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रसायन मुक्त मिट्टी का उपचार कैसे करें

रासायनिक कीटनाशी एवं फफूंदनाशी का खेत में उपयोग करने से मिट्टी की संरचना पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा बार-बार प्रयोग करने से मिट्टी में उपस्थित रोगाणुओं में भी सहनशीलता विकसित होने के साथ साथ फसल की उपज भी कम हो जाती है. अतः बिना रसायनों के उपयोग करने से रोगाणु भी नष्ट हो जाते हैं

हेमन्त वर्मा
soil

रासायनिक कीटनाशी एवं फफूंदनाशी का खेत में उपयोग करने से मिट्टी की संरचना पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा बार-बार प्रयोग करने से मिट्टी में उपस्थित रोगाणुओं में भी सहनशीलता विकसित होने के साथ साथ फसल की उपज भी कम हो जाती है. अतः बिना रसायनों के उपयोग करने से रोगाणु भी नष्ट हो जाते हैं और अधिक खर्च से भी बचा जा सकता है. बिना रसायन से मुख्यतः दो प्रकार की विधियों से मिट्टी उपचार या मिट्टी शोधन किया जा सकता है जो इस प्रकार है.

जैविक विधि

इस जैविक विधि से मिट्टी शोधन करने के लिए मित्रफफूंद ट्राईकोडर्मा विरिडी जो कि कवकनाशी है और ब्यूवेरिया बेसियाना  जो कि कीटनाशी है,  के प्रयोग से मिट्टी उपचार किया जाता है. इसके उपयोग के लिए 8 -10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद लेते हैं तथा इसमें 2 किलो ट्राईकोडर्मा विरिडी और 2 किलो ब्यूवेरिया बेसियाना को मिला देते हैं एवं मिश्रण में नमी बनाये रखते हैं. यह क्रिया में सीधी धूप नहीं लगनी चाहिए. अतः  इसे छाव या पेड़ के नीचे करते हैं. नियमित हल्का पानी देकर नमी बनाये रखना होता है. 4-5 दिन पश्चात फफूंद का अंकुरण होने से खाद का रंग हल्का हरा हो जाता है तब खाद को पलट देते है ताकि फफूंद नीचे वाली परत में भी समा जाये. 7 से 10 दिन बाद प्रति एकड़ की दर से खेत में इसे बिखेर दिया जाना चाहिए. ऐसा करने से भी भूमि में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणुओं को नष्ट किया जा सकता है. इनके प्रयोग से मिट्टी की संरचना सुधारने, लाभकारी जीवों की संख्या और पौधों के पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने, हानिकारक कवकों को नष्ट करने, जड़ों के विकास करने, आदि अन्य लाभ भी अप्रत्यक्ष रूप से हो जाते हैं.  

मिट्टी सोर्यीकरण अथवा मिट्टी सोलेराइजेशन

गर्मी में जब तेज धूप और तापमान अधिक हो तब मिट्टी सोलेराइजेशन का उत्तम समय होता है. क्योंकि इस समय सूर्य की सीधी किरण जमीन पर पहुँचती है तथा जमीन में छुपे कीट व कवक के बीजाणु नष्ट हो जाते हैं. इसके लिए क्यारियों को प्लास्टिक के पारदर्शी शीट से ढक कर एक से दो माह तक रखा जाता है तथा प्लास्टिक शीट के किनारों को मिट्टी से ढंक दिया जाता है ताकि हवा अंदर प्रवेश ना कर सके और शीट के अन्दर का तापमान बढ़ जाये. अतः इस प्रक्रिया से प्लास्टिक शीट के अंदर का तापमान बढ़ जाता है जिससे क्यारी के मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट, रोगों के बीजाणु तथा कुछ खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं. प्लास्टिक फिल्म के उपयोग करने से क्यारियों में मिट्टी जनित रोग एवं कीट कम हो जाते हैं. इस तरह से मिट्टी से बगैर रसायन रोग एवं कीट कम हो जाते हैं. यह विधि पर्यावरण हितेशी एवं कम खर्चे की है. यदि प्लास्टिक शीट का उपयोग नही किया जाये और गहरी जुताई कर ली जाये तो भी दीमक, सफ़ेद लट्ट आदि कुछ कीटों का सफाया हो ही जाता है.

English Summary: How to chemical free soil treatment Published on: 28 October 2020, 11:37 AM IST

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