दुनिया में आलू उत्पादन के मामले में भारत दूसरे स्थान पर आता है. लेकिन अगर खपत की बात करें, तो भारत में ही इसका काफी हिस्सा खाने में इस्तेमाल कर लिया जाता है. लेकिन आज हम आपको आलू की पुखराज और ज्योति किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मांग भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में है. हम बात कर रहे हैं पंजाब के कपूरथला-जालंधर जिले में हो रहे आलू की.
दरअसल यहां होने वाले आलू की मांग इसलिए भी ज्यादा है क्यों कि इसका बीज उत्पादन और गुणवत्ता के लिए सबसे ज्यादा ख़ास माना जाने वाला बीज है.
पैदावार का 85 प्रतिशत बीज के लिए
कपूरथला और जालंधर में होने वाले इस आलू की बात करें, तो इसकी कुल पैदावार का 85 प्रतिशत तो केवल बीजों के लिए ही निकाल दिया जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन क्षेत्रों में जितना भी आलू होता है उसका 85 प्रतिशत किसान बीज के लिए निकाल देते हैं. इसका प्रमुख कारण यह है कि आलू की अपेक्षा उसके बीजों को बेचने पर किसानों का मुनाफा कई गुना तक बढ़ जाता है. देश के बहुत से किसान तो इन बीजों की बुकिंग यहां के किसानों से फसल के काटने से पहले ही करा लेते हैं.
पुखराज और ज्योति किस्म की खेती सबसे ज्यादा
आलू के लिए पुखराज और ज्योति की किस्में पंजाब के दोआब क्षेत्र की सबसे ज्यादा बोई जाने वाली किस्मों में सबसे खास हैं. इसका कारण है कि यह किस्में दोआब क्षेत्र में सबसे ज्यादा होती हैं और इसे होने वाले बीजों से होने वाला उत्पादन भी बहुत ज्यादा होता है. यही कारण है कि इन कसमों की खेती इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा होती है.
10000 हेक्टेयर में होती है खेती
पंजाब में आलू की इस फसल को जिले में बहुत बड़ी मात्रा में बोया जाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इसे जिले में लगभग 10000 हेक्टेयर में बोया जाता है. वहीं अगर हम इसकी पैदावार की बात करें, तो लगभग 2 लाख मैट्रिक टन आलू के उत्पादन की पैदावार जिले में हर साल होती है.
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कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में सप्लाई
कपूरथला में होने वाली इस आलू को देश कई प्रदेशों पसंद किया जाता है. लेकिन अगर हम इसकी सबसे ज्यादा मांग की बात करें, तो यह आलू सबसे ज्यादा कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के द्वारा खरीदा जाता है. इसके अलावा उत्तराखंड और कुछ मात्रा में उत्तर प्रदेश में भी खरीदा जाता है.
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