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सिर्फ इस कारण की वजह से आज बकरी पालन बड़े स्तर पर नही हो रहा है...

बकरीपालन आज के समय में आय का अच्छा साधन है। इसके द्वारा किसान आमदनी बढ़ा सकते हैं। लेकिन वास्तव में देश में कुछ हद तक बकरीपालन के लिए कुछ कारण ऐसे बन जाते हैं जो एक सफल व्यवसाय में बाधक बन जाते हैं।

 

बकरीपालन आज के समय में आय का अच्छा साधन है। इसके द्वारा किसान आमदनी बढ़ा सकते हैं। लेकिन वास्तव में देश में कुछ हद तक बकरीपालन के लिए कुछ कारण ऐसे बन जाते हैं जो एक सफल व्यवसाय में बाधक बन जाते हैं। इस दौरान केंद्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र, फरह मथुरा के मनोज कुमार सिंह का मानना है कि देश में बकरियों को गरीबी की पहचान माना जाता है। बकरियों को बंजर कर देने वाला पशु माना जाता है। ऐसे में जागरुकता लाना आवश्यक है।

उनका मानना है कि जानकारी के अभाव में बकरियों की उत्पादकता, उम्र एवं नस्ल का ध्यान नहीं रखा जाता है। बकरियों के रहने की समुचित अवस्था न होने के कारण एवं टीकों की अनुपलब्धता के फलस्वरूप मृत्युदर 50 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।

बीजू बकरों के अभाव में निम्न उत्पादन क्षमता वाले बीजू बकरों के फलस्वरूप नकारात्मक आनुवंशिक योगदान कर रहे हैं। एक बकरे को रेबड़ या गाँव में 3-5 वर्ष तक इस्तेमाल किया जाता है एवं उसी बकरे विशेष के बच्चे को उसी रेबड़ या गाँव में बीजू बकरे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

बकरी उत्पादों के व्यापार का अभाव है। बकरी गरीबों द्वारा पाली जाती है जिसके कारण आर्थिक तंगी में कम दाम पर बकरी सस्ते दाम पर बिक जाती है। औषधीय गुणों से युक्त होने के कारण भी गाय-भैंसों के दूध की अपेक्षा बकरी का दूध सस्ते दाम पर बिक जाता है।

वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली संस्थाओं की प्रक्रिया काफी जटिल है कि अशिक्षित एवं कम पढ़े लिखे बकरी पालकों के लिए बैंकों तथा अन्य संस्थाओं से वित्त सहायता प्राप्त करना कठिन हो जाता है।

अजामुख ( केंद्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र, मथुरा)

English Summary: Because of this reason, goat rearing is not happening at large level today ... Published on: 26 May 2018, 09:36 IST

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