दुधारू पशुओं को उचित मात्रा में हरा और पोषक चारा देना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इस पर पशुओं का स्वास्थ्य निर्भर होता है. जब पशुओं की सेहत अच्छी रहेगी, तभी पशुपालक उनसे अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन प्राप्त कर सकता है. वैसे पशुपालक दुधारू पशुओं को कई प्रकार का हरा चारा खिलाते हैं, लेकिन एजोला पशुओं के स्वास्थ्य लिए बहुत लाभकारी होता है. इतना ही नहीं, अगर एजोला को सुखाकर खेत में उपयोग किया जाए, तो इससे मिट्टी में जीवांश की मात्रा बढ़ती है. खास बात है कि पशुपालक बिना लागत लगाए एजोला उगा सकते हैं.
एजोला क्या होता है?
एजोला अति पोषक भरा एक छोटा जलीय पौधा है, जिसको छोटे से स्थान पर आसानी से उगा सकते हैं, यह पानी के ऊपर तैरता रहता है. आप इसको घर में हौदी बनाकर, तालाबों, झीलों, गड्ढों, और धान के खेतों में आसानी से उगा सकते हैं. एजोला का पौधा पानी में विकसित होता है, जो कि दिखने में मोटी हरी चटाई की तरह लगता है. इससे पशुओं के साथ-साथ मछलियों को खिला सकते हैं.
एजोला में कई पोषक तत्व
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कैल्शियम
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आयरन
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फास्फोरस
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जिंक
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कोबाल्ट
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मैग्नीजियम
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पर्याप्त मात्रा में विटामिन
ऐसे उगाएं एजोला
आप इसे टैंक में आसानी से उनगा सकते हैं. इसके लिए 5 मीटर लम्बा, 1 मीटर चौड़ा और 5-10 इंच गहरा पक्का सीमेंट का टैंक बनाना पड़ेगा. आप इस टैंक की लंबाई और चौंड़ाई अपने हिसाब से घटा-बढ़ा सकते हैं. अगर आप टैंक नहीं बनाना चाहते हैं, तो ज़मीन पर कुछ ईंटें बिछाकर टैंकनुमा गड्ढा भी बना सकते हैं. इस गड्ढे को लगभग 150 ग्राम मोटी पॉलीथिन से अच्छी तरह दबा दें. ध्यान दें कि टैंक और गड्ढे को छायादार जगह पर ही बनाएं. अब इसमें खेत की साफ और भुरभुरी मिट्टी को डाल दें. इसके अलावा 2 दिन पुनारे गोबर को लगभग 20 लीटर पानी में एजोला के बेड पर डाल दें. अब इसमें 7 से 10 सेंटीमीटर तक पानी भर दें. इस पानी में आवश्यकतानुसार एजोला कल्चर डाल दें.
इतने दिन में प्राप्त होगा एजोला
आपको बता दें कि टैंक या गड्ढे में एजोला कल्चर को बस एक बार डालना होता है. इसके बाद यह धीरे-धीरे बढ़ने लगता है. आपको 10 से 12 दिन में एजोला पानी के ऊपर फैलता दिखाई देने लगेगा. आप रोजोना 1 किलोग्राम एजोला प्लास्टिक की छन्नी से निकाल सकते हैं.
पशुओं को रोजोना खिलाएं एजोला
पशुओं के रोजाना चारे में एजोला मिलाकर खिलाते रहें. इससे उन्हें कई पोषक तत्व मिल पाएंगे, जिससे दूध के उत्पादन में कम से कम 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इतना ही नहीं, पशुपालक रोजाना 20 से 25 प्रतिशत चारे की बचत भी कर सकता है.
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