टमाटर देश की एक महत्वपूर्ण फसल है जो पोषक मूल्यों और इसकी मांग की वजह से लोकप्रिय फसल है. टमाटर की फसल में कीटों के कारण काफी अधिक हानि होती है जिसकी वजह से उत्पादन में भी गिरावट हो जाती है और किसान को नुकसान उठाना पड़ता है.
टमाटर की फसल में विभिन्न कीट हानि पहुंचाते है-
चने की सूँडी: यह टमाटर को काफी नुकसान पहुचाता है. यह लट्ट पौधे में फूल आने से पहले पत्तियों तथा कोमल शाखाओं को खाती है. जिससे पट्टियाँ छिद्रित दिखती है. फल लग जाने के बाद ये लट्ट गोल छेद बनाकर इसमें प्रवेश कर फल का गुदा खाती रहती है और परिणाम स्वरूप फल सड़ जाता है. इसका आधा शरीर अंदर तथा आधा शरीर फल के अंदर होता है.
रोकथाम के उपाय:
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रासायनिक कीटनाशी के उपयोग से पहले ग्रसित फल को तोड़ कर नष्ट कर दें.
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इमामेक्टिन बेंजोइट 5% SG की 100 ग्राम मात्रा या फ्लुबेंडियमाइड 20% SG 60 ग्राम या क्लोरेण्ट्रानिलिप्रोल 18.5% SC की 60 मिली मात्रा प्रति एकड़ 200 लीटर में मिलाकर छिड़काव कर दें.
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एक ही रसायनिक कीटनाशी का उपयोग बार बार ना करें.
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जैविक कीटनाशी के रूप में बुवेरिया बेसियाना की 250 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ 200 लीटर में मिलाकर छिड़काव कर दें.
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टमाटर की 10-12 पंक्ति बाद गेंदा फूल की पंक्ति लगा दे ताकि नेमाटोड और चने की सूँडी का प्रकोप न हो.
तम्बाकू की लट: इस कीट की लट्टे काले रंग की तथा चिकनी होती है. शुरुआत में ये लट्ट समूह में रहकर पत्तियों की ऊपरी सतह को खाती है. इन लट्टों के कारण पूरा पौधा ही पत्ती विहीन नजर आता है.
रोकथाम के उपाय:
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इमामेक्टिन बेंजोइट 5% SG की 80 ग्राम या फ्लुबेंडियमाइड 20% SG 50 ग्राम या क्लोरेण्ट्रानिलिप्रोल 18.5% SC की 50 मिली या बाइफेन्थ्रीन 10 EC 300 मिली मात्रा प्रति एकड़ 200 लीटर में मिलाकर छिड़काव कर दें.
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एक ही रसायनिक कीटनाशी का उपयोग बार बार ना करें.
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सूँडीयों से संबन्धित NPV (Nuclear Polyhedosis Virus) का छिड़काव 250 LE प्रति हेक्टेयर करें.
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जैविक कीटनाशी के रूप में बुवेरिया बेसियाना की 250 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ 200 लीटर में मिलाकर छिड़काव कर दें.
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फल छेदक कीट की निगरानी के लिए 3 ट्रेप प्रति एकड़ लगाएं.
सफेद मक्खी: इस कीट के शिशु और वयस्क दोनों ही पत्तियों से रस चूसते है. जिसके कारण पत्ती मोड़क मौसेक रोग फैलता है. ये सफेद कीट पत्तियों के नीचे रहकर पत्ती को नुकसान पहुंचाते रहते हैं तथा काले रंग की फफूंद का प्रकोप बढ़ जाता है.
रोकथाम के उपाय:
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एसिटामिप्रीड 20% SP की 100 ग्राम मात्रा या एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 8% SP की 400 ग्राम मात्रा या पायरोक्सीफेन 10%+ बाइफेन्थ्रीन 10% ईसी की 200 मिली मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ खेत में छिड़काव कर दें.
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कीटनाशी का अदल बदल के उपयोग करें.
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जैविक कीटनाशी के रूप में बुवेरिया बेसियाना की 250 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ 200 लीटर में मिलाकर छिड़काव कर दें.
लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक): इस कीट की मक्खी पत्तियों की शिराओं में अंडे देती है, जो बाद में छोटी छोटी लट्ट का रूप लेकर पत्ती का हरा भाग खाती रहती है. इसकी वजह से पत्तियों में सफेद धारियाँ नजर आती है.
रोकथाम के उपाय:
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इस कीट के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 9% EC @ 150 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC@ 70 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें.
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जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें.
एफीड: इसे माहु भी कहा जाता है. यह कीट के शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों और ऊपरी टहनीयों से रस चूस कर पौधों की पत्तियों को पीला कर देते है. पत्तियाँ नीचे की ओर झुक जाती है.
रोकथाम के उपाय:
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इस प्रकार के कीटों की रक्षा हेतु 10-15 दिन के अंतराल पर एसिटामिप्रिड 20% SP की 80 ग्राम मात्रा या थायोमेथोक्सोम 25 डब्लू जी 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें.
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जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें.
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