खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख फसल धान होती है. हमारे देश के किसान भाइयों के द्वारा धान की फसल सबसे अधिक मात्रा में की जाती है, मिली जानकारी के मुताबिक, चीन के बाद भारत में धान का उत्पादन सबसे अधिक होता है. इसी के चलते भारत धान उत्पादन (paddy production) में दूसरे नंबर पर बना हुआ है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय किसानों के द्वारा धान की अच्छी पैदावार (Good yield of Paddy) पाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए वह कृषि वैज्ञानिकों की मदद लेते हैं. अगर आप धान के अधिक मात्रा में कल्ले प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कुछ तकनीकों के साथ दवाओं का भी इस्तेमाल करना होगा. लेकिन आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि आज के समय में बाजार में कई तरह की नकली दवाएं आ रही हैं, जिससे फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है. तो आइए इस लेख में जानते हैं कि धान के कल्ले (paddy straw) बढ़ाने के तरीके व दवा क्या है.
न्यूट्रीशन (पोषण) : अगर आप किसान है, तो बात से तो अच्छे से परिचित होंगे कि धान की रोपाई करने के बाद उसमें 20-30 दिन के अंदर कल्ले फूटने शुरू हो जाते हैं. इस समय फसल को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. ध्यान रखें की इस दौरान आप फसल में ज्यादा पानी को न रखें और साथ ही प्रति एकड़ 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक की मात्रा डालें.
खेत सूखा रखें : जब आप खेत में धान की रोपाई कर लें. तो आप कम से कम 10-15 दिनों के बाद ही इसमें पाटा लगाएं. ऐसा करने से छोटी व हल्की जड़ें तेजी से विकसित होना शुरू हो जाती है. जब आप खेत में एक बार पाटा लगा दें तो फिर दूसरी बार उल्टी दिशा में पाटा लगाएं. ऐसा करने से पौधे में लगने वाले सुंडी कीड़े मर जाते हैं और साथ ही अन्य कई तरह के रोग लगने की संभावना नहीं होती है.
धान के कल्ले बढ़ाने वाली दवाएं
धान के कल्ले अधिक बढ़ाने के लिए आपको समय-समय पर खरपतवारनाशी व निराई-गुड़ाई का काम करते रहना चाहिए. इसके अलावा आप बाजार में मिलने वाली कुछ दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कि - खरपतवार के लिए 2-4D, फसल रोपाई के लिए 3-4 दिन में पेंडीमेखली 30 ई.सी 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से दें. इस दवा में आप 800-900 लीटर पानी को मिलाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं.
धानजाइम गोल्ड (Dhanzyme Gold ) - यह धान के कल्ले बढ़ाने के लिए सबसे अच्छी दवा मानी जाती है. यह दवा एक मिलीलीटर की दर से एक लीटर पानी में मिलाकर 500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करना चाहिए.
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