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धान की फसल को बर्बाद कर रहा है कंडुआ रोग, ऐसे कर सकते हैं बचाव

मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में सोयाबीन की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है. अब उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों के लिए कंडुआ रोग नई मुसीबत बनकर आया है. दोनों राज्यों के कई जिलों में धान की खेती कंडुआ रोग से बर्बाद हो रही है. पूर्वांचल और बिहार के कुछ जिलों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई. किसानों का कहना है देखते ही देखते उनकी फसल इस बीमारी की चपेट में आ गई है. तो आइए जानते हैं क्या है यह रोग इससे कैसे बचाव करें -

श्याम दांगी
Rice

मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में सोयाबीन की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है. अब उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों  के लिए कंडुआ रोग नई मुसीबत बनकर आया है. दोनों राज्यों के कई जिलों में धान की खेती कंडुआ रोग से बर्बाद हो रही है. पूर्वांचल और बिहार के कुछ जिलों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई. किसानों का कहना है देखते ही देखते उनकी फसल इस बीमारी की चपेट में आ गई है. तो आइए जानते हैं क्या है यह रोग इससे कैसे बचाव करें -

काला पड़ गया पौधा

किसानों का कहना है कि इस बार धान की अच्छी पैदावार होने वाली थी. लेकिन अचानक कंडुआ या हर्दिया रोग ने सब चौपट कर दी. इस रोग के चलते सबसे धान का पौधा हल्दी जैसा पीला हो गया. इसके बाद पौधा काला पड़ गया. यह पहला मौका है जब यह बीमारी लगी. दरअसल, कंडुआ रोग के कारण फसल की पैदावार और गुणवत्ता पर असर पड़ता है. यह एक खेत से हवा के साथ उड़कर दूसरे खेत को संक्रमित कर देता है.

वैज्ञानिकों का क्या कहना है 

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि कंडुआ रोग के कारण सबसे पहले धान की बालियों पर भूरे-पीले रंग पाउडर के गुच्छे बनने लगते हैं. हवा के साथ यही पाउडर उड़कर दूसरे खेत जाता है. डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्वांचल और बिहार के कुछ जिलों में कंडुआ रोग का अधिक प्रभाव है.

Rice

इन जिलों में प्रभाव

कंडुआ रोग का प्रकोप यूपी के गोरखपुर, बलिया, देवरिया, चंदौली, बनारस, महाराजगंज और बिहार के कैमूर जिले सबसे ज्यादा देखा गया है. आम भाषा इस रोग लोग पीला रोग, लेढा रोग और हरदिया रोग के नाम से बुलाते हैं.

बचाव -

1. डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि कंडुआ रोग से बचाव के लिए किसानों को फसल की बुवाई के समय ही ध्यान देना चाहिए. उनका कहना है कि किसानों को धान की बुवाई से पहले अच्छे से बीजोपचार करना चाहिए. दरअसल, बुवाई के समय इस रोग के स्पोर बीज के साथ रह जाते हैं, लेकिंग हम शुरू में ही बीजोपचार कर लेते हैं तो यह ख़त्म हो जाते हैं. इस कारण बढ़ने का खतरा कम हो जाता है.

2. जिस पौधे में कंडुआ रोग के लक्षण दिखाई दे उसे तुरंत उखाड़कर जमीन में गाड़ देना चाहिए.

3. किसान इसके नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत की 100-200 मिली दवा को 200-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

English Summary: false smut of paddy crop treatment eastern uttar pradesh bihar Published on: 28 October 2020, 11:30 AM IST

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