चाय एक प्रकार से विश्वव्यापी पेय पदार्थ है. इसके पौधों की बात करें तो यह एक सदाबहार झाड़ी नुमा पौधा होता है. भारत का विश्व में चाय उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान है.
बता दें कि भारत में लगभग हर उम्र के लोगों में चाय पीने की प्रचलन काफी बढ़ती जा रही है. जिसको लेकर चाय की खपत और मांग दोगुनी तेजी से बढ़ रही है. भारत में चाय की खेती सबसे सुंदर दार्जिलिंग व असम में देखने को मिलती है. चाय की खेती के लिए अनुकूल तापमान 24 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए. वहीं इसकी अच्छी उपज और उच्च श्रेणी के फसल दोमट मिट्टी या चिकनी मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है. भारत दुनिया का लगभग 27 प्रतिशत चाय का उत्पादन अकेला करता आया है.
गौरतलब है कि संतुलित तापमान की वजह से चाय की खेती देश के हर कोने में कर पाना संभव नहीं था, लेकिन अब ये भी संभव होता नज़र आ रहा है. आपको बता दें कृषि विश्वविधालय पालमपुर के मुताबिक अब हमारे देश के किसान भाई देश के गर्म इलाकों में हिमाचल की ‘कांगड़ा चाय’ का उत्पादन करने में सक्षम होंगे.
कृषि विश्वविधालय पालमपुर ने किसानों के आर्थिक हालात को मजबूत करने हेतु कुछ अलग हट कर सोचा है. विवि के मुताबिक चाय की बढ़ती खपत और मांग को देखते हुए चाय का उत्पादन बढ़ाने के लिए गैर पारम्परिक क्षेत्रों में चाय की खेती पर शोध कर इसके विकास और गतिविधियों पर काम किया जाएगा. इसको गंभीरता से लेते हुए इस पर अभियान भी चलाया जा रहा है.
जिसके देखते हुए ये अंदाज लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनो में कंगड़ा के अलावा देश व हिमाचल प्रदेश के अन्य जिलों में भी चाय की पैदावार संभव हो सकेगी. किसान भाइयों को जान कर ये ख़ुशी होगी कि इस विषय पर ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है. विवि के कुलपति प्रो. हरिंदर कुमार चौधरी के मुताबिक भूखंड प्रदर्शनी और अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के तहत विभिन्न जिलों में स्थिति विश्वविधालय के कृषि विज्ञान केंद्र और अनुसन्धान केंद्रों-मालं, कांगड़ा, बड़ा, बरठीं, सुंदरनगर, बजौरा सहित धौला कुआं में चाय बागान लगाने के उद्देश्य से यह पौधरोपण किया जा रहा है.
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उन्होंने आशा जताते हुए कहा की इन केंद्रों में आने वाले दर्शकों तथा चाय पौधरोपण की चाह रखने वालों में जागरूकता और रूचि बढ़ाएगा. विवि की ओर से पहली बार शुरू की गयी इस अनोखी पहल से कांगड़ा तथा अन्य राज्यों के गैर पारम्परिक भागों में चाय की खेती बढ़ाने और चाय की खेती पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारें में भी जानकारियां मिल सकेंगी.इस अद्भुत कार्यक्रम के पहले चरण में 800 चाय के नए पौधे भी लगाए गए.
चाय निर्यात निति के तहत पहचानी गयी ‘हेरिटेज कांगड़ा टी' पर जागरूकता प्रसार के लिए कुलपति ने भारत सरकार के चाय बोर्ड तथा राज्य चाय इकाई के अधिकारीयों और विवि के वैज्ञानिक के साथ बैठक करने के बाद इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी.
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