेखा देवी है. रेखा बताती है आज गोबर से महिलाओं को रोजगार मिल रहा है और वो पूरे गांव को आत्मनिर्भर बना रही है. गाय के गोबर से बनाए गए करशी का उपयोग सबसे अधिक मंगल आयोजनों या धार्मिक अनुष्ठानों पर होता है. लोग इन्हें पावन मौकों पर पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन आदी के लिए करते हैं.
इस तरह आया करशी बनाने का ख्याल
रेखा बताती है कि आज से पहले गाय के गोबर का उपयोग जलावन या उपलों के रूप में ही होता था. अब आज के समय में जब घर-घर गैस-चूल्हा आ गया है, ऐसे में उपलों की मांग तो रही नहीं. ऐसे में गाय के गोबर से कुछ नया काम करने की इच्छा हुई.
बीस रूपए का एक पैकेट
रेखा के मुताबिक एक पैकेट का दाम बीस रुपए का है. इसमें लागत अधिक नहीं आती, मशीनों का काम भी नाम मात्र ही है. गांव की महिलाएं इन करशियों को बनाती है और फिर पैक करती है. उनके इस काम से प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत का सपना सच हो रहा है.
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