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सूखे और अकाल को भी झेल सकता ये पौधा, खेती से किसान करें अच्छी कमाई !

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से किसान अब फसल की बुवाई करने से पहले कई बार सोच रहे हैं कम संसाधन में ज्यादा उत्पादन देने वाली फसलों की खेती कर रहे हैं. ऐसे में किसानों को खेजड़ी की खेती (Khejdi Farming) की जानकारी दे रहे हैं जो असिंचित क्षेत्रों में भी आसानी से की जा सकती है. जिसपर सूखे और अकाल जैसी विपरित परिस्थितियों का भी कोई असर नहीं होता है.

राशि श्रीवास्तव
Medicinal Plants Farming
खेजड़ी की खेती देगी मोटा मुनाफा

दलहन फसलों में से एक खेजड़ी बहुत अहम फसल है. जिसमें कई औषधीय गुण (Medicinal Properties) भी हैं बदलते दौर में उपयोगी फसलों की खेती ज्यादा की जा रही है ऐसे में खेजड़ी की खेती (Khejdi Cultivation) मुनाफेमंद साबित हो सकती है. क्योंकि खेजड़ी की पकी सांगरीयों में लगभग 8-15 प्रोटीन, 40-50 प्रतिशत कार्बोहाइडे्रट, 8-15 प्रतिशत शर्करा, 8-12 प्रतिशत रेशा, 2-3 प्रतिशत वसा, 0.4-0.5 प्रतिशत कैल्सियम, 0.2-0.3 प्रतिशत लौह तत्व के अलावा अन्य सुक्ष्म तत्व होते हैं, जो कि मानव और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही गुणकारी मानी जाती है. खेजड़ी से उच्च कोटि की गुणवत्ता वाली पत्तियां मिलती हैं जो राजस्थान के शुष्क क्षेत्रें में पशुपालन का मुख्य आधार होती हैं. इसलिए खेजड़ी की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.

खेजड़ी की खेती के लिए मिट्टी का चयन

 खेजड़ी के पेड़ मरु क्षेत्रों में पाई जाने वाली बालू रेत, रेत के टीबों और क्षारीय भूमि में अच्छा विकास करती है.

खेजड़ी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

खेजड़ी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र का पौधा है, जो सूखा रोधी गुणों के अलावा सर्दियों में पड़ने वाले पाले के साथ ही गर्मियों में उच्च तापमान को आसानी से सहन कर देता है.

खेजड़ी की खेती के लिए भूमि की तैयारी

भूमि को हल के साथ 3 से 4 बार जुताई करके तैयार करना चाहिए, जमीन को सुविधाजनक आकार के भूखंडों में बांटकर मुख्य और उप चैनल निर्धारित करते हैं. फिर 5 मीटर x 5 मीटर की दूरी पर 45 सेमी x 45 सेमी x 45 सेमी आकार के गड्ढे खोदते हैं. उन्हें 1:1 के अनुपात में शीर्ष मिट्टी और अच्छी तरह से विघटित गोबर की खाद से भरते हैं.

खेजड़ी की खेती के लिए नर्सरी तैयार करना

बीज से तैयार पौधों में अंकुरण क्षमता 90 फीसदी होती है, जिसके लिए एक हेक्टेयर के लिए लगभग 20 ग्राम बीज की जरुरत होती है. सबसे पहले 15 से 20 मिनट के लिए सल्फ्युरिक एसिड के साथ बीज को उपचारित करना चाहिए. और फिर मई के दौरान 2.0 सेमी गहराई पर पॉलीबैग में बोया जाता है. पौधे अंकुरित होने के बाद इन्हें कहीं और शिफ्ट कर सकते हैं. जुलाई और अगस्त महीने में तैयार गड्डो में एक महीने पुरानी रोपण को प्रत्यारोपित कर सकते हैं.

खेजड़ी की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन

अधिकतम विकास और उपज हासिल करने के लिए मासिक सिंचाई की जरुरत होती है, लेकिन पानी की कमी वाले क्षेत्रो में बिना किसी सिंचाई के केवल बरसात के पानी से भी फसल अच्छा विकास देती है.  

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खेजड़ी की खेती के लिए कटाई

खेजड़ी एक धीमी गति से बढ़ने वाला पेड़ होता है जो फूल, फल और छाल उत्पादन में लगभग 7- 8 साल ले लेता है. 

खेजड़ी की खेती के लिए कटाई के बाद प्रबंधन

 खेजड़ी की पुरानी शाखाओं से नवंबर में चाकू की मदद से छाल का स्क्रैपिंग करना चाहिए, और फिर विपणन के लिए गन्नी बैग में शुष्क छायादार और हवादार जगह में संग्रहीत कर सकते हैं

English Summary: Khejdi plant can withstand drought and famine, farmers can earn well by farming! Published on: 20 April 2023, 10:42 AM IST

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