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कृषि जागरण के सभी पाठकों और दर्शकों को शुभकामनाएं देते हुए सफल किसान धर्मेंद्र नागर ने कृषि जागरण के एफटीबी प्लेटफॉर्म पर अपने एग्री बिजनेस के बारे में वीडियो के जरिए बताया. उन्होंने बताया कि वह राजस्थान के बूंदी जिले के गणेशपुरा गाँव से हैं. वह 2016 से खेती कर रहे हैं और विभिन्न किस्मों और तकनीकों के सहारे नया करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह चिया, क्विनोआ, काले चावल और पैगम्बरी गेहूँ उगते हैं, जिसके लिए वह खेती में बहुत मेहनत करते हैं.
उन्होंने बताया कि पैगम्बरी गेहूँ शुगर फ्री है, इसलिए बेचने के लिए बहुत अच्छा है. वह बाजार में बेचने से पहले अपने उत्पादों का पैकेजिंग करते हैं. उदाहरण के लिए, चिया की पैकेजिंग के करने के बाद, चिया को स्थानीय किसानों या किसी को भी खरीदने में दिलचस्पी होती है. वह अपने उत्पादों को ऑनलाइन भी बेचते हैं और वह ऑर्डर पर कूरियर या पोस्ट के माध्यम से भी भेजते हैं.
धर्मेंद्र नागर ने बताया कि वह खेती से काफी खुश हैं, क्योंकि वह खेती के सहारे अपनी आय को तीन गुना करने में सक्षम हैं और कई पत्रिकाएं और मीडिया समूह उन्हें अपनी उपलब्धियों और खेती में सफलता के बारे में, विशेष रूप से उनकी खेती के तरीकों के बारे में इंटरव्यू लेने के लिए आ चुकी हैं. धर्मेंद्र नागर ने गर्व के साथ बताया कि अच्छी खेती के लिए आईसीएआर ओसीपी फाउंडेशन ने उन्हें कृषि विज्ञान पुरस्कार से भी सम्मानित किया है.
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नागर ने बताया कि वह खेती के लिए पारंपरिक और जैविक तरीकों का पालन कर रहे हैं और उत्पादकता के मामले में अच्छे परिणाम प्राप्त कर रहे हैं और कभी भी रसायनों का इस्तेमाल खाद या कीटनाशक के रूप में नहीं करते हैं. उनकी रासायनिक मुक्त उपज की बाज़ारों में बहुत अच्छी मांग है और ग्राहक भी इन उत्पादों से संतुष्ट हैं.
उक्त बातों का उल्लेख करने के बाद धर्मेंद्र नागर ने एक बैग से पैकेट निकाला और वीडियो में 1 किलोग्राम के पैकटों को दिखाया. इस दौरान उन्होंने हमें चिया और काले चावल के 1 किलोग्राम पैकेट दिखाए. उनके काले चावल अक्सर किसानों द्वारा बीज के रूप में खरीदे जाते हैं, क्योंकि वे फसलों को उसी तरह से उगाना चाहते हैं जिस तरह से उनके पास है. उन्होंने कहा कि वह जो कमाते हैं उससे संतुष्ट हैं.
धर्मेंद्र ने बताया कि वह इस साल भी पैगम्बरी गेहूं उगा रहें हैं, जिसकी मीडिया में भी खबरें हैं. यह गेहूं फाइबर युक्त है और अपने अच्छे स्वाद के लिए जाना जाता है. यह देसी किस्म है और उन्होंने मध्य प्रदेश से इसका बीज मंगवाया है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष अपने खेतों में गेहूं की इस किस्म की उत्पादकता के बारे में हम जानेंगे और इस गेहूं को खाएँगे. यदि परिणाम संतोषजनक रहा तो हम अपने साथी किसानों को भी गेहूं की इस किस्म की बुवाई करने हेतु सिफारिश करेंगे. वीडियो देखने के लिए, लिंक पर क्लिक करें.
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