चाय के कारोबार को करने वालों के लिए गर्मी का मौसम ज्यादा अच्छा नहीं माना जाता है. गर्मी के मौसम में चाय के बागानों में चाय की पत्तीसे होने वाली पैदावार कम हो जाती है. जिसके चलते इसमें होने वाला मुनाफा बहुत कम हो जाता है. बिहार में यह गर्मी का मौसम इन चाय के व्यापारियों के लिए और भी हानिकारक हो जाता है. इसका कारण है कि बिहार का तापमान इन दिनों औसत से ज्यादा हो जाता है. जो चाय की पत्तियों के लिए सही नहीं होता है.
चाय की खेती के लिए उचित तापमान
चाय की खेती मुख्यतः उष्ण कटिबंधीय या उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में होती है. इसकी अच्छी खेती के लिए तापमान 13 डिग्री से 32 डिग्री सेल्सियस के मध्य होना आवश्यक होता है. लेकिन अभी बिहार की बात करें तो तापमान इस निर्धारित तापमान से बहुत ज्यादा हो जाता है. जिस कारण चाय की पत्तियों की मात्रा पर प्रभाव पड़ता है. अगर हम चाय के लिए सही मिट्टी की बात करें तो 4.5-05 PH मान वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है.
बिहार में क्यों हो रहा चाय किसानों को नुकसान
अगर बिहार की बात करें तो यहां कई ऐसे जिले हैं जहां के किसान चाय की खेती करते हैं और हर साल मोटा मुनाफा भी उठाते हैं. लेकिन गर्मियों के शुरू होते ही इन किसानों को इस खेती में होने वाला मुनाफा कम हो जाता है. इसका कारण यह होता है कि सर्दियों में जहां केवल इन पौधों को दो बार पानी देना होता है वहीं इस गर्मी के मौसम में चार से पांच बार तक पानी की आवश्यकता होती है. किसानों से मिली जानकारी के आधार पर इस मौसम में चाय की पत्तियों पर कीड़े आसानी से लग जाते हैं जिससे नुकसान ज्यादा होता है.
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कितना होता है उत्पादन
दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है. वहीं भारत इस उत्पादन में दूसरे स्थान पर आता है. भारत में हर साल लगभग 1325 टन चाय का उत्पादन होता है. वहीं अगर बिहार की बात करें तो यहां उत्पादन की मात्रा प्रति एकड़ 1500-2000 किलोग्राम पत्तियां होती हैं. लेकिन गर्मियों में यह उत्पादन लगभग आधा रह जाता है.
भारत में अभी तक चाय के कुल उत्पादन में लगभग 52 प्रतिशत केवल असम से होता है.
English Summary: Tea planters will suffer big loss due to rising temperature per kg yield will decreasePublished on: 24 April 2023, 05:51 PM IST
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