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Buddha Purnima 2022: कब और किस विधि से मनाएं बुद्ध पूर्णिमा, जानिए इसका धार्मिक महत्व

गौतम बुद्ध जिन्होंने धर्म ,कर्तव्य, अहिंसा, सद्भाव और दया का उपदेश दिया था, साथ ही 30 वर्ष की आयु में अपनी सांसारिक संपत्ति और रियासत को त्याग दिया था. जिनका जन्म बुध पूर्णिमा का हुआ था. तो आइये जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा भक्तों के लिए क्यों है इतना ख़ास.

स्वाति राव

हिंदू पंचांग के अनुसार हर तिथि का अपना एक महत्व होता है. हिन्दू परिवार के लिए तिथि और त्यौहार बहुत खास है. इन्हीं तिथियों में से एक वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान् बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जानते हैं. तो आइये जानते हैं किस दिन मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा और क्या है इसका ख़ास महत्व.

बुद्ध पूर्णिमा तिथि (Buddha Purnima Date 2022)

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल 2022 में बुद्ध पूर्णिमा 16 मई 2022 दिन सोमवार को मनाया जाएगा. हिन्दू एवं बौद्ध धर्म के अनुसार वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा को श्रद्धालु बड़े भक्ति भाव से इस तिथि को मनाते हैं.

शुभ मुहूर्त (Auspicious Time)

वहीं शुभ मुहूर्त की बात करें तो, इस साल 2022 में बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 15 मई को 12 बज कर 45 मिनट पर शुरू  हो रहा है जो 16 मई को 9 बज कर 45 मिनट तक रहेगा. ऐसी मान्यता है कि इस बुद्ध पूर्णिमा पर लोग व्रत रखते हैं और चन्द्र भगवान् के दर्शन के बाद इस व्रत को पूरा करते है.

महत्व (Significance)

प्रत्येक पूर्णिमा का दिन बौद्धों के लिए बहुत शुभ दिन माना जाता है लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मई में पड़ने वाली पूर्णिमा का दिन माना जाता है. इस दिन गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाएं इसी दिन हुई थी. सबसे पहले, तो गौतम भगवान् का जन्म इस दिन हुआ था साथ ही दूसरा, इन्होने छह साल की तपस्या कर बोधि वृक्ष की छाया के नीचे ज्ञान प्राप्ति की थी और मई की पूर्णिमा के दिन बोधगया में भी भगवान गौतम बुद्ध बन गए.

इसे पढ़िए - Parshuram Jayanti 2022: जानिए क्यों मनाई जाती है परशुराम जयंती, पढ़िए इसका शुभ मुहूर्त और महत्व

बुध पूर्णिमा व्रत विधि (Budh Purnima Fasting Method)

बुध पूर्णिमा की व्रत विधि जानने के लिए नीचे दिए गए बातों को अपनाएं–

  • सबसे पहले वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें.

  • उसके बाद पास की किसी पवित्र नदी या कुंड में जा कर स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करें.

  • इसके बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.

  • स्नान से निवृत्त होकर भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए.

  • इसके बाद आखिर में दान-दक्षिणा दें.

  • रात्रि में भगवान चन्द्र देव की आरती पूजन कर अपने व्रत को पूरा करें.

English Summary: Know the date, significance and history of Buddha Purnima Published on: 09 May 2022, 12:37 PM IST

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