अलसी या तीसी समशीतोष्ण प्रदेशों का पौधा है. इसे हम प्लेक्स सीड्स (flax seeds) भी कहते हैं. अलसी का बोटेनिकल नाम लिनम उसीटेटिसिमम है. यह परिवार लिनेसी के जीनस लिनम का एक सदस्य है.अलसी में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो मानव शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक हैं. अलसी का उपयोग मुख्यतः तेल व रेशे के लिए किया जाता है विश्व में अलसी के उत्पादन के दृष्टिकोण से हमारे देश का तीसरा स्थान है जबकि प्रथम स्थान पर कनाडा व दूसरे स्थान पर चीन है. इसकी खेती मुख्यतः मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हिमाचल प्रदेश एवं महाराष्ट्र आदि राज्यों में की जाती है| अलसी के कुल उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत खाद्य तेल के रूप में तथा शेष 80 प्रतिशत उद्योगों में प्रयोग होता है.आयुर्वेद में अलसी को मंद-गंधयुक्त, मधुर, बलकारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है.
अलसी में मौजूद पोषक तत्व (Nutrients in Flaxseed)
पोषकता के मामले में अलसी सबसे फायदेमंद भोजनों में से एक है. अलसी में नियंत्रित मात्रा में सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इसका निरंतर सेवन सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है.अलसी के बीज में आयरन, पोटेशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, विटामिन C, विटामिन E कैरोटीन तत्व पाए जाते हैं. इसके अलावा अलसी में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी6 और जिंक भी मौजूद होते हैं. अलसी ओमेगा-3 फैटी एसिड, लिग्नेज, प्रोटीन व खाद्य रेषा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, सेलेनियम इत्यादि का एक बढ़िया स्त्रोत है.
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औषधीय गुण और फायदे (Medicinal properties and benefits)
एंटी-ऑक्सीडेंट्स
ओमेगा-3 फैटी एसिड: भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होने से अलसी हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाता है. अलसी के बीज में पाएं जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स शरीर के वजन को कम करने में सीधे तौर पर जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन जब शरीर में फैट बर्न होता हैं, तब ये शरीर के सेल की सक्रियता में सुधार लाता हैं और पोषण प्रदान करता हैं.ओमेगा-3 के अलावा अलसी का दूसरा महत्वपूर्ण एंटी-ऑक्सीडेंट्स लिग्नेन है. अलसी में इसकी मात्रा 0.8 से 12.0 मि.ग्रा./ग्राम होती है. यह एंटीबैक्टेरियल, एंटीवायरल, एंटीफंगल, तथा कैंसररोधी है. एंटीऑक्सीडेंट लिग्नेन शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है. लिगनेन चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को बढ़ाता है, जिस कारण भी आपका वजन कम हो सकता है.अलसी में मौजूद लिग्नांस के कारण कैंसर ट्यूमर (Tumor) घटता है.ओमेगा-3 के कारण नसों की काम करने की क्षमता बढ़ती है.
हाई फाइबर, लो कार्बोहाइड्रेट
अलसी में हाई फाइबर और लो कार्बोहाइड्रेट होता है, जो वजन कम करने के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. अलसी के बीज को खाद्य फाइबर का एक बड़ा स्रोत माना जाता हैं. इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को संयमित रखती है और एक प्राकृतिक लैक्सेटिव (रेचक) है. ये फाइबर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – घुलनशील और अघुलनशील. घुलनशील फाइबर जैल पदार्थ का उत्पादन करने में मदद करते हैं जिससे पाचन क्रिया धीमी होती हैं और आपका पेट भरा-भरा लगता हैं. वहीं दूसरी ओर, अघुलनशील फाइबर अच्छे बैक्टेरिया के उत्पादन में मदद करते हैं, जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ बना रहता हैं और मेटाबॉलिज्म भी ठीक रहता है. इसमें स्टार्च और चीनी की मात्रा कम होती हैं और इसमें कैलोरी भी बेहद कम होती हैं.
उपयोग (Uses)
अलसी तेल का उपयोग खाने, औषधि उपयोग एवं अन्य विभिन्न प्रकार के औद्योगिक उत्पाद बनाने में किया जाता है.
इसकी खली का उपयोग पशुओं को खिलाने के रूप में किया जाता है, जो कि खाने में स्वादिष्ट तथा 36 प्रतिशत प्रोटीन के साथ सुपाच्य भी होती है.
अलसी में, म्यूसिलेज (Mucilage) भी पाया जाता है. म्यूसिलेज एक चिपचिपा, जैल जैसा फाइबर (fiber) होता है. अलसी म्यूसिलेज से गोंद का निर्माण भी किया जाता है. खाद्य प्रक्रिया में इस गोंद का स्टेबलाइजर के रूप में उपयोग किया जाता है. अलसी चूर्ण का उपयोग स्मूदी, मिल्कशेक, कुकीज या केक में किया जाता है.
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