किसान भाईयों ने रबी फसलों की बुवाई की तैयारी शुरू कर दी है. गेहूं रबी की प्रमुख फसलों में से एक माना जाता है, इसलिए किसानों को गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) में कुछ खास बातों का विशेष ध्यान रखना होगा, ताकि अच्छा उत्पादन हो सकें.
गेहूं की उन्नत क़िस्मों की करें खेती (Cultivate improved varieties of wheat)
अगर गेहूं की खेती में उन्नत किस्मों का चयन किया जाए, तो उपज अधिक मिलती है. किसान भाईयों को हमेशा नई, रोगरोधी व उच्च उत्पादन क्षमता वाली किस्मों का चयन करना चाहिए.
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सिंचित व समय से बुवाई के लिए डीबीडब्ल्यू 303, डब्ल्यूएच 1270, पीबीडब्ल्यू 723 किस्म की बुवाई कर सकते हैं.
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सिंचित व देर से बुवाई के लिए डीबीडब्ल्यू 173, डीबीडब्ल्यू 71, पीबीडब्ल्यू 771, डब्ल्यूएच 1124, डीबीडब्ल्यू 90 व एचडी 3059 की बुवाई करें.
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अधिक देरी से बुवाई के लिए एचडी 3298 किस्म का चयन कर सकते हैं.
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सीमित सिंचाई व समय से बुवाई के लिए डब्ल्यूएच 1142 किस्म की खेती की जा सकती है.
बुवाई का समय (Time of sowing)
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सिंचित, समय से बुवाई (25 अक्टूबर से 15 नवम्बर) 100 किग्रा/हे. बीज दर
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सिंचित, देरी से बुवाई (25 नवम्बर से 25 दिसम्बर) 125 किग्रा/हे. बीज दर
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अधिक देरी से बुवाई (25 दिसम्बर के बाद) 125 किग्रा/हे. बीज दर
खेती की तैयारी (Preparation for cultivation)
गेहूं की बुवाई करने से 15 से 20 दिन पहले खेत में 4 से 6 टन/एकड़ की दर से गोबर की खाद मिला लेना चाहिए. इससे मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है.
जीरो टिलेज व टर्बो हैप्पी सीडर से बुवाई (Sowing with zero tillage and turbo happy seeder)
जीरो टिलेज तकनीक से गेहूं की बुवाई एक कारगर तकनीक है. इससे धान की कटाई के बाद जमीन में संरक्षित नमी का उपयोग करते हुए गेहूं की बुवाई बिना जुताई के होती है. बता दें कि जहां धान की कटाई देरी से होती है, वहां यह मशीन काफी कारगर है. इस मशीन की काफी उपयोगिता जल भराव वाले क्षेत्रों में भी है.
गेहूं की खेती में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Wheat Cultivation)
फसल की अधिक उपज के लिए 5-6 सिंचाई करना जरूरी है. मगर फसल में सिंचाई पानी की उपलब्धता, मिट्टी के प्रकार और पौधों की आवश्यकता के हिसाब से करना चाहिए.
रोग और कीट प्रबंधन (Disease and Pest Management)
किसान भाई अनुमोदित नवीनतम रोग व कीट प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई करें. इसके साथ ही नत्रजन उर्वरक का संतुलित मात्रा में उपयोग करें. बीज जनित संक्रमण के प्रबंधन के लिए प्रमाणित बीज का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा पीला रतुआ रोग के प्रकोप से बचने के लिए प्रॉपीकोनाजोल (25 ईसी) या टेब्यूकोनाजोल (250 ईसी) नामक दवा का 0.1 प्रतिशत (1.0 मिली/लीटर) घोल बनाकर छिड़क सकते हैं. करनाल बंट प्रबंधन के लिए फसल में बाली निकलने के समय प्रोपीकोनाजोल (25 ईसी) को 0.1 प्रतिशत (1.0 मिली/लीटर) की मात्रा से छिड़क सकते हैं.
गेहूं की कटाई (Wheat harvesting)
जब गेहूं के दाने पककर सख्त हो जाएं, साथ ही नमी की मात्रा 20 प्रतिशत से कम हो जाए, तब कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई की जा सकती है. आप कटाई के साथ ही मढ़ाई एवं ओसाई भी कर सकते हैं.
भंडारण का सही तरीका (Proper way of storage)
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दानों को अच्छी तरह से सुखा लें.
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इसके साथ ही टूटे एवं कटे-फटे दानों को अलग कर दें.
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अनाज भंडारण के लिए जी आई शीट के बने बिन्स का प्रयोग करें.
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कीड़ों से बचाव के लिए लगभग 10 कुंतल अनाज में एक टिकिया एल्यूमिनियम फॉस्फाईड की रख दें.
पैदावार (Yield)
गेहूं की खेती में नवीनतम् किस्मों की बुवाई करने से करीब 70-80 कुंतल/हेक्टर उपज प्राप्त की जा सकती है.
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