पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के किसानों ने एक कमाल कर दिखाया है. किसानों ने काला चावल यानी ब्लैक राइस की खेती की है, जो कि अब विदेशों में धूम मचाने वाला है. आने वाले समय में इसकी पैदावार को बढ़ाया जाएगा, साथ ही ऐसी व्यवस्था की जाएगी.
जिससे किसान खुद ही अपनी पैदावार विदेशों तक बेच सकें. बता दें कि यूपी के चंदौली जिले को धान का कटोरा भी कहा जाता है, क्योंकि यह अधिकतर किसान धान की खेती करते हैं.
किसानों का अनोखा प्रयोग (Unique experiment of farmers)
दरअसल, पीएम मोदी ने साल 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य तैयार किया है. इस कड़ी में जिला प्रशासन ने चंदौली में 2 साल पहले ब्लैक राइस की खेती का अभिनव प्रयोग किया था. यह प्रयोग अब सफल हो गया है.
बता दें कि जब मोदी सरकार का पहला कार्यकाल था, उस समय केंद्रीय मंत्री रहीं मेनका गांधी ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए ब्लैक राइस की खेती कने का सुझाव दिया था. इस सुझाव को अपनाते हुए मणिपुर से प्रयोग के तौर पर ब्लैक राइस का बीज मंगाया गया था.
25 हेक्टेयर में हुआ प्रयोग (25 hectare experiment)
पहले साल में सिर्फ 25 हेक्टेयर में ब्लैक राइस लगाया गया. जब इसका अच्छा परिणाम आने लगा, तो दूसरे साल लगभग ढाई सौ हेक्टेयर में ब्लैक राइस का उत्पादन किया गया. खुशी की बात है कि आज एक ही फर्म ने यहां पर लगभग 80 मीट्रिक टन का काला चावल खरीदा है.
30 किसानों को दिया गया बीज (Seed given to 30 farmers)
जिले के 30 प्रगातिशील किसानों को ब्लैक राइस का बीज दिया गया था. इसकी क्रॉप कटिंग में अच्छे परिणाम देखने को मिले थे. इसके बाद ही अगले सीजन में ब्लैक राइस की खेती का दायरा बढ़ा. इसकी खेती सैकड़ों किसानों ने की.
औषधीय गुणों वाला ब्लैक राइस (Black rice with medicinal properties)
इस चावल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. यह चावल शुगर फ्री होता ही है, साथ ही यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को रोकने की क्षमता प्रदान करता है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में होता है.
बिक्री एक बड़ी चुनौती थी (Sales were a big challenge)
किसानों ने ब्लैक राइस की खेती को कर ली है, लेकिन इसको उचित मूल्य पर बेचना सबसे बड़ी चुनौती थी. मगर जिला प्रशासन की मदद से इसका इंतजाम भी किया गया.
बचा दें कि किसानों की मेहनत रंग लाने के बाद किसानों का 80 मीट्रिक टन ब्लैक राइस एक राइस मिलर ने एकमुश्त खरीद लिया. बताया जा रहा है कि अब चावल तैयार होने के बाद ऑस्ट्रेलिया में भेजा जाएगा.ब्लैक राइस की मांग काफी बढ़ती जा रही है. इसको महंगे दामों पर बेचा जा रहा है. खास बात है कि इसकी खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से की गई है. इसमें किसी भी रासायनिक खाद का उपयोग नहीं हुआ है.
किसान भी ब्लैक राइस की खेती करके काफी काफी खुश हैं. आने वाले समय में धान का कटोरा कहा जाने वाला चंदौली काफी बड़े स्तर पर ब्लैक राइस की खेती कर सकता है. इस चावल को दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में भी बेचा जाएगा. इससे किसानों की आमदनी बढ़ पाएगी.
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