भारत सरकार औषधीय फसलों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है. आजकल किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ औषधीय फसलों को भी बहुत उत्साह के साथ उगाने लगे हैं. कम मेहनत एवं कम संसाधनों में भी औषधीय फसलों की खेती आसानी से की जा सकती है.
इनकी खेती में भारत सरकार भी अरोमा मिशन जैसी योजनाओं के साथ किसानों की ट्रेनिंग और सब्सिडी की व्यवस्था कर रही है. सरकार द्वारा प्रोत्साहित एक ऐसे ही फसल खस है.
इसका नाम सुनते ही दिलो-दिमाग में एक खुशबू की लहर छा जाती है. हां, यह वही खास है जिसका प्रयोग इत्र, शरबत और ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने में होता है. यह सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं आर्थिक दृष्टिकोण से भी बहुत फायदेमंद है. सरकार अरोमा मिशन के अंतर्गत खस की खेती को प्रोत्साहित कर रही है.
क्या है खस? (What is Khas or Poppy?)
खस एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसका महत्व आज सभी को ज्ञात है. इसका प्रयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है. इसकी जड़, पत्ती और फूल आयुर्वेदिक दवाएं, इत्र, शरबत ब्यूटी प्रोडक्ट्स और कन्फेक्शनरी प्रोडक्ट बनाने के काम में आते हैं.
बंजर भूमि में संभव है खस की खेती (Cultivation of poppy is possible in barren land)
बंजर और कम पानी वाली भूमि भी इसकी खेती के लिए है उपयुक्त है. यूँ तो खस की खेती किसी भी जलवायु और मिट्टी में कर सकते हैं, लेकिन बंजर और कम पानी वाले क्षेत्रों में यदि इसकी खेती की जाए, तो संसाधनों की बचत होती है और भूमि का उपयोग भी हो जाता है. राजस्थान जैसे अपेक्षाकृत शुष्क इलाकों में खस की खेती करना बहुत फायदेमंद रहता है, क्योंकि यहां अन्य फसलें आराम से नहीं उग पाती नहीं हैं.
कीड़े और बीमारियों की कम है संभावना (There is less chance of insects and diseases)
कीड़े लगने की संभावना खस में मौजूद औषधीय गुणों के कारण कम रहती है. आवारा पशु भी आस पास नहीं फटकते, इसीलिए इसकी सुरक्षा कोई बड़ी समस्या नहीं है.
क्या है खस की खेती का उपयुक्त समय (What is the appropriate time for poppy cultivation?)
शीत ऋतु के अलावा किसी भी मौसम में इसकी खेती की जा सकती है, क्योंकि सर्दी में इसके पौधे कम पनपते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि किसी भी प्रकार की जलवायु और मिट्टी में खस को उगाया जा सकता है.
खस फसल में अधिक सिंचाई और उर्वरकों की आवश्यकता नहीं (Khas crop does not require much irrigation and fertilizers)
इसकी फसल को ज्यादा सिंचाई और पोषण की जरूरत नहीं है. साधारण खाद डालकर भी खस की बंपर पैदावार ली जा सकती है.
कितने समय में होती है खस की फसल तैयार (How long does it take for the poppy crop to be ready?)
खत की खेती करने पर इसकी पहली फसल 18 से 20 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जिसमें से इसकी पत्तियों का इस्तेमाल चारे, ईंधन और फूस के के घर बनाने में आराम से किया जा सकता है.
जड़ों की करें खास देखभाल (Take special care of the roots)
खस के पौधों में जड़ों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है, क्योंकि इनसे तेल निकाला जाता है. यह ध्यान रखें कि जड़ों को पनपने के लिए हल्की सिंचाई और मिट्टी में नमी दोनों जरूरी है.
क्या है इसके तेल की कीमत (What is the price of its oil?)
बाजार में इसका 1 लीटर तेल 20000 के भाव से बिकता है तो आप समझ सकते हैं कि इसमें मुनाफे की कितनी अच्छी संभावनाएं है.1 एकड़ खेत से करीब दो लाख की आमदनी हो सकती है.
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