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बायोफ्लॉक तकनीक से मत्स्य पालन में आई नई लहर, होगा अधिक मछली का उत्पादन

मछली की बढ़ती खपत को देखते हुए मत्स्य पालक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नयी तकनीक को अपना रहें है. इसके लिए कम पानी और कम खर्च में अधिक से अधिक मछली उत्पादन करने हेतु बायोफ्लॉक तकनीक अपना रहे है. बायोफ्लॉक तकनीक एक आधुनिक व वैज्ञानिक तरीका है. मछली पालन के इस तकनीक को अपनाते हुए मत्स्य पालक न सिर्फ नीली क्रांति के अग्रदूत बनेंगे बल्कि बेरोजगारी से भी मुक्ति मिलेगी. बायोफ्लॉक तकनीक के माध्यम से किसान बिना तालाब की खुदाई किए एक टैंक में मछली पालन कर सकेंगे.

विवेक कुमार राय
विवेक कुमार राय
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मछली की बढ़ती खपत को देखते हुए मत्स्य पालक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नयी तकनीक को अपना रहें है. इसके लिए कम पानी और कम खर्च में अधिक से अधिक मछली उत्पादन करने हेतु बायोफ्लॉक तकनीक अपना रहे है. बायोफ्लॉक तकनीक एक आधुनिक व वैज्ञानिक तरीका है. मछली पालन के इस तकनीक को अपनाते हुए मत्स्य पालक न सिर्फ नीली क्रांति के अग्रदूत बनेंगे बल्कि बेरोजगारी से भी मुक्ति मिलेगी. बायोफ्लॉक तकनीक के माध्यम से किसान बिना तालाब की खुदाई किए एक टैंक में मछली पालन कर सकेंगे.

बायोफ्लॉक तकनीकी

यह कम लागत और सीमित जगह में अधिक उत्पादन देने वाली तकनीकी है. इस तकनीकी में टैंक सिस्टम में उपकारी बैक्टीरिया के द्वारा मछलियों की विष्ठा और अतरिक्त भोजन को प्रोटीन सेल में परिवर्तित कर मछलियों के भोज्य पदार्थ के रूप में रूपांतरित कर दिया जाता है.

बायोफ्लोक्स, शैवाल, बैक्टीरिया, प्रोटोजोअन और कार्बनिक पदार्थों जैसे- मछली की विष्ठा और अतरिक्त भोजन के समुच्चय होते हैं. इसमें 25 से 50 प्रतिशत प्रोटीन तथा 5 से 15 प्रतिशत वसा होती है. बायोफ्लोक्स विटामिन और खनिजों का भी अच्छा स्रोत हैं, खासकर फॉस्फोरस.

बायोफ्लोक्स पर प्रोबायोटिक का भी प्रभाव हो सकता है.

बायोफ्लोक्स दो महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है- अतरित भोजन के अपशिष्ठों का उपचार और पोषण प्रदान करना.

बायोफ्लोक सिस्टम कम पानी के आदान-प्रदान के साथ काम करता हैं (प्रति दिन केवल 5 से 1 प्रतिशत पानी बदलना पड़ता है)

बायोफ्लोक सिस्टम में लगातार पानी का मिश्रण और वातन करना आवश्यक होता है.

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आवश्यक संसाधन
सीमेंट टैंक/ तारपोलिन टैंक, एयरेशन सिस्टम, विधुत उपलब्धता, प्रोबायोटिक्स, मत्स्य बीज

पालन योग्य मछली प्रजातियां
पंगेसियस, तिलापिया, देशी मांगुर, सिंघी, कोई कार्प, पाब्दा, एवं कॉमन कार्प.

आर्थिक लाभ 

इस तकनीकी से 10 हजार लीटर क्षमता के टैंक (एक बार की लागत रु. 32 हजार, 5 वर्ष हेतु) से लगभग छः माह (पालन लागत रु. 24 हजार) में विक्रय योग्य 3.4 किंवटल मछली ( मूल्य 40 हजार) का उत्पादन कर अतरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है. इस तरह वार्षिक शुद्ध लाभ रु. 25 हजार एक टैंक से प्राप्त किया जा सकता है. यदि मंहगी मछलियों का उत्पादन किया जाये तो यह लाभ 4.5 गुना अधिक हो सकता है.

बायो फ्लॉक तकनीकी के फायदे

काम लागत, सीमित जगह एवं अधिक उत्पादन.

अनउपयोगी जमीन एवं अति सीमित पानी का उपयोग.

अतिसीमित श्रमिक लागत एवं चोरी के भय से मुक्ति.

लेखक- मनोज कुमार1, रितेश चंद्रवंशी1, डॉ. बी. नाइटिंगल देवी1 और डॉ. के. के. चैधरी1
1मात्स्यिकी महाविद्यालय, छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय,  कवर्धा, छत्तीसगढ़ - 491995

English Summary: Fishing with Bioflock Techniques will produce more fish Published on: 13 December 2019, 03:28 IST

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