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कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए महिलाओं की आत्मनिर्भरता है जरुरी, जानिए इनकी भूमिका

सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन के अनुसार विश्व में खेती का सूत्रापात और वैज्ञानिक विकास का आरंभ महिलाओं ने ही किया है. हमारे देश में 65.27 प्रतिशत आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है.

KJ Staff
कृषि क्षेत्र में महिलाओं का योगदान
कृषि क्षेत्र में महिलाओं का योगदान

संसार एक रंगमंच है जहाँ स्त्री एवं पुरुष दोनों को ही अपनी भूमिका निभानी पड़ती है. देश के निर्माण में पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों का भी महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा है.

कृषि क्षेत्र में महिलाओं का योगदान

सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन के अनुसार विश्व में खेती का सूत्रापात और वैज्ञानिक विकास का आरंभ महिलाओं ने ही किया है. हमारे देश में 65.27 प्रतिशत आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. संपूर्ण विश्व की ग्रामीण महिलाएं कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. बीज की बुवाई से लेकर फसल की कटाई तक में महिलाओं का अहम योगदान रहता है. आज अनेक महिलाएं मिसाल बनकर सामने आई हैं जिन्होंने कृषि एव कृषि संबंधित क्षेत्र में अनेक आयाम छुए हैं. इनमे से कुछ की सफलता का वर्णन इस प्रकार है.

बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के महादेव पुर गांव की चंद्रमणि सिंह जिनकी वर्तमान उम्र 67 वर्ष है. वह 2 बेटों और 7 बेटियों (1 मृत) की मां हैं. उनके पति की 30 जनवरी 1989 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और उस घटना के कुछ साल बाद चंद्रमणि सिंह ने अपने परिवार के जीवन यापन के लिए एक कृषि आधारित उद्यम में कदम रखा. अब वह आम के बाग, केले के बागान, बांस के झुरमुट कृषि-वानिकी अनाज फसलों (चूहों के प्रकोप से परेशान) होकर मक्का व धान की खेती छोड़ दी. तिलहन से तेल निष्कर्षण; राई काली और पीली सरसों और नर्सरी में एक पूर्ण विकसित कृषि उद्यमी बन चुकी हैं. इसके अलावा उन्हें बिहार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग से पोप्लर (वंश पॉपुलस, कुल सैलिसेसी) उगाने का ठेका मिला है. जिसमें उन्हें विभाग से 2 फीट के पोप्लर के पौधे प्राप्त होते हैं और जब पौधे लगभग 15 फीट के हो जाते हैं तब इन पौधों को वह  विभाग को 15 रुपए प्रति परिपक्व पौधे बेंच देती हैं. 

अब वह अंडा उत्पादन के व्यवसाय लिए लेयर पोल्ट्री फार्मिंग; अंडे देने वाले पोल्ट्री बर्ड्स के लिए अनुदान मांगने की कोशिश कर रही हैं. छत्तीसगढ़ के सुदूर गांव में रहने वाली महिलाओं के समूह ने मशरुम की खेती कर के अपने साथ-साथ परिवार को भी आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने का काम किया है. ये मशरूम उत्पादन के साथ-साथ बीज उत्पादन का भी काम करती हैं. पहले जहां इन महिलाओं को अपने जीवनयापन के लिए दूसरों पर निर्भर होना पड़ता था आज मशरूम की खेती ने सुदूर गांव की इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. आज ये महिलाएं समाज के अन्य वर्ग के महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है कि अगर हम कुछ मुकाम हासिल करने का ठान ले तो कर सकते हैं और अपने जीवन को एक दिशा दे सकते हैं.

श्रीमती सोनी कुमारी गांव मोहम्मदपुर बिरौलीए प्रखंड पूसा जिला समस्तीपुर बिहार की रहने वाली हैं. उन्होंने मशरूम की खेती कर एक नया आयाम स्थापित किया है.मशरूम के खेती में संपूर्ण कार्य सोनी कुमारी जी के द्वारा ही किया जाता है तथा विपणन का कार्य इनके पति के द्वारा सम्पन्न किया जाता है. यह एक आत्मनिर्भर महिला किसान के रूप में अन्य महिलाओं को स्वयं का रोजगार शुरू करने की प्रेरणा दे रही हैं. श्रीमती सोनी कुमारी गांव मोहम्मदपुर बिरौलीए प्रखंड पूसा जिला समस्तीपुर बिहार की रहने वाली हैं. उन्होंने मशरूम की खेती कर एक नया आयाम स्थापित किया है.

मशरूम के खेती में संपूर्ण कार्य सोनी कुमारी जी के द्वारा ही किया जाता हैं तथा विपणन का कार्य इनके पति के द्वारा सम्पन्न किया जाता है. यह एक आत्मनिर्भर महिला किसान के रूप में अन्य महिलाओं को स्वयं का रोजगार शुरू करने की प्रेरणा दे रही हैं. इन महिलाओं ने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई हैए जो अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत तथा अनुकरणीय है.

देशहित के लिए महिला एवं पुरुष दोनों का प्रत्येक क्षेत्र में बराबर का योगदान होना चाहिए और यह तभी संभव है जब देश के प्रत्येक नागरिक बिना किसी भेदभाव जातिए धर्मए भाषा, लिंग इत्यादि को परे रख आगे बढ़ेगा और महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा. महिलाओ के लिए विभिन्न मार्ग स्थापित किए जाएंगे. माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में देश के हर वर्ग की महिलाएं अपना सहयोग दे रही हैए जैसे ग्रामीण इलाके में लघु एवं कुटीर उद्योग में हिस्सा लेकर महिलाएं अपने आपको आत्मनिर्भर बना रही हैए जो तभी सफल होगा जब प्रधानमंत्री जी के कथन वोकल फॉर लोकल; टवबंस वित स्वबंसद्ध को हम बढ़ावा देंगे. वही दूसरी ओर महिलाएं उद्यमिता की ओर अग्रसर हो रही हैं ए और अपने साथ-साथ समाज की अन्य महिलाओं को भी रोजगार प्रदान कर रही हैं.

वर्तमान समय में महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और नए-नए मुकाम को हासिल कर रही हैं चाहे वो भूमि पर रहकर कृषि का कार्य हो या आसमान को चीर कर अंतरिक्ष में जाने की बात होए महिलाएं हर जगह अपने आप को आत्मनिर्भर बना रही हैं और प्रेरणा स्रोत बनकर सामने आ रही हैं.

लेखक:

डॉ सुधानंद प्रसाद लाल, दीक्षा श्रीवास्तव, कु. प्रिया सिंह एवं डॉ. राजीव कुमार श्रीवास्तव. सहायक प्रोफेसर सह वैज्ञानिक पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर ;बिहार.848125. शोध छात्राएं डिपार्टमेंट ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन मैनेजमेंट सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर; बिहार: 848125. सहायक प्राध्यापक; सस्य निदेशालय बीज एवं प्रक्षेत्र तिरहुत कृषि महाविद्यालय ढोली.843121ए मुजफ्‌फरपुर बिहार; डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर.

English Summary: Self-reliance of women is necessary to move ahead in agriculture, know their role Published on: 15 April 2022, 08:25 PM IST

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