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बुरी खबर! मुश्किल में मध्यप्रदेश के किसान, पढ़ें क्या है वजह

हिमाचल प्रदेश के किसानों ने जमीन गिरवी रखकर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) तो बनवा लिए, लेकिन अपनी खेती को इस योग्य नहीं बना पाए कि इससे आमदनी बढ़े. अब ऐसे हजारों अन्नदाता कर्ज में डूब गए हैं और उनका इससे बाहर निकलना मुश्किल हो गया है.

डॉ. अलका जैन
Kisan credit card
Kisan credit card

मध्यप्रदेश के किसान भाइयों की मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं. ताज़ा खबरों के अनुसार 30,366 किसान भाई फसलों पर लिया ऋण नहीं चुका पाए हैं और उनके खाते एनपीए कर डिफाल्टर घोषित किया गया है.

डिफाल्टर हुए इन किसानों के पास बैंकों के 728.65 करोड़ रुपये फंसे हैं. ऐसे किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में भी रेड एंट्री की गई है. 

क्यों आया किसानों पर यह संकट

हिमाचल प्रदेश के किसानों ने जमीन गिरवी रखकर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) तो बनवा लिए, लेकिन अपनी खेती को इस योग्य नहीं बना पाए कि इससे आमदनी बढ़े. अब ऐसे हजारों अन्नदाता कर्ज में डूब गए हैं और उनका इससे बाहर निकलना मुश्किल हो गया है.

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किसानों को मिल रहा बैंक का नोटिस

एनपीए घोषित कई खाताधारक किसानों को बैंक नोटिस भी दे रहे हैं. राज्य में 4,36,231 किसानों ने केसीसी बनाए हैं, जिनसे बैंकों को 7719.19 करोड़ रुपये वसूल करने हैं, यानी यह कुल ऋण आउटस्टैंडिंग है. किसानों को केसीसी पर कर्ज चार फीसदी के आसपास की ब्याज दर पर मिलता है, लेकिन हजारों कृषक अपनी आमदनी दोगुना या तिगुना करने के चक्कर में अपनी हैसियत से ज्यादा ऋण ले लेते हैं, जिसे वे समय पर चुका नहीं पाते.

कितने बैंकों ने दिए किसानों को केसीसी

प्रदेश में सार्वजनिक, निजी और सहकारी क्षेत्र के 22 बैंकों ने किसानों को केसीसी दिए हैं.

आइये देखते हैं किस बैंक के कितने खाते हुए एनपीए 

पंजाब नेशनल बैंक -9,467

एसबीआई - 5,338

आईसीआईसीआई - 4,908

राज्य सहकारी बैंक - 3,530

हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक - 2,716

यूको बैंक - 2,496

जोगिंद्रा बैंक - 807

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया -316, 

बैंक ऑफ इंडिया में - 219

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया - 188

केनरा बैंक -164, 

आईडीबीआई बैंक - 121, 

बैंक ऑफ बड़ौदा - 42, 

पंजाब एंड सिंध बैंक -22, 

इंडियन बैंक में -16

इंडियन ओवरसीज बैंक -14

 बैंक ऑफ महाराष्ट्र - 2 एनपीए घोषित हो चुके हैं.

इतने खाते NPA होने का कारण

किसान क्रेडिट कार्ड पर लिए कर्ज को वक्त पर नहीं चुका पाने की एक वजह किसानों में जागरूकता का अभाव है. 

प्रकृति के प्रकोप से फसल ठीक न हो पाना भी एक कारण है.

केसीसी फसली कर्ज होता है. इसे किसान सालाना फसल में बढ़ोतरी के लिए खर्च करने के बजाय आधारभूत ढांचा विकास और अन्य कार्यों में भी लगा देते हैं. इससे उनकी आमदनी प्रभावित होती है और वे इसे समय पर नहीं चुका पाते हैं.

English Summary: Bad News! Farmers of Madhya Pradesh in trouble, read what is the reason Published on: 14 May 2022, 05:31 PM IST

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