जिंदगीभर हम सभी अपने परिवार की खुशियों के लिए तमाम कोशिश करते हैं कि उन्हें कई किसी तरह कोई दिक्कत न हो. उनकी हर खुशी को पूरा किया जाए. इसके लिए होम लोन (Home Loan) लेकर घर खरीदते हैं, ऑटो लोन (Auto Loan) लेकर कार खरीद लेते हैं, तो कभी बच्चों की पढ़ाई के लिए लोन (Education Loan) ले लेते हैं और न जाने कितने तरह के छोटे-बड़े लोन लेकर परिवार की सुख सुविधाओं का इंतजाम करते हैं.
मगर ये सभी जानते हैं कि जिंदगी का कुछ भरोसा नहीं है. वैसे भी कोरोना महामारी (Corona Epidemic) की पहली और दूसरी लहर हजारों लोगों की जान ले चुकी है. ऐसे में आपने कभी सोचा है कि अगर लोन लेने वाले की व्यक्ति की मौत हो जाए, तो इस स्थिति में उस लोन को कौन चुकाएगा? कई लोग इस तरह के कई सवालों का जवाब जानना चाहते हैं. इसके लिए हमें सबसे पहले ये समझना होगा कि सभी लोन (Loan) एक तरह के नहीं होते हैं, तो आइए आपको इस बारे में पूरी जानकारी देते हैं.
लोन की कैटेगरी (Loan Category)
सबसे पहले बता दें कि लोन को 2 कैटेगरी में रखा जाता है.
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सिक्योर्ड (होम लोन और ऑटो लोन)
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अनसिक्योर्ड (पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड वगैरह की ईएमआई)
अब आपको एक-एक करके समझते हैं कि अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो क्या इस स्थिति में बैंक परिवार पर दबाव डालकर लोन की वसूली कर सकता है.
होम लोन (Home Loan)
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अगर किसी व्यक्कि ने ज्वाइंट होम लोन ले रखा है और फिर प्राइमरी एप्लीकेंट की मौत हो जाती है, तो इस स्थिति में लोन चुकाने की जिम्मेदारी दूसरे को-एप्लीकेंट की होती है.
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अगर दूसरा एप्लीकेंट लोन नहीं चुका सकता है, तो बैंक के पास अधिकार होता है कि वह सिविल कोर्ट, डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल या SARFAESI Act एक्ट के तहत रिकवरी करें.
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इसके साथ ही बैंक प्रॉपर्टी को कब्जे में लेकर लोन वसूल कर सकती है. हालांकि, इससे पहले बैंक परिवार वालों को कुछ दिन की मोहलत भी देती है.
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अगर मृत व्यक्ति ने कोई टर्म पॉलिसी या कोई दूसरी पॉलिसी ले रखी है, तो उससे पैसे का इंतजाम किया जा सकता है और लोन चुकाया जा सकता है.
ऑटो लोन (Auto Loan)
अगर ऑटो लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो लोन चुकाने की जिम्मदारी परिवार की होती है. अगर परिवार लोन चुकाने के लिए तैयार नहीं है, तो बैंक गाड़ी को कब्जे में ले लेती है. इसके बाद गाड़ी की नीलाम करके लोन वसूल लेती है.
पर्सनल लोन व क्रेडिट कार्ड (Personal Loans and Credit Cards)
ये सभी लोग अनसिक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं. अगर इस लोन को लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो बैंक उसके परिवार में जीवित दंपत्ति या उसके कानूनी वारिस से लोन वसूलती है. चूंकि ये अनसिक्योर्ड लोन है, इसलिए इसमें कोलैटर जैसी कोई चीज नहीं होती है. इसके अलावा संपत्ति भी जब्त नहीं की जा सकती है. इस स्थिति में बैंक इसे राइट ऑफ कर देती है. इसका मतलब है कि एनपीए (NPA) अकाउंट में डाल देती हैं.
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