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इन रोगों के कारण सूख जाती है सांगरी, ऐसे कर सकते हैं बचाव

राजस्थान में सांगरी की संख्या अधिक है. जलवायु परिवर्तन सहित अन्य कारणों से इसके पेड़ खुद रोगों का शिकार हो जाते हैं.

KJ Staff
सांगरी के बचाव के तरीके
सांगरी के बचाव के तरीके

राजस्थान में उगाई जानी वाली प्रमुख सब्जी सांगरी की बाजार में काफी मांग है. ये सब्जी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है. इसमें कई बड़े रोगों से लड़ने की क्षमता है. शादियों के साथ-साथ इस सब्जी को कई बड़े आयोजनों में भी बनाया जाता है. बता दें कि सांगरी की खेती नहीं की जाती है. ये खेजड़ी के पेड़ पर उगती है और इसका पेड़ सूखे क्षेत्रों में होता है. सांगरी वैसे तो इंसान को कई बीमारियों से मुक्त करती है लेकिन जलवायु परिवर्तन सहित अन्य कारणों से इसके पेड़ खुद रोगों का शिकार हो जाते हैं. आजहम आपको खेजड़ी में होने वाले रोग और उनसे बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं.

इन्फेक्शन से सूखते हैं पेड़

पिछले कुछ सालों में खेजड़ी के पेड़ों की संख्या में लगातार कमी आई है. इनके सूखने के आंकड़े कम होते नहीं देख रहे. इसका एक कारण जलवायु परिवर्तन है. इसके अलावा, सेलोस्टोर्ना स्काब्रेटोर नाम का एक इन्फेक्शन भी इस पेड़ को बर्बाद करने में अहम भूमिका निभा रहा है. ये एक तरह का जड़ छेदक कीट है. जो पेड़ के कमजोर जड़ों की छाल का सहारा लेकर अंदर चला जाता है. इसके बाद जड़ों के भीतर खतरनाक सुरंग बनाकर कुछ समय में उन्हें खोखला करने लगता है. ऐसे में खेजड़ी के पेड़ सूखने पर मजबूर हो जाते हैं.

फफूंदी और दीमक भी पेड़ को करते हैं बर्बाद

वहीं, कवक या फफूंदी जैसे इन्फेक्शन भी खेजड़ी के पेड़ को सूखा देते हैं. ये भी सीधे पेड़ के जड़ पर हमला करते हैं. इस इन्फेक्शन की कई प्रजातियां हैं. जिनमें गाइनोडेर्मा, फ्यूजेरियम, रहिजक्टोनिया आदि शामिल हैं. ये भी खेजड़ी के पेड़ को तुरंत सूखा देते हैं. इनके अलावा, दीमक भी खेजड़ी को सूखा सकते हैं. इनकी संख्या को कम करने में दीमक की अहम भूमिका है.

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ये है बचाव का उपाय

राजस्थान में खेजड़ी की संख्या की बहुत अधिक है. इनके लिए, पौधे लगाने की आवश्यकता नहीं होती है. ये प्राकृतिक तरीके से ही उग जाते हैं. इसलिए सरकार भी इनपर ध्यान नहीं देती है. इनके पेड़ को संक्रमण से बचाने के लिए खेजड़ी की छंगाई करते समय एक महीने के अंतराल पर बराबर मोनाक्रोटोफॉस का छिड़काव किया जा सकता है. इससे बीमारी को दूर रखा जा सकता है. वहीं, संक्रमण से बचाव के लिए खेजड़ी के पौधों में 20 से 30 ग्राम तक थायोफिनेट मिथाइल फफूंदनाशक भी डाल सकते हैं. इसे 20 लीटर पानी में घोलकर जड़ों में डालना है. लेकिन इसे डालने से पहले पौधों के चारों तरफ एक मीटर दूरी में 200 से 300 लीटर पानी डालना भी अनिवार्य है. थायोफिनेट मिथाइल फफूंदनाशक को हर महीने पेड़ के जड़ में डालना है. इस प्रक्रिया से भी पेड़ को संक्रमित होने से बचा सकते हैं. इसके अलावा, बाजार में कई तरह की अन्य दवाइयां भी उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग करके पेड़ को सूखने से बचाया जा सकता है.

English Summary: Sangri dries up due to these diseases this is how you can save Published on: 24 April 2023, 01:37 PM IST

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